आज है सावन की शिवरात्रि, यह है भगवान शिव के जलाभिषेक का समय और विधि

शिवरात्रि शुक्रवार सुबह छह बजकर 28 मिनट पर शुरू हो रही है। शनिवार को शाम सात बजकर 11 मिनट तक जलाभिषेक का समय रहेगा। शिवरात्रि को रात्रि पूजा का महत्व होता है इसलिए श्रद्धालु शाम के समय से जलाभिषेक करते हैं।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Fri, 06 Aug 2021 06:02 AM (IST) Updated:Fri, 06 Aug 2021 06:02 AM (IST)
आज है सावन की शिवरात्रि, यह है भगवान शिव के जलाभिषेक का समय और विधि
सावन माह के शिवरात्रि पर्व को लेकर मंदिरों को भव्य ढंग से सजाया गया है।

जागरण संवाददाता, कैथल। सावन माह के शिवरात्रि आज है। मंदिरों को भव्य ढंग से सजा दिया गया है। आज शिवरात्रि के पावन पर्व के उपलक्ष्य में भगवान भोले का जलाभिषेक किया जाएगा। शिवरात्रि के पर्व को लेकर शहर के श्री ग्यारह रुद्री शिव मंदिर, श्री अंबकेश्वर मंदिर, हनुमान वाटिका, ढांड रोड स्थित प्राचीन शिव मंदिर सहित शहर के अन्य शिव मंदिरों में जलाभिषेक की तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। श्री ग्यारह रुद्री शिव मंदिर के पुजारी पंडित मुनिंद्र मिश्रा ने बताया कि शिवरात्रि शुक्रवार सुबह छह बजकर 28 मिनट पर शुरू हो रही है। शनिवार को शाम सात बजकर 11 मिनट तक जलाभिषेक का समय रहेगा। शिवरात्रि को रात्रि पूजा का महत्व होता है, इसलिए श्रद्धालु शाम के समय से जलाभिषेक करते हैं।

हरिद्वार से गाड़ी में 10 हजार लीटर गंगाजल मंगवाया

वहीं, शिवरात्रि की पूर्व संध्या पर भाजपा के वरिष्ठ नेता सुरेश गर्ग नौच ने हरिद्वार से गाड़ी में 10 हजार लीटर गंगाजल मंगवाकर श्रद्धालुओं को वितरित किया। गंगाजल वितरण की शुरुआत शहर के प्रमुख श्री ग्यारह रुद्री शिव मंदिर से की गई। कार्यक्रम में भाजपा के जिलाध्यक्ष अशोक गुर्जर बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए। सुरेश गर्ग नौच ने कहा कि गंगाजल के लिए वाहन रवाना करने से पहले प्रशासन की अनुमति ली गई। इसके बाद यहां से कुछ श्रद्धालु कैंटर लेकर हरिद्वार गए और जल लेकर आए हैं।

शिवालयों में बोतलों में पहुंचाया जाएगा गंगाजल

उन्होंने कहा कि कैथल लाने के बाद गंगाजल को बोतलों में भरा गया है। करीब छह हजार बोतलें भरी जा चुकी हैं और अन्य गंगाजल भी बोतलों में भरकर श्रद्धालुओं को बांटा जाएगा। शहर में स्थापित शिवालयों में भी गंगाजल पहुंचाया जाएगा। वितरण का कार्य शुरू कर दिया गया है। शिवरात्रि के दिन मंदिरों में आने वाले श्रद्धालु वहीं से गंगाजल लेकर भगवान शिव का अभिषेक कर सकेंगे। इस मौके पर पार्षद गोपाल सैनी, ज्योति सैनी, प्रवीन सिंगला व कार्यकर्ता मौजूद थे।

ऐसे करें भगवान शिव की पूजा

पंडित मुनिंद्र मिश्रा ने बताया कि पूजन के समय ओम नम: शिवाय का जाप करते रहें। सबसे पहले गणपति जी पर जल अर्पित करें और फिर शिवलिंग पर जल चढ़ाएं। आप पंचामृत बनाकर भी जल चढ़ा सकते हैं। इसके बाद मां पार्वती पर जल चढ़ाएं उन्हें सिंदूर अर्पित करें। उनकी श्रृंगार की सामग्री रखें। इसी प्रकार नंदी और कार्तिकेय का पूजन भी करें।

शिवलिंग पर इसलिए है जल चढ़ाने की परंपरा

पंडित मुनिंद्र मिश्रा ने बताया कि समुद्र मंथन के समय सबसे पहले विष समुद्र से प्रकट हुआ और उस विष की भयंकर गर्मी से देवता, दैत्य व सारा संसार व्याकुल हो गया। तब भगवान विष्णु की प्रेरणा से भगवान शिव ने यह हलाहल विष पी लिया। उन्होंने इस विष कंठ में धारण किया, जिससे उनका कंठ नीला हो गया इसलिए वह नीलकंठ कहलाए। राम नाम के स्थान पर उनके मुख से बम-बम निकलने लगा। तब देवताओं ने भगवान शिव को शांत करने के लिए शिव के मस्तक पर निरंतर जल चढ़ाया और कालांतर में भगवान शिव ने गंगा को अपनी जटाओं में स्थापित किया। उसी समय से ही शिवलिंग पर जल चढ़ाने की परंपरा चली।

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