Sawan 2021: महाभारत काल से भी पुराना कुरुक्षेत्र का स्थाणु तीर्थ, भगवान ब्रह्मा ने यहां की थी शिवलिंग की स्थापना

Sawan 2021 कुरुक्षेत्र का स्‍थाणु तीर्थ। यहां के शिव मंदिर के प्रति लोगों की आस्‍था है। मान्‍यता है कि भगवान ब्रह्मा ने यहां पर शिवलिंग की स्थापना की थी। महाभारत काल से भी पहले से थानेसर नगर विख्यात है स्थाणु तीर्थ की वजह से।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Mon, 26 Jul 2021 09:39 AM (IST) Updated:Mon, 26 Jul 2021 09:39 AM (IST)
Sawan 2021: महाभारत काल से भी पुराना कुरुक्षेत्र का स्थाणु तीर्थ, भगवान ब्रह्मा ने यहां की थी शिवलिंग की स्थापना
महाभारत नगरी कुरुक्षेत्र में स्थाण्वीश्वर महादेव का मंदिर।

कुरुक्षेत्र, जागरण संवाददाता। महाभारत काल से भी पहले थानेसर नगर स्थाणु तीर्थ की वजह से विख्यात रहा है। विभिन्न शास्त्रों के मुताबिक सबसे पहले धरती पर स्थाणु तीर्थ पर ही शिवलिंग की स्थापना और पूजा हुई थी। बताया जाता है कि भगवान ब्रह्मा ने खुद यहां पर शिवलिंग को स्थापित किया था। तंत्र शास्त्रों में भी इसका उल्लेख मिलता है।

मंदिर की विशेषता

मंदिर की विशेषता है कि स्थाण्वीश्वर महादेव के नाम से ही शहर का थानेसर नाम पड़ा है। इसके अलावा मंदिर के अंदर की जो छत है वह छतरीनुमा बनी हुई है, जिस पर कलाकृति उभरी हुई है। इसे महाभारत काल से भी पहले का मंदिर माना जाता है। मंदिर के नजदीक से सरस्वती नदी बहने का उल्लेख मिलता है। मंदिर के ठीक सामने एक कुंड बना हुआ है, जिसमें नहाने से बीमारियां ठीक होने की बात भी कही गई है।

मंदिर का इतिहास

स्थाणवीश्वर महादेव महाभारत काल से भी पहले का है। महाभारत एवं पुराणों में वर्णित कुरुक्षेत्र का यह पावन तीर्थ थानेसर शहर के उत्तर में स्थित है। इस तीर्थ का सर्वप्रथम उल्लेख बौद्ध साहित्य में उपलब्ध होता है। महाबग्ग ग्रंथ में थूणा नामक गांव का उल्लेख मिलता है। इसी प्रकार दिव्यावदान बौद्ध ग्रंथ में थूणं और उपस्थूण नामक गांवों का उल्लेख है। कालांतर में थूणं नामक यह स्थान स्थाणुतीर्थ नाम से प्रसिद्ध हुआ।

वामन पुराण में इसे स्थाणुतीर्थ कहा गया है जिसके चारों ओर हजारों शिवलिंग है जिनके दर्शन मात्र से ही व्यक्ति को पापों से मुक्ति मिलती है। कहा जाता है कि स्वयं प्रजापति ब्रह्मा ने यहां शिवलिंग की स्थापना की थी। वामन पुराण में स्थाणु तीर्थ के चारों और अनेक तीर्थो का वर्णन आता है। इस तीर्थ के चारों ओर विस्तृत एक वट वृक्ष का उल्लेख मिलता है। स्थाणु तीर्थ के नाम पर ही वर्तमान थानेसर नगर का नामकरण हुआ जिसे प्राचीनकाल में स्थाण्वीश्वर कहा जाता था। थानेसर के वर्धन साम्राज्य के संस्थापक पुष्पभूति ने अपने राज्य श्रीकंठ जनपद की राजधानी स्थाण्वीश्वर नगर को ही बनाया था। हर्षवर्धन के राज कवि बाण भट्ट के द्वारा रचित हर्षचरितम् महाकाव्य में स्थाण्वीश्वर नगर के सौंदर्य का अनुपम चित्रण किया है।

अनादिकाल से स्थापित है भगवान स्थाणु : महंत बंशी पुरी महाराज

महानिर्वाणी अखाड़ा के महंत बंशी पुरी महाराज ने बताया कि स्थाणु भगवान सदा स्थिर हैं। सदा विराजमान रहने वाले हैं। थानेसर शहर का नाम स्थाणवीश्वर के नाम से पड़ा है। बिना स्थाणु के किसी भी प्रकार की सिद्धि को प्राप्त नहीं किया जा सकता। अनादिकाल से भगवान स्थाणु लोगों का कल्याण करने वाले हैं।

धार्मिक के साथ सामाजिक कार्य भी हो रहे स्थाणु की कृपा से : दर्शन पाहवा

स्थाणु सेवा मंडल के प्रधान दर्शन पाहवा ने बताया कि मंडल की ओर से सुबह व सायं को एलएनजेपी अस्पताल में भंडारा लगाया जाता है। इसके अलावा हर साल हजारों बच्चों को जर्सियां वितरित की जाती हैं और आर्थिक रूप से कमजोर लड़कियों की शादी कराई जाती है। सिलाई सेंटर जैसे सामाजिक कार्य भी भगवान स्थाणु की कृपा से हो रहे हैं।

पानीपत की ताजा खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

chat bot
आपका साथी