National Doctors' Day 2021 : कोरोना की चपेट में आए डाॅक्टर दंपती, पिता को खोया, ठीक होते ही संभाली ड्यूटी
एक जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे है। ऐसे में उन चिकित्सकों के हौसले को सलाम है जिन्होंने कोरोना महामारी में लाख मुश्किलों के बावजूद कर्तव्य को हमेशा अग्रणी माना। एक ऐसे ही डॉक्टर दंपति जो कोरोना की चपेट में आए पिता को खोया लेकिन ठीक होते ही काम पर आए।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। कोरोना महामारी के दौरान डाक्टर भगवान के रूप में नजर आए। खुद को सुरक्षित रखने के साथ-साथ मरीजों को बचाने की जिम्मेदारी भी इन्हीं डाक्टरों पर थी। हालांकि इस महामारी ने हर किसी को चपेट में लिया। मरीजों का इलाज करने वाले डाक्टर भी कोरोना के शिकार हुए। महामारी से जूझने वाले इन चिकित्सकों में गजब का जज्बा है। बीमारी से ठीक होते ही यह फिर से कोरोना से बचाव को लेकर चल रही जंग में कूद पड़े।
सिविल अस्पताल में तैनात दंपती डा. पुनीत कालड़ा व डा. रूचि कालड़ा। डाक्टर पुनीत कालड़ा पर जहां अस्पतालों में आक्सीजन की आपूर्ति सुनिश्चित कराने की जिम्मेदारी थी, तो वहीं उनकी पत्नी डा. रूचि कालडा कोरोना टेस्टिंग लैब में जिम्मेदारी संभाल रही थी। कोरोना महामारी की चपेट में यह दंपती भी आया। इनका पूरा परिवार कोरोना संक्रमित हुआ।
सबसे पहले इनके पिता 69 वर्षीय डा. बलवंत राय कालड़ा कोरोना संक्रमित हुए। उनकी हालत इस कदर खराब हुई कि अस्पताल में दाखिल कराना पड़ा। जहां 20 अप्रैल को उनका निधन हो गया। इसके बाद तो कोरोना ने पूरे परिवार को चपेट में ले लिया। डा. पुनीत, उनकी पत्नी डा. रूचि, भाई व मां भी कोरोना की चपेट में आए। मां को भी कई दिनों तक आइसीयू में रखना पड़ा।
कोरोना की गंभीरता को हम समझते हैं : डा. पुनीत
डा. पुनीत कालडा ने बताया कि 18 अप्रैल को वह और उनकी पत्नी कोरोना संक्रमित हो गए थे। परिवार में पिता, मां, भाई भी कोरोना संक्रमित हुए। पिता की मौत हो गई। बड़ी मुश्किल से पूरे परिवार को संभाला। बच्चों को सुरक्षित रखने की चिंता सताती रही। बाद में हालात ठीक हुए। कोरोना से रिकवर होने के कुछ दिनों बाद ही उन्होंने व पत्नी ने ड्यूटी संभाल ली थी। अब भी यह दंपती गंभीरता से जिम्मेदारी निभा रहा है। यहां तक कि नोडल अधिकारी डा. रूचि कालड़ा की देखरेख में आणविक प्रयोगशाला में दो लाख से अधिक सैंपलिंग का रिकार्ड भी बना है।