ब्लैक फंगस की समय पर हो सर्जरी नहीं तो जान को जोखिम-डा. दीपिका

कोरोना के केस घट रहे हैं ब्लैक फंगस के मरीज बढ़ रहे हैं। अधिकांश मरीज पोस्ट कोविड हैं। कालांतर में एक साल में इक्का-दुक्का केस आता था अब 20 दिनों में आठ सर्जरी कर चुकी हूं। सात मरीज रिकवर एक मरीज की मौत हुई। उसे आठ प्रकार की बीमारियां थी।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 27 May 2021 07:23 AM (IST) Updated:Thu, 27 May 2021 07:23 AM (IST)
ब्लैक फंगस की समय पर हो सर्जरी नहीं तो जान को जोखिम-डा. दीपिका
ब्लैक फंगस की समय पर हो सर्जरी नहीं तो जान को जोखिम-डा. दीपिका

जागरण संवाददाता, पानीपत : कोरोना के केस घट रहे हैं, ब्लैक फंगस के मरीज बढ़ रहे हैं। अधिकांश मरीज पोस्ट कोविड हैं। कालांतर में एक साल में इक्का-दुक्का केस आता था, अब 20 दिनों में आठ सर्जरी कर चुकी हूं। सात मरीज रिकवर, एक मरीज की मौत हुई। उसे आठ प्रकार की बीमारियां थी। सीधा अर्थ,ब्लैक फंगस के मामूली लक्षण दिखते ही, तुरंत चिकित्सक को दिखाएं।

मॉडल टाउन स्थित रविद्रा अस्पताल और देवी मंदिर के पास स्थित महाराजा अग्रसेन सिग्नेस अस्पताल में सेवाएं दे रही कान-नाक-गला रोग विशेषज्ञ डा. दीपिका बेरवाल ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पोस्ट कोविड व्यक्ति की इम्यूनिटी काफी कमजोर हो जाती है। शुगर, रक्तचाप, मोटापा से ग्रस्त लोगों, कैंसर-एचआइवी के मरीजों, अंग प्रत्यारोपण करा चुके लोगों को ब्लैक फंगस की अधिक संभावना है। खासकर, बीमारी के दौरान जिन्हें अधिक स्टेरॉयड दिया हो या अधिक दिन वेंटिलेटर पर रहने वालों में भी ब्लैक फंगस के लक्षण मिलने की आशंका रहती है।

डा. दीपिका के मुताबिक ब्लैक फंगस नाक के जरिए गला, आंखों और जीभ के नीचे तक पहुंचता है। फंगस को यहीं कंट्रोल नहीं किया तो गला से नीचे फेफड़ों की ओर और दिमाग तक पहुंच जाता है। इससे ब्रेन डेड की पूरी आशंका है। ऐसी स्थिति में मरीज की मौत हो सकती है। यलो और सफेद फंगस का एक भी मरीज सामने नहीं आया है। सीटी स्कैन और एमआरआइ से किसी भी फंगस के फैलने का पता चलता है। इनकी मरीजों की कर चुकी सर्जरी

1.खतौली उप्र. वासी 52 साल का पुरुष। एक आंख बंद हो गई थी, नाक में फंगस और दर्द था।

2. शामली निवासी 53 साल के पुरुष। एक आंख की रोशनी चली गई थी। फंगस सिर की ओर बढ़ रहा था।

3. पानीपत वासी 64 साल के पुरुष। फंगस आंखों से सिर की ओर बढ़ रहा था। पोस्ट कोविड बीमारी।

4. शहर वासी 64 साल की महिला। कोरोना पाजिटिव, शुगर की रोगी। आखों की रोशनी नहीं गई थी, अब उपचाराधीन।

5. शहर के एक अस्पताल से रेफर होकर आया 33 वर्षीय युवक। पोस्ट कोविड, शुगर का मरीज। जीभ के नीचे घाव और सफेद निशान, दांतों में मवाद।

6. सिग्नेस अस्पताल में उपचाराधीन पुरुष। फंगस से आंखों की रोशनी चली गई थी। समय पर सर्जरी हुई, अब ठीक।

7. समालखा वासी व्यक्ति दिल्ली के अस्पताल से ऑपरेट होकर आए। जीभ के नीचे फंगस आ गई थी, मेडिकल मैनेजमेंट के लिए मेरे पास आए। यह है व्हाइट फंगस

व्हाइट फंगस को चिकित्सीय भाषा में कैंडिडियासिस कहते हैं। गहन चिकित्सा यूनिट में दाखिल और एंटी बायोटिक मेडिसिन ले रहे मरीजों को होने की संभावना रहती है। यह है यलो फंगस

यलो फंगस को चिकित्सीय भाषा में म्यूकर सैप्टिकस कहते हैं। नाक साफ करते समय घाव हो जाए तो यह उसे भरने नहीं देता। मवाद बन जाती है। लापरवाह बरती तो यह बढ़ता रहता है। ब्लैक फंगस के लक्षण

-नाक और सिर में दर्द

-चेहरे के एक हिस्से में दर्द-सूजन

-चेहरा काला और सुन्न पड़ना

-पलकों में सूजन, दांत हिलना

-फेफड़ों पर वार तो श्वास लेने में दिक्कत

-कफ के साथ खून आना

chat bot
आपका साथी