हरियाणा में चावल घोटाला दबाने का पर्दाफाश, बाहरी राज्‍यों से आ रहे ट्रक पकड़े

शराब के बाद हरियाणा में चावल घोटाले का पर्दाफाश हुआ है। इसके लिए उत्तर प्रदेश बिहार और पंजाब से आ रहा पीडीएस का चावल पकड़ा गया। प्रशासन ने रंगे हाथ ट्रक पकड़े।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Tue, 07 Jul 2020 01:52 PM (IST) Updated:Tue, 07 Jul 2020 01:52 PM (IST)
हरियाणा में चावल घोटाला दबाने का पर्दाफाश, बाहरी राज्‍यों से आ रहे ट्रक पकड़े
हरियाणा में चावल घोटाला दबाने का पर्दाफाश, बाहरी राज्‍यों से आ रहे ट्रक पकड़े

पानीपत/करनाल, [अश्विनी शर्मा]। करोड़ों के चावल घोटाले में परत-दर-परत सच्चाई सामने आनी शुरू हो गई है। दैनिक जागरण ने सोमवार को पड़ताल के दौरान पाया कि सार्वजनिक वितरण प्रणाली यानी पीडीएस का चावल उत्तर प्रदेश, बिहार और पंजाब से आ रहा है। जागरण संवाददाता ने राजधानी में बैठे खाद्य आपूर्ति विभाग के आला अधिकारियों को मामले से अवगत कराया और उनके निर्देश पर बनी प्रशासनिक टीम को उत्तर प्रदेश से आए पीडीएस के चावल से भरे दो ट्रक  रंगे हाथों पकड़वाए भी। यह दोनों ट्रक ङ्क्षपगली रोड स्थित धर्मकांटे पर खड़े थे। इसके साथ ही कुछ ट्रक वजन करवाकर अपने गंतव्य की ओर जा रहे थे। उनमें भी दूसरे राज्यों का चावल था। 

ध्यान रहे कि इस क्षेत्र में कई राइस मिल हैं। अलबत्ता इसकी जानकारी खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास व उपायुक्त निशांत यादव को दी गई। इस पर कड़ा संज्ञान लेते हुए पीके दास ने उपायुक्त निशांत यादव को जांच के निर्देश दिए। डीसी ने भी तुरंत एसडीएम नरेंद्र पाल मलिक के नेतृत्व में टीम गठित कर मौके पर भेजी। फिर उन दोनों मिलों की फिजिकल वेरीफिकेशन करवाई गई, जहां इन दोनों ट्रकों का चावल उतारा जाना था। 

धान का नहीं था दाना, बस बिना प्रोसेसिंग का माल भरा था बोरियों में 

एसडीएम नरेंद्र पाल मलिक ने जब ङ्क्षपगली रोड स्थित बालाजी राइस मिल व कैथल रोड स्थित इंडिया राइस मिल की जांच कीतो पाया कि वहां धान का एक दाना नहीं था। वहां हरियाणा सरकार सहित उत्तर प्रदेश, बिहार व पंजाब सरकार के नाम से अंकित कट्टों में चावल भरा था। मलिक ने कहा कि जांच पूरी होने के बाद ही बताया जा सकेगा कि कट्टों में भरा चावल कहां से आया है। स्टाक का मिलान भी किया जा रहा है। 

90 प्रतिशत से कम सप्लाई देने वाली सभी राइस मिलों की होगी जांच : दास  

खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने इस पूरे मामले को बेहद गंभीरता से लिया है। उन्होंने कहा कि सरकारी धान की कुटाई करने वाली  उन सभी राइस मिलों की फिजिकल वेरिफिकेशन होगी, जिन्होंने अभी तक 90 प्रतिशत से कम सरकारी चावल की सप्लाई दी है। फिजिकल वेरिफिकेशन में उपायुक्त को भी शामिल कर लिया गया है। जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक (डीएफएससी) को साफ निर्देश हैं कि जांच में कोताही बरतने पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

ये था मामला

सरकार राइस मिलरों को कांट्रेक्ट के तहत धान उपलब्ध कराती है। मिलरों को इसका चावल निकालकर सरकार को देना होता है। यह कुल धान का करीब 67 फीसद होता है। करनाल में 316 मिलरों को कुल 15.29 लाख टन धान उपलब्ध कराया गया। तय नियम के अनुसार मिलरों को 10.58 लाख टन चावल सरकार को 30 जून तक देना था। लेकिन निर्धारित अवधि में सरकार के पास जमा हुआ महज साढ़े सात लाख टन चावल। शेष करीब 3.08 लाख टन चावल में गोलमाल हो गया। लॉकडाउन के राइस मिलर चावल महंगे दामों में मार्केट में बेच गए। अब दूसरे राज्यों का सार्वजनिक वितरण प्रणाली का राशन दो नंबर में सस्ते दामों पर खरीदकर उसे सरकार को देकर अपने कोटे का स्टॉक पूरा करने की कवायद चल रही है। यह घोटाला अनुमानित 100 करोड़ का है।

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