Mustard Oil Price: दीवाली के पहले बड़ी राहत, सरसों और रिफाइंड तेल के दामों में गिरावट

सरसों का भाव 15 रुपये तक नीचे आ गया है। रिफाइनरी का भाव भी कम हुआ है। उपभोक्ताओं की मांग ड्यूटी कम होने के मुताबिक रेट कम हो। दीवाली के दिनों में दालों में भी भाव कम होने के आसार। आम उपभोक्‍ताओं को बड़ी राहत मिल सकती है।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Tue, 26 Oct 2021 08:53 AM (IST) Updated:Tue, 26 Oct 2021 12:35 PM (IST)
Mustard Oil Price: दीवाली के पहले बड़ी राहत, सरसों और रिफाइंड तेल के दामों में गिरावट
सरसों और रिफाइंड तेल के दामों में गिरावट आने लगी है।

पानीपत, जागरण संवाददाता। लंबे समय के बाद सरसों के तेल और रिफाइंड के दाम में कमी दर्ज की गई है। 190 रुपये प्रति लीटर का भाव पार कर चुका सरसों का तेल 175 रुपये बिक रहा है। थोक किराना मर्चेंट दामों में कमी आने का कारण आयात शुल्क में की गई कटौती को मान रहे हैं। 155 रुपये प्रति लीटर में बिक रहा रिफाइंड अब 150 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया है। त्योहारी सीजन में यह कीमतें रसोई को राहत देने वाली हैं। अरहर समेत विभिन्न दालों की कीमतें भी कम हुई हैं।

रिफाइंड की कीमतें भी फिसलीं

लंबे समय बाद सरसों तेल की कीमतों में कमी आई है। रिफाइंड की कीमतें भी घटी हैं। अब सरसों का तेल 175 रुपये लीटर आ गया है। वहीं, रिफाइंड डेढ़ सौ प्रति लीटर पहुंचा है। सरकार ने 15 रुपये किलो आयात ड्यूटी कम की है। उसके बाद भी बड़ी कंपनियों ने रिफाइंड के भाव 5-6 रुपये कम किए हैं। 15 रुपये कम किए जाने चाहिए।

दालों में 4-5 रुपये किलो का मंदा

थोक कारोबारी राकेश गर्ग ने बताया कि दालों में 4-5 रुपये किलो का मंदा दर्ज किया गया है। इस प्रकार त्योहारों में लोगों को दाल, रिफाइंड, व अन्य खाद्य तेल के दाम घटने से राहत मिलेगी।

फुटकर मंडी का हाल

खाद्य तेल---------------पहले--------अब

फारच्यून रिफाइंड------155---------145 से 150

(नोट : कीमत प्रति लीटर में है)

दालें भी हुईं ढीली

दाल--------------एक माह पहले-----अब

अरहर दाल-------100----------------95

चने की दाल------75------------------72

मूंग दाल धुली-----97------------------95

छोला अव्वल------106---------------105

(नोट : कीमत प्रति किलोग्राम में है)

इसलिए महंगा हो गया था तेल

दरअसल, सरसों की फसल को किसानों ने मंडी में बेचा नहीं। क्योंकि वहां पर एमएसपी पर कीमत मिल रही थी। जबकि बाजार भाव उससे दो से तीन गुना था। किसानों ने सीधे बाजार में सरसों की फसल बेची। इस वजह से सरकारी कंपनी को फसल नहीं मिली। बाजार में व्यापारियों ने फसल खरीदी तो तेल भी महंगा ही बाजार में पहुंचा। हालांकि किसानों को जरूर इसका बड़ा फायदा हुआ।

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