Fraud News: यमुनानगर में फर्जी दस्तावेज पर रजिस्ट्रियां, अधिकारियों ने मामले को दबाने का किया प्रयास, केस दर्ज
यमुनानगर मेंअवैध कालोनियों में फर्जी लेटर हेड पर हुई रजिस्ट्री के मामले को नगर निगम अधिकारी दबाने की जुगत में है। बता दें कि नगर निगम के डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर की शिकायत पर 27 जून को गांधीनगर थाना पुलिस ने केस दर्ज किया था।
यमुनानगर, जागरण संवाददाता। यमुनानगर मेंअवैध कालोनियों में फर्जी लेटर हेड पर हुई रजिस्ट्री के मामले को नगर निगम अधिकारी दबाने की जुगत में है। यही कारण है कि आज तक पुलिस को मामले से संबंधित आवश्यक दस्तावेज उपलब्ध नहीं करवाए गए। जबकि केस दर्ज होने के बाद 28 जून को पुलिस ने लिखित में लेटर देकर रजिस्ट्रियों संबंधित दस्तावेजों की मांग की थी। तीन माह बाद भी स्थिति जस की तस है। बता दें कि नगर निगम के डिप्टी म्युनिसिपल कमिश्नर की शिकायत पर 27 जून को गांधीनगर थाना पुलिस ने केस दर्ज किया था। इसके बाद केस आर्थिक अपराध शाखा को ट्रांसफर कर दिया था।
यह था मामला
नगर निगम के फर्जी लेटर हैड पर अवैध कालोनी में रजिस्ट्री करवाने से संबंधित फर्जीवाड़े का पता उस समय लगा। जब तीन महिलाओं के नाम से रजिस्ट्री से पहले तस्दीक कराने के लिए फाइल जमा कराई। लगातार ऐसे तीन लेटर मिलने के बाद जांच में सामने आया कि नगर निगम का लेटर हेड फर्जी है। उस पर साइन नकली थे। यहां तक कि क्रमांक नंबर तक गलत लगाया गया था। जिसके बाद ही नगर निगम तत्कालीन कमिश्नर की ओर से एसपी कमलदीप गोयल को इस संबंध में पत्र भेजा गया था।
व्यवस्था पर उठ रहे सवाल
दरअसल, प्लाट की रजिस्ट्री कराने के लिए निगम की ओर से अनापत्ति प्रमाण पत्र लेना जरूरी होता है। जो इस बात का प्रमाण होता हैं कि रजिस्ट्री के लिए यह कालोनी सभी नियमों पर खरी है। अवैध कालोनी की रजिस्ट्री नहीं हो सकती। रजिस्ट्री कराने के लिए ही यह फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए। आखिर निगम अधिकारी पुलिस को रिकार्ड उपलब्ध करवाने में गुरेज क्यों रहे है। ऐसे में व्यवस्था पर भी सवाल उठ रहे हैं। फर्जीवाड़े में नगर निगम के कर्मचारियों की भी मिलीभगत की संभावना से भी इंकार नहीं किया जा सकता।
पार्षद बोले- होनी चाहिए जांच
फर्जी लेटर हेड पर अवैध कालोनियों में हो रही रजिस्ट्रियों के मामले मामले में पार्षदों ने निष्पक्ष जांच की मांग कर रहे हैं। पार्षद निर्मल चौहान, पार्षद देवेंद्र कुमार व पार्षद विनोद मरवाह का कहना है कि इस मामले को दबाने का प्रयास किया जा रहा है। आज तक जांच के लिए पुलिस को रिकार्ड उपलब्ध न करवाने के पीछे आखिर क्या कारण है? इसकी जांच होनी चाहिए। हो सकता है इसमें राजनीतिक रसूखदारों की भी संलिप्तता हो। क्योंकि राजनीतिक रसूख व व्यवस्था में खामियां अवैध कालोनियों के पनपने का कारण बन रही हैं। इन कालोनियों में प्लाट खरीदकर लोग फंस जाते हैं। जबकि खरीद-फरोख्त से जुड़े लोग मोटी कमाई कर रहे हैं।
जांच अधिकारी जनकराज ने बताया कि अवैध कालोनियों में फर्जी लेटर हेड से रजिस्ट्री संबंधी मामले में अभी तक नगर निगम की ओर से रिकार्ड उपलब्ध नहीं करवाया गया है। केस की तफ्तीश के लिए रजिस्ट्रियों से संबंधित रिकार्ड चाहिए। इस संबंध में निगम अधिकारियों को 28 जून को पत्र लिखा था।रिकार्ड के आधार पर ही आगामी कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।