World Women`s Day Special: हाथ में बंदूक लेकर खेती करने वाली महिला, पढि़ए हौसले की ये कहानी

महिला दिवस में पढि़ए पानीपत की महिला किरण रावल के बारे में। किरण रावल यमुना के अंदर खेत में हथियार लेकर खेती करती है। पति भूतपूर्व सैनिक हैं। वहीं किरण मर्दानी बनकर काम करती है। गोयला खुर्द की सरपंच भी रही।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Mon, 08 Mar 2021 07:26 AM (IST) Updated:Mon, 08 Mar 2021 04:42 PM (IST)
World Women`s Day Special: हाथ में बंदूक लेकर खेती करने वाली महिला, पढि़ए हौसले की ये कहानी
गांव गोयला खुर्द की पूर्व सरपंच किरण रावल।

पानीपत [एसके त्‍यागी]।  आज महिला दिवस है। आपको ऐसी महिला से मिलवाते हैं, जो हथियार लेकर खेती करती है। ये हैं बापौली ब्लॉक के गांव गोयला खुर्द की पूर्व सरपंच किरण रावल। महिला होते हुए कभी कमजोर साबित नहीं होने दिया। पति हरि सिंह फौज में रहे हैं। खेतों की रखवाली के लिए किरण बंदूक लेकर चलती हैं। ट्रैक्टर व बाइक भी चलाना जानती हैं।

किरण रावल ने बताया कि उसकी आठ बेटियां और एक बेटा है। एक बेटी की हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है। सभी बेटियों की शादी हो चुकी है, जिसमें से एक बेटी की शादी के बाद हार्ट अटैक से मौत हो चुकी है। दो बेटियां और बेटा पुलिस में है। मैं कक्षा 10 पास हूं, इसलिए पढ़ाई का महत्व समझती थी। बेटियों का पालन-पोषण भी उसी तरह से किया कि नाम रोशन करें।

 

जमीन पर कब्‍जे का रहता है डर

यमुना नदी के किनारे दो एकड़ भूमि है। उत्तर प्रदेश के गांव टांडा के किसान सीमा विवाद के चलते भूमि पर कब्जा करने के प्रयास में रहते हैं। इसलिए हाथों में बंदूक थामनी पड़ गई। इसी बंदूक से वे ठीकरी पहरा देने वालों की सुरक्षा भी करती हैं। किरण के मुताबिक घर के कामकाज सहित खेतीबाड़ी का काम खुद ही करती हैं। माता-पिता और भाई-बहन की मौत हो चुकी है। मायके की खेती सहित दूसरे कार्य भी खुद संभालती हैं।

चौथे नंबर की लडक़ी का नाम रखा भतेरी

किरण रावल ने बताया कि चौथे नंबर की बेटी जन्मी तो नाम भतेरी रखा गया। स्वजनों को लड़के की चाहत थी।ईश्वर को कुछ मंजूर था,भतेरी के बाद चार बेटियां और जन्मी। इसके बाद नौवें नंबर पर बेटा पैदा हुआ। बेटा-बेटी में कोई फर्क नहीं समझा।

खेलकूद में लेती रही हिस्सा

गांव सरपंच बनने के बाद पंचायत विभाग की महिला खेलकूद प्रतियोगिताओं में भी किरण रावल हिस्सा लेती रही। रेस में वह प्रथम स्थान प्राप्त करती थी। सबसे पहले उन्होंने ही अपनी बेटियों को गांव से बाहर पानीपत भेजा था।

डीसी ने दिए थे सोने के सिक्के

किरण रावल ने बताया कि सरपंच के पद रहते हुए गांव के सरकारी स्कूल को अपग्र्रेड करवाया ताकि लड़कियों को बाहर पढ़ने न जाना पड़े। बेटियों को शिक्षित बनाने के लिए जागरूकता अभियान चलाए। तत्कालीन डीसी एमआर आनंद ने सोने के दो सिक्के देकर सम्मानित किया था।

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