Ramlila 2021: अंबाला में अंग्रेजों के जमाने की रामलीला, मशाल जलाकर करते थे मंचन, बैलगाड़ी में आते थे लोग
अंबाला में अंग्रेजों के जमाने की रामलीला आज भी जारी है। अंग्रेजों के समय यहां पर मशाल जलाकर कलाकार मंचन करते थे। दूर-दूर से बैलगाड़ी से लोग रामलीला देखने के लिए आते थे। 25 साल रंजीत ने रावण का किरदार निभाया।
नारायणगढ़(अंबाला), संवाद सहयाेगी। नारायणगढ़ में अंग्रेजों के जमाने में कभी रामलीला का मंचन मशाल की रोशनी में होता था। आसपास के गांवों से लोग बैलगाड़ी, ट्रैक्टर ट्रालियों में रामलीला देखने के लिए आते थे। समय बदला और इसके साथ ही मंचन का अंदाज भी बदल गया। श्री सनातन धर्म महावीर दल द्वारा रामलीला का आयोजन किया जाता है, जिसकी स्थापना पन्नू कौशिक ने दशकों पहले की थी। आज यही संस्था अपनी संस्कृति को जिंदा रखते हुए लोगों तक रामकथा पहुंचा रही है।
इसके कलाकार भी आयोजन को लेकर तैयारियां पहले से करते हैं। लोगों की जुबान पर आज भी रंजीत कपूर का नाम है, जिन्होंने 25 साल तक रावण का किरदार निभाया था।
उम्र 92 साल की हो चुकी है, लेकिन आज भी याद है कि जब पहली बार रावण का रोल निभाया था। लगातार 25 साल तक इस किरदार को मंच पर जीवंत किया। रात को शुरु हुई रामलीला सुबह चार बजे तक चलती थी और लोग भी मंचन देखने बैठे रहते थे। क्रेज आज भी है, लेकिन बारह बजे तक मंचन देखने के लिए लोग रुकते काफी कम हैं।
- रंजीत कपूर, पूर्व प्रधान
साल 1972 में शत्रुघ्न का किरदार निभाने से शुरूआत की थी। हर कलाकार को अपना पार्ट और डायलाग याद रखने पड़ते हैं। मैंने दशरथ, मेघनाद, सुलोचना, भीलनी आदि के किरदार निभाए हैं। अब बतौर निर्देशक काम करता हूं। आज मंचन का तरीका बदल गया है, जबकि पहले डायलाग याद करने पड़ते थे, लेकिन आज मदद हो जाती है।
- ओम प्रकाश आहूजा, निर्देशक
दशरथ, गुरु वशिष्ठ और हनुमान का किरदार निभाता आ रहा हूं। रामायण के पात्रों की एक मर्यादा होती है और इस में काफी ख्याल रखा जाता है। जमीन पर सोना और खानपान पर विशेष ध्यान रखते हैं। पहले और आज के दौर की रामलीला मंचन में काफी बदलाव आ चुका है।
- अरूण कुमार कलाकार
बारह साल से महावीर हनुमान का रोल निभाया, जबकि राजा जनक, मुनि वशिष्ठ के किरदार भी निभाये। पिता जी मंचन से जुड़े थे और निर्देशन में रुचि बढ़ी। अब स्टेज निर्देशक के तौर पर काम कर रहा हूं।
- सतीश अग्रवाल, स्टेज निर्देशक
मंचन के दौरान भजन गायन से शुरुआत की थी, जिसके बाद सीता का रोल 8 साल निभाया। आज भी रामलीला मंचन से जुड़ा हूं और साल भर इंतजार रहता है। इस सफर के दौरान कैकेई जनक मंत्री, ऋषि श्रंगी, सुलोचना का रोल भी निभाया है। हमें अपनी परंपराओं को जीवित अवश्य रखना चाहिए।
- तरसेम कौशिक, उपनिर्देशक