जींद में बद्दोवाल टोल धरने पर पहुंचे किसान नेता नरेश टिकैत, चौधरी घासीराम नैन को दी श्रद्धांजलि

घासीराम नैन की आज पुण्‍य तिथि है। किसानो की हक की आवाज उठाते हुए कई बार जेल भी गए थे चौधरी घासीराम नैन। हरियाणा के तीनों लाल की सरकार में किये आंदोलन। आज उनकी श्रद्धाजंलि सभा में नरेश टिकैत जींद पहुंचे।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 12:19 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 12:19 PM (IST)
जींद में बद्दोवाल टोल धरने पर पहुंचे किसान नेता नरेश टिकैत, चौधरी घासीराम नैन को दी श्रद्धांजलि
किसान नेता चौधरी घासीराम नैन की आज पुण्‍यतिथि।

जींद, जागरण संवाददाता। चाहे सरकार किसी की भी रही हो, किसानों के आंदोलन हर सरकार में हुए हैं। हरियाणा के सबसे बड़े किसान नेता चौधरी घासीराम नैन ने हरियाणा के तीनों लाल यानी भजन लाल, बंसी लाल और देवीलाल की सरकार में फसलों के रेट और बिजली बिलों को लेकर आंदोलन किए। आंदोलनों के माध्यम से सरकारों को किसानों की मांगे मानने पर मजबूर किया। घासीराम नैन की 20 सितंबर को चौथी पुण्यतिथि है। उनकी पुण्यतिथि पर बद्दोवाल टोल धरने पर श्रद्धांजलि सभा की जा रही है। इसमें नरेश टिकैत समेत बड़े किसान नेता शामिल हुए हैं।

घासीराम नैन के संघर्ष के साथी रहे कैथल जिले के दुदवा गांव के जियालाल ने बताया कि घासीराम नैन नरम स्वभाव के व्यक्ति थे और कभी भी वे गुस्सा नहीं होते थे। वह किसानो की हक की लड़ाई लड़ते हुए कई बार जेल में भी गए। लेकिन कभी भी सरकारों के आगे झुके नहीं। ओमप्रकाश चौटाला की सरकार में भी बिजली आंदोलन हुआ। इसमें किसानों के बिजली बिल माफ करने को लेकर घासीराम नैन आंदोलन में काफी सक्रिय रहे थे। बिजली बिलों को लेकर ही साल 2002 में कंडेला कांड हुआ था। जिसमें कई किसान मारे गए थे।

ऐसे शुरू हुआ संघर्ष

जियालाल बताते हैं कि घासीराम अच्छे पढ़े लिखे थे। वह पढ़ाई के बाद तहसीलदार लग गए थे। लेकिन उन्होंने नौकरी छोड़ दी थी और गांव में आकर खेती करने लगे थे। नरवाना में उनकी पशुओं की डेयरी भी थी। 1975 में बंसीलाल सरकार में किसानों को गेहूं घर में रखने के बजाय सरकार को देना होता था। घासीराम ने गेहूं बेचने से इंकार कर दिया था। जिस पर प्रशासन की तरफ से बार-बार गेहूं बेचने के लिए दबाव बनाया गया। बाद में कुछ अधिकारियों के कहने पर घासीराम मंडी में गेहूं बेचने गए, तो उनके गेहूं को रिजेक्ट कर दिया गया। जिससे घासीराम को महसूस हुआ कि अकेला व्यक्ति कुछ नहीं कर सकता। इसलिए किसानों को एकजुट कर यूनियन बनाई जाए, जो किसानों की हक की आवाज उठाए। 1980 में उनके प्रयासों हैदराबाद में एक कार्यक्रम हुआ, जिसमें देशभर के विभिन्न किसान संगठनों को बुलाया और भारतीय किसान यूनियन का गठन किया। 1985 में वे भारतीय किसान यूनियन के हरियाणा के अध्यक्ष बने।

हुड्डा सरकार में भी किया आंदोलन

स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट लागू करवाने और किसानों को फसलों का लागत मूल्य के साथ 50 फीसद लाभ की मांग को लेकर घासीराम ने हुड्डा सरकार के दूसरे कार्यकाल के दौरान भी आंदोलन किया था। वह अनशन पर बैठ गए थे। उस समय सांसद दीपेंद्र हुड्डा और नवीन जिंदल के साथ साथ तत्कालीन हरियाणा सरकार में मंत्री रणदीप सुरजेवाला उनसे मिले थे। उन्होंने संसद में किसानों को लाभकारी मूल्य दिलाने के लिए आवाज उठाने का आश्वासन देते हुए अनशन समाप्त करवाया था। दीपेंद्र हुड्डा ने संसद में यह मांग उठाई हुई थी लेकिन वह अलग बात है कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार में स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू नहीं किया गया था। फसलों पर लाभकारी मूल्य देने की मांग किसानों की अब भी जारी है।

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