अध्यापिका की नौकरी छोड़ महिलाओं को बना रहीं आत्म निर्भर, 13 हजार से ज्‍यादा को दिखा चुकी स्‍वरोजगार की राह

यमुनानगर में एक महिला ने अध्‍यापिका की नौकरी छोड़ आत्‍मनिर्भरता की तरफ कदम बढ़ाया। राजकुमारी ने अब तक तक 13 हजार से ज्‍यादा महिलाओं को स्‍वरोजगार की दिशा दिखाई है। 03 विषयों में एमए व बीएड पास है राजकुमारी।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Fri, 26 Feb 2021 04:28 PM (IST) Updated:Fri, 26 Feb 2021 04:28 PM (IST)
अध्यापिका की नौकरी छोड़ महिलाओं को बना रहीं आत्म निर्भर, 13 हजार से ज्‍यादा को दिखा चुकी स्‍वरोजगार की राह
यमुनानगर की राजकुमारी हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर आत्‍मनिर्भर बना रहीं महिलाओं को।

यमुनानगर, [संजीव कांबोज]। तीन विषयों में एमए व बीएड करने के बाद मिली अध्यापिका की नौकरी छोड़कर रादौर की राजकुमारी ने महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने का बीड़ा उठा लिया। हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर अब तक करीब 13 हजार महिलाओं को स्वराेजगार की दिशा दिखा चुकी हैं। ऐसी महिलाओं की संख्या कम नहीं है जो बेहतर तरीके से अपना व्यवसाय कर रही हैं। उनसे प्रशिक्षण लेकर विभिन्न प्रकार के उत्पाद तैयार कर रही हैं। फिलहाल राजकुमारी ब्लॉक प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर काम कर रही हैं। न केवल ड्यूटी टाइम बल्कि छुट्टी के दिन भी महिलाओं को स्वरोजगार का पाठ पढ़ाती हैं।

 

2002 में शुरू किया था पहला ग्रुप

दैनिक जागरण से बातचीत के करते हुए राजकुमारी ने बताया कि वह वर्ष 2002 में दिशा संस्था से जुड़ी। कृषि विविधकरण परियोजना के तहत काम करने के लिए स्वयं सहायता समूह बनाने की शुरुआत की। उस दौरान वह उप्र के नकुड़ गांव में रहती थी और दिशा संस्था में ब्लॉक लेवल फंक्शनरी के पद पर काम करती थी। लगातार 11 वर्ष तक सेवाएं देने के बाद 2013 में हरियाणा के मेवात जिले में हरियाणा राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन में ब्लॉक प्रोग्राम ऑफिसर के पद पर नियुक्ति हुई। उसके बाद पंचकुला, पिंजौर, हिसार के नारनौंद में स्वयं सहायता समुह बनाए। इन दिनों रादौर में कार्यरत हैं।

महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने की जिद

राजकुमारी ने बताया कि उसने समाज शास्त्र व संस्कृत विषय में एमए करने के बाद एमएसडब्ल्यू की डिग्री ली। बीएड करने के बाद सरकारी स्कूल में नियुक्ति हो गई थी, लेकिन ज्वाइन नहीं किया। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की जिद ने उनको इस शिक्षा के क्षेत्र में करियर बनाने से रोक दिया। उनके मन में केवल एक ही बात थी कि अपनी पढ़ाई का सदुपयोग महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने में करूंगी। यह उसने कर दिखाया है। उसने 1100 समुह सहायता समुह बना दिए। एक समुह में 11 महिला सदस्य हैं। इससे एक-दो अधिक भी हो सकती हैं। 60 फेडरेशन बना दिए।   

इन कार्यों के लिए देती प्रशिक्षण  

स्वरोजगार के लिए मशरूम उत्पादन, अचार-मुरब्बा, जैम, जैली, बैग, बी-कीपिंग, मत्स्य पालन, सिलाई कढ़ाई, लड़ियां, प्लावर मेकिंग, मिठाई, बुनाई, मसाले पीसने सहित अन्य कई उत्पाद तैयार करने का प्रशिक्षण दिया गया। उनका कहना है कि महिलाएं आज किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं। यदि उनको सही प्लेटफार्म मिले तो बेहतर काम कर सकती हैं।

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