Flood Alert: मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बारिश ने बढ़ाई चिंता, यमुना का बढ़ रहा जलस्‍तर, टूटने लगे तट

यमुना नदी का जलस्‍तर लगातार बढ़ रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बारिश ने यमुना के किनारे के गांवों के लोगों की चिंता बढ़ा दी है। पहाड़ी क्षेत्रों से आ रहे पानी से यमुना का जलस्‍तर बढ़ रहा है। जलस्‍तर बढ़ने से यमुना के तट भी टूट रहे।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Thu, 29 Jul 2021 04:27 PM (IST) Updated:Thu, 29 Jul 2021 04:27 PM (IST)
Flood Alert: मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बारिश ने बढ़ाई चिंता, यमुना का बढ़ रहा जलस्‍तर, टूटने लगे तट
यमुनानगर क्षेत्र में यमुनानदी का बढ़ा जलस्तर।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। मैदानी और पहाड़ी क्षेत्रों में हो रही बारिश से यमुना नदी का जलस्‍तर बढ़ रहा। हथनीकुंड बैराज से छोड़े गए पानी से यमुना नदी का जलस्तर करीब डेढ़ लाख क्यूसिक तक पहुंच गया। पानी जठलाना गुमथला क्षेत्र में देर रात तक पहुंचा। इससे आसपास के तट भी टूटने लगे। तट टूटने की वजह से किसानों की चिंता बढ़ गई। अगर इससे अधिक पानी होता है तो फसलें बर्बाद हो जाएंगी और कटाव शुरू हो जाएगा।

गुरुवार की सुबह किसानों की चिंता बढ़ा गई। यमुना नदी के बढ़े जलस्तर को देखने के लिए क्षेत्र के किसान किनारे पर पहुंच गए। नदी का जलस्तर किनारों तक आ पहुंचा है। किसानों को डर सता रहा है कि अगर जलस्तर और अधिक बढ़ता है तो गांव की तरफ कटाव हो सकता है।

तट भी टूटने लगे

क्षेत्र में हुई भारी बारिश के बाद अब यमुना नदी के किनारों पर बने तट भी टूटने लगे हैं। इससे सिंचाई विभाग की ओर से किसानों पर बनाए गए तटबंधों को नुकसान पहुंचना तय है। किसान बलविंद्र सिंह, सतनाम, मेहरसिंह, अमीसिंह, ज्ञानचंद इत्यादि का कहना है कि अगर समय रहते प्रशासन ने इनकी कोई सुध नहीं ली तो इससे तटबंध भी जल्द पानी की धार में बह जाएंगें। जिससे किसानों की भूमि यमुनानदी में समाना तय है।

यमुना का बदला रुख पहुंचा सकता है नुकसान

यमुनानदी के गुमथला घाट पर यमुना मंदिर के समीप यमुना नदी का बहाव गांव की आबादी की ओर हो चुका है। पिछले दिनों खनन घाट बी-16 पर खनन करने वाली एजेंसी ने यमुनानदी के अंदर की रेत स्टाक कर दिया था, जो अभी तक नहीं उठाया गया। इससे यमुनानदी का रुख वहां से पलट गया और आबादी क्षेत्र की ओर हो गया। ऐसे में अगर यमुना नदी उग्र रूप धारण करती है तो इससे आबादी क्षेत्र को नुकसान होगा।

किनारों पर दरड़ फूटने की जानकारी मिल चुकी है। इसके लिए विभाग के जेई को मौके पर भेज दिया गया है। समस्या और अधिक न बढ़े इसके लिए वहां कट्टे लगाकर इसे दुरुस्‍त करवाया जाएगा।

सतेन्द्र कुमार, एसडीओ, सिंचाई विभाग

करनाल में यमुना में बुधवार को बन गए थे बाढ़ के हालात

हालिया बरसात के बाद जिले में यमुना नदी के सीमावर्ती क्षेत्रों में जल स्तर बढ़ने को लेकर चिंता महसूस की जा रही है। हालांकि वीरवार को दिन में नदी का जलस्तर करीब 78000 क्यूसेक दर्ज किया गया। इसके बावजूद प्रशासन पूरी सतर्कता बरत रहा है।

लगातार दो दिन से हो रही बरसात के कारण बुधवार को यमुना में अचानक 159000 क्यूसेक पानी आ गया था। इसी के साथ यमुना नदी में पानी का स्तर बढ़ गया। इसे लेकर आसपास के क्षेत्र के ग्रामीणों में चिंता व भय का माहौल है। हालांकि फिलहाल पानी से सीमांत क्षेत्र के गांवों को खतरे वाली बात नहीं है क्योंकि पानी का बहाव बीच में है।

वहीं यमुना में बढ़ते पानी को देखकर लोगों का कहना है कि अगर यमुना में पानी ऐसे ही बढ़ता रहा और बरसात ऐसे ही लगातार होती रही तो क्षेत्र में बाढ़ भी आ सकती है। ग्रामीण सूरज, अशोक, दर्शन ने बताया कि जब भी यमुना में बाढ़ आती है तो उनकी फसलें खराब हो जाती हैं। बाढ़ का खामियाजा उन्हें आर्थिक नुकसान चुकाकर झेलना पड़ता है। वहीं प्रशासन भी इस बात को लेकर गंभीर है।

वहीं, एसडीएम सुमित सिहाग ने बताया कि यमुना में बुधवार को पानी 159000 क्यूसेक कुछ समय के लिए आया था। इसके बाद पानी अब घट गया है जो करीब 78000 क्यूसेक रह गया है। संभावित बाढ़ से निपटने के लिए प्रशासन पूरी तरह अलर्ट है। अगर ऐसी कोई स्थिति बनती है तो गांवों में समय-समय पर मुनादी कराकर अलर्ट किया जाता है। लोगों को पानी वाले क्षेत्र से दूर रहने के लिए कहा जाता है। इमरजेंसी सहायता के लिए नंबर उपलब्ध कराए गए हैं।

इन गांवों में ज्यादा खतरा

हर साल बरसाती मौसम में यमुना में जल स्तर बढ़ने के साथ ही इंद्री व गढ़ी बीरबल क्षेत्र के कई गांवों में बाढ़ का खतरा गहरा जाता है। इनमें चौगावां, हंसू माजरा, चंद्राव, सैय्यद छपरा, जपती छपरा, नगली, डबकौली, हलवाना रोड़ान, शेरगढ़ और नबियाबाद सहित कई गांवों में हालात ज्यादा खराब हो जाते हैं। पानी बढ़ने के कारण कई गांवों का संपर्क मुख्य मार्गों से टूट जाता है। करीब दो साल पूर्व अगस्त में तेज बारिश के चलते जब यमुना नदी में करीब आठ लाख क्यूसेक पानी आ गया था तो चंद्राव, सैयद छप्परा, जपती छपरा, डबकौली खुर्द, हलवाना रोड़ान और नगली समेत कई गांवों का संपर्क मुख्य मार्गों से टूट गया था।

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