करनाल में रेलवे स्टेशन की व्यवस्था तो बदली, लेकिन ट्रेन ठहराव की तरफ ध्यान नहीं

करनाल रेलवे स्टेशन को माडल स्टेशन का दर्जा मिलने के बाद जितनी तीव्रता से बदलाव होने चाहिए थे वहीं नहीं हो पाए साफ-सफाई व संसाधन बढ़ाए गए हैं लेकिन यात्री अब भी एक्सप्रेस ट्रेनों के ठहराव की मांग करते हैं।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Tue, 28 Dec 2021 12:35 PM (IST) Updated:Tue, 28 Dec 2021 12:35 PM (IST)
करनाल में रेलवे स्टेशन की व्यवस्था तो बदली, लेकिन ट्रेन ठहराव की तरफ ध्यान नहीं
करनाल रेलवे स्टेशन में ट्रेन ठहराव की नहीं कोई व्यवस्था।

करनाल, जागरण संवाददाता। करनाल रेलवे स्टेशन को माडल स्टेशन का दर्जा मिलने के बाद व्यवस्था में तो बदलाव हुआ, लेकिन ज्यादा नहीं। ना ही व्यवस्था परिवर्तन की वह गति देखने को मिली जो होनी चाहिए थी। करीब पांच सालों में रेलवे स्टेशन पर साफ-सफाई के साथ-साथ संसाधनों को बढ़ाने पर जोर दिया गया। कुछ प्रोजेक्ट ऐसे हैं जो पाइप लाइन में है। एक साल के अंदर वह खत्म होंगे। दावा यह किया जा रहा है कि यह स्टेशन आने वाले समय में अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस होगा। इस दावे पर यात्री सवाल खड़ा कर देते हैं। आवाज यही आती है इन सुविधाओं का तभी फायदा है जब यहां पर ट्रेनों का ठहराव होगा। स्टेशन पर आधुनिक वेटिंग रूम, मदर फीडिंग रूम, खान-पान की व्यवस्था पहले से बेहतर हुई। एफओबी को भी चालू कर दिया गया है।

करनाल स्टेशन से गुजरती हैं रोजाना 122 गाड़ियां

स्टेशन से रोजाना पूजा एक्सप्रेस, शताब्दी सहित सुपरफास्ट और पैसेंजर मिलाकर 122 गाड़ियां गुजरती हैं। इनमें से केवल 62 रेलगाड़ियां ही स्टेशन पर रुकती हैं। इनका ठहराव भी मात्र दो मिनट का ही होता है। स्टेशन पर यात्रियों की प्रतिदिन औसत संख्या करीब 15 हजार पहुंच चुकी है। करनाल स्टेशन से रेलवे को प्रतिदिन करीब 10 से 12 लाख रुपये की इनकम होती है। इसके बाद भी शहरवासियों की पुरानी मांगों पर अमल नहीं हो रहा है। दैनिक यात्रियों के आग्रह के बाद भी कालका साईनगर सुपरफास्ट एक्सप्रेस ठहराव नहीं हो रहा है। करनाल स्टेशन से रेलवे को प्रतिदिन करीब 10 से 12 लाख रुपये की इनकम होती है, इसके बाद भी शहरवासियों की पुरानी मांगों पर अमल नहीं हाे पाया है। 

124 वर्ष पुराने स्टेशन को जंक्शन का दर्जा प्राप्त नहीं

करनाल रेलवे स्टेशन ऐतिहासिक महत्व का श्रेणी का हैरिटेज स्टेट्स प्राप्त रेलवे स्टेशन है। वर्ष 1892 में ईस्ट इंडिया रेलवे द्वारा यह स्टेशन बनवाया गया था। यह स्टेशन दिल्ली-चंडीगढ़ के बीच हरियाणा के मध्य में स्थित है। 124 साल के हुए स्टेशन को अब तक जंक्शन का दर्जा नहीं मिल पाया है। 

दिखाए जा रहे हैं रैपिड मेट्रो के सपने, एक्सप्रेस गाड़ियां तक रूकती नहीं

स्थानीय यात्रियों का कहना है कि लोगों को रैपिड मेट्रो लाने के सपने दिखाए जा रहे हैं, लेकिन सच्चाई यह है कि यहां पर सभी एक्सप्रेस व सुपरफास्ट ट्रेनों तक का ठहराव नहीं है। करीब 125 वर्ष पुराने इस रेलवे स्टेशन को बेहतर बनाने के दावे तो किए गए लेकिन यह दावे कभी पूरे नहीं किए गए।

टैक्स ज्यादा, सुविधा कम

हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, पंजाब, जम्मू-कश्मीर और चंडीगढ़ के टोटल इन्कम टैक्स 35 हजार करोड़ में 55 फीसदी यानी 19 हजार करोड़ रुपये अकेले हरियाणा का योगदान है। लेकिन टैक्स ज्यादा देने के बावजूद हरियाणा को लाभ नहीं मिल रहा है। वहीं करनाल भी टैक्स देने में पीछे नहीं है। हमारे पड़ोसी राज्य पंजाब में नई दिल्ली अमृतसर शताब्दी नंबर 12029-31 के पंजाब में 225 किलोमीटर की दूरी पर छह स्टापेज हैं जबकि यह ट्रेन हरियाणा में केवल एक जगह अंबाला में ही थमती है।

क्या है स्थानीय लोगों की मांग

-रेल कोच फैक्टरी की मांग बहुत पुरानी, लोगों ने कांग्रेस सरकार में भी रोजगार के लिए इस फैक्टरी का इंतजार किया और अब जब केंद्र और हरियाणा में भाजपा सरकार है तब भी कर रही है।     

- हरियाणा सबसे अधिक इनकम टैक्स देता है, इसलिए करनाल में सभी शताब्दी व ट्रेनों का स्टापेज हो।

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