हरियाणा में राजकीय स्कूल में दाखिला लेने की इच्छा होगी पूरी, प्राइवेट स्कूल नहीं रोक पाएंगे एसएलसी
हरियाणा के राजकीय स्कूलों में दाखिला लेने के लिए अब प्राइवेट स्कूलों के चक्कर नहीं लगाने होंगे। प्राइवेट स्कूल अक्सर एसएलसी यानी स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट रोक लेते हैं। लेकिन स्कूल शिक्षा निदेशालय ने सभी डीईओ डीईईओ व बीईओ को निर्देश जारी किए। इच्छुक छात्रों को एसएलसी जल्द दिला दी जाए।
पानीपत, जेएनएन। राजकीय स्कूलों में पढऩे की इच्छा रखने वाले विद्यार्थियों के लिए अच्छी खबर है। अगर कोई विद्यार्थी राजकीय स्कूल में दाखिला लेना चाहता है। उसे प्राइवेट स्कूल संचालक एसएलसी जारी नहीं कर रहे हैं। इससे उसका दाखिला नहीं हो पा रहा है। लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। क्योंकि उसे दाखिला दिलाने के लिए संबंधित राजकीय स्कूल के शिक्षक एसएलसी जारी कराएंगे। ऐसी शिकायत आने पर स्कूल शिक्षा निदेशालय ने सख्त कदम उठाते हुए प्रदेश के सभी डीईओ, डीईईओ, बीईओ व स्कूल मुखिया को पत्र लिख राजकीय स्कूलों में दाखिला लेने के इच्छुक विद्यार्थियों को एसएलसी दिलाने के निर्देश दिए हैं।
निदेशालय के संज्ञान में आया मामला
स्कूल शिक्षा निदेशालय के पत्र के मुताबिक विभिन्न स्कूल मुखियाओं व अध्यापक संगठनों द्वारा विभाग के संज्ञान में लाया गया है कि प्राइवेट स्कूलों के बहुत से विद्यार्थी राजकीय विद्यालयों में दाखिला लेने के लिए प्रयासरत हैं, परन्तु गैर सरकारी विद्यालयों द्वारा उनका एसएलसी (स्कूल लीविंग सर्टिफिकेट) जारी न किए जाने के कारण आनलाइन दाखिला संभव नहीं हो पा रहा है। इससे विद्यार्थी व उनके अभिभावकों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। ऐसे में विभाग ने फैसला लिया है कि राजकीय स्कूलों में दाखिला लेने के इच्छुक विद्यार्थियों को तुरंत दाखिला दिया जाए।
निदेशालय ने कहा है कि संबंधित राजकीय स्कूल की ओर से दाखिला लेने के इच्छुक विद्यार्थी के पिछले स्कूल को उसके दाखिले की सूचना देते हुए 15 दिन के अंदर एसएलसी जारी करने का आग्रह किया जाए। उसमें इस बात का उल्लेख किया जाए की, यदि 15 दिनों के अंदर आनलाइन एसएलसी प्राप्त नहीं हुआ तो स्वत: ही जारी किया हुआ मान लिया जाएगा। निदेशालय का कहना है कि कोविड-19 की त्रासदी के कारण किसी भी विद्यार्थी की औपचारिक शिक्षा नकारात्मक रूप से प्रभावित नहीं होनी चाहिए। शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 की अनुपालना में विद्यार्थी अपनी इच्छा के स्कूल में शिक्षा ग्रहण करने के लिए अधिकृत हैं। निदेशालय ने उक्त मामले में सभी स्कूल मुखिया को समुचित कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।