कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की तैयारी, 10 नए आइसीयू बेड मिले

कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका है। यह बच्चों पर ज्यादा असर कर सकती है। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग तैयारी को विस्तृत रूप दे रहा है। अस्पताल को 10 नए आइसीयू (गहन चिकित्सा यूनिट) बेड मिले हैं। 14 वेंटीलेटर 75 आक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन रनिग में हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 17 Jul 2021 04:54 AM (IST) Updated:Sat, 17 Jul 2021 04:54 AM (IST)
कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की तैयारी, 10 नए आइसीयू बेड मिले
कोरोना की तीसरी लहर से निपटने की तैयारी, 10 नए आइसीयू बेड मिले

जागरण संवाददाता, पानीपत : कोरोना की तीसरी लहर आने की आशंका है। यह बच्चों पर ज्यादा असर कर सकती है। इसके चलते स्वास्थ्य विभाग तैयारी को विस्तृत रूप दे रहा है। अस्पताल को 10 नए आइसीयू (गहन चिकित्सा यूनिट) बेड मिले हैं। 14 वेंटीलेटर, 75 आक्सीजन कंसंट्रेटर मशीन रनिग में हैं। 28 बेड का आइसोलेशन वार्ड बनेगा, इसमें छह पीडियाट्रिक इंटेंसिव केयर यूनिट (पीआइसीयू) बेड होंगे। स्पेशल न्यू बोर्न केयर यूनिट में 14 बेड हैं, दो का आइसोलेशन बेड के रूप में इस्तेमाल होगा।

अस्पताल के डिप्टी एमएस डा. अमित पोरिया ने बताया कि अस्पताल में यूं तो 29 वेंटीलेटर हैं, तकनीकी स्टाफ की कमी के कारण 14 रनिग में रखे गए हैं। एपिड्यूरल इन्फ्यूजन पंप (दवा को सही मात्रा में पहुंचाने का एक सिस्टम), 10 मल्टी पैरामीटर (ब्लड प्रैशर, धड़कन, आक्सीजन लेवल बताने वाला सिस्टम), 30 नेजल प्रान, 16 नेबुलाइजर हैं। 14 एंबुलेंस कोविड-19 के लिए आरक्षित हैं। एनेस्थेटिस्ट डा. विरेंद्र ढांडा और शिशु रोग विशेषज्ञ डा. निहारिका पंचकूला में ट्रेनिग ले चुकी हैं। इनके अलावा बच्चों के आइसोलेशन वार्ड में डा. आलोक जैन, डा. रिचा सावन व डा. एकता की ड्यूटी रहेगी। सीएचसी-पीएचसी के मेडिकल आफिसर, स्टाफ नर्स, बहु-उद्देश्यीय स्वास्थ्य कर्मचारियों को ट्रेनिग दी जा चुकी है।

डा. पोरिया के मुताबिक चिकित्सकों, बायोलाजिस्ट, स्टाफ नर्स से भी उन उपकरणों की डिमांड मांगी गई थी,जो हमारे पास नहीं हैं। चीफ फार्मासिस्ट के माध्यम से डिमांड भेज दी गई है। कुछ जरूरी चीजें लोकल परचेज भी की जाएंगी। हर बेड पर होगा मानीटर

आक्सीजन लेवल व पल्स रेट को जांचने के लिए मल्टी पैरामीटर हर बेड पर रहे, यह प्लान है। अस्पताल में सेंट्रल आक्सीजन सुविधा पहले से है। तीसरी लहर को देखते हुए 12 सदस्यीय कमेटी भी बनाई गई है। बच्चों के 15 अस्पताल

जिला में बच्चों के इलाज के लिए 15 निजी अस्पताल हैं। इनके डाक्टर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आइएमए) से जुड़े हैं। तीसरी लहर में जरूरत पड़ी तो इनका भी सहयोग लिया जाएगा। बता दें कि कोरोना की पहली व दूसरी लहर में करीब 2000 बच्चे-किशोर संक्रमित मिल चुके हैं। 16 से 18 साल आयु के तीन मरीजों की मौत भी हो चुकी है। बच्चों की संख्या दो लाख

जिले में 12 वर्ष से कम आयु के बच्चों की संख्या अनुमानित दो लाख है। स्वास्थ्य विभाग इनका डाटा जुटा रहा है। शिक्षा विभाग भी 18 वर्ष की आयु से कम बच्चों किशोरों का डाटा एकत्र कर रहा है। ये कमियां पड़ सकती हैं भारी

-सिविल अस्पताल में नहीं कोई फिजिशियन।

-एसएनसीयू में मात्र 14 बेड रनिग में।

-15 वेंटीलेटर प्रशिक्षित स्टाफ के अभाव में बंद।

-आक्सीजन प्लांट का कार्य शुरुआती चरण में ही लटका।

-लाइफ सपोर्ट सिस्टम से लैस एंबुलेंस नहीं है।

-बच्चों के लिए मिनी बेड नहीं हैं।

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