पानीपत की अजब-गजब सियासत, आप भी पढ़िए क्‍यों यहां कुर्सी ही नहीं लेना चाहते पार्षद

पानीपत नगर निगम की सियासत में इस समय गर्मी। मंगलवार यानी कल होना है चुनाव। सीनियर डिप्‍टी मेयर और डिप्‍टी मेयर का होगा चुनाव। इन दोनों पदों के लिए पार्षदों में ज्‍यादा उत्‍साह नहीं। काम होते नहीं इसलिए पद भी नहीं लेना चाहते।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 12:29 PM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 12:29 PM (IST)
पानीपत की अजब-गजब सियासत, आप भी पढ़िए क्‍यों यहां कुर्सी ही नहीं लेना चाहते पार्षद
पानीपत नगर निगम सीनियर डिप्‍टी मेयर और डिप्‍टी मेयर का चुनाव।

पानीपत, जेएनएन। क्या कभी आपने सुना है कि किसी नेता को कोई पद दिया जाए और वो इसे लेने से ही इन्कार कर दे। कुर्सी पर बैठने की उसकी इच्छा ही न हो। नहीं न। पर पानीपत में ऐसा हो रहा ह। पानीपत की सियासत में यह अजब-गजब रंग देखने को मिल रहे हैं। मंगलवार को सीनियर डिप्टी मेयर और डिप्टी मेयर का चुनाव होना है। नगर निगम में 26 पार्षद हैं और सभी भाजपाई। यानी जिन भी दो नेताओं को ये पद मिलेगा वो भाजपाई ही होंगे। लेकिन अजब पेंच ये है कि कुछ पार्षद चाहते ही नहीं कि उन्हें ये पद मिले।

दरअसल, पानीपत नगर निगम की सियासत ऐसी है कि किसी नेता की चलती ही नहीं। पार्षद तो पार्षद, मेयर तक की बात नहीं सुनी जाती। मेयर के पिता भूपेंद्र सिंह खुद पूर्व मेयर हैं। एक सड़क बनवाने के लिए धरना तक दे दिया। वो सड़क बननी तो दूर, टेंडर तक नहीं लगा। पार्षद कहते हैं कि जब मेयर की नहीं चलती तो हमारी कौन सुनेगा। कुर्सी लेकर लोग ताने ही मारेंगे। कहेंगे कि वोट बनाकर पार्षद और डिप्टी मेयर बनवाया। काम होता नहीं। नकारात्मक छवि न बन जाए, इसलिए पद लेना ही नहीं चाहते।

अपने ही बिल ठीक कराने के लिए लाइन

पार्षदों से उम्मीद होती है कि वे आम जन की समस्याओं का समाधान कराएंगे। पर पानीपत नगर निगम में हालात ही उलट हैं। पार्षदों को अपने प्रापर्टी टैक्स के बिल ठीक कराने के लिए लाइन में लगना पड़ा। कई-कई दिन तक चक्कर काटने पड़े। यही पार्षद कहते हैं कि क्या फायदा हुआ एमसी बनने का। कोई उन्हें पूछता ही नहीं है।

नांगरू, कटारिया का नाम सबसे आगे

वैसे सीनियर डिप्टी मेयर के लिए लोकेश नांगरू का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। इसके बाद डिप्टी मेयर के लिए अशोक कटारिया का नाम है। अगर इन दो के अलावा किसी का नंबर लगता है तो संजीव दहिया, शिवकुमार और रवींद्र भाटिया को नाम आ सकता है। नांगरू संघ से जुड़े हैं तो कटारिया लगातार दूसरी बार पार्षद बने हैं। रवींद्र भाटिया की संगठन में पकड़ है।

chat bot
आपका साथी