Transplantation of Sugarcane: धान की तर्ज पर होगी गन्ने की रोपाई, खर्च कम, अव्वल पैदावार

सिंगल आइ बड तकनीक से गन्ना रोपाई के लिए बड कटर से गन्ने की आंखें काट ली जाती हैं। उसके बाद उनको उपचारित किया जाता है। उसके बाद उसको क्यारियों में रोप दिया गया। कुछ किसान ट्रे में भी रोपते हैं। 20-25 दिन में यह नर्सरी तैयार हो जाएगी।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 05:46 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 05:46 PM (IST)
Transplantation of Sugarcane: धान की तर्ज पर होगी गन्ने की रोपाई, खर्च कम, अव्वल पैदावार
सिंगल आइ बड तकनीक से बढ़ेगी गन्ने की पैदावार।

यमुनानगर(संजीव कांबोज)। धान की तर्ज पर अब गन्ने की रोपाई को किसान काफी तरजीह दे रहे हैं। बहादुरपुर के प्रगतिशील किसान राजेंद्र कुमार खेत में गन्ने की नर्सरी तैयार कर रहे हैं। 10 एकड़ में सिंगल आइ बड तकनीक से गन्ने की रोपाई करेंगे। छह क्विंटल गन्ने से एक एकड़ की पौध की तैयार हो जाएगी। जबकि सामान्य विधि से यदि बिजाई की जाए तो 30-35 क्विंटल गन्ना चाहिए। दूसरा, इस विधि से रोपे गए गन्ने की औसत पैदावार भी 100-130 क्विंटल अधिक रहती है। बीमारी का प्रकोप कम होता है और किसान का समय व लागत दोनों की बचत होती है।

ऐसे की तैयार

सिंगल आइ बड तकनीक से गन्ना रोपाई के लिए बड कटर से गन्ने की आंखें काट ली जाती हैं। उसके बाद उनको उपचारित किया जाता है। उसके बाद उसको क्यारियों में रोप दिया गया। कुछ किसान ट्रे में भी रोपते हैं। 20-25 दिन में यह नर्सरी तैयार हो जाएगी। उसके बाद खूडों में पानी भरकर एक-एक करके रोप दिया जाता है। एक गन्ने से 18 से 22 पौधे तैयार किए जा सकते हैं। गन्ने की सीधी बुआई करने की तुलना में नर्सरी लगाने पर किसान का खर्च भी कम आता है। गन्ने की नर्सरी के पौधे से बुवाई में बीज की बचत होगी और गन्ने की गुणवत्ता भी बढ़ेगी।

बीमारी की संभावना कम

उत्पादक किसान राजेंद्र कुमार के मुताबिक गत वर्ष उसने केवल गैप फीलिंग (खेत में जहां जगह रह गई) के लिए सिंगल आइ बड विधि से नर्सरी तैयार की थी। इसके सकारात्मक परिणाम सामने आए। इस बार करीब 10 एकड़ में इस तकनीक से ही गन्ने की रोपाई करने का निर्णय लिया। क्योंकि इस तकनीक से रोपाई किए गए गन्ने में कीट व बीमारी की संभावना कम रहती है। इसे अक्टूबर माह में रोप दिया जाता है। अप्रैल व मई माह माह तक काफी बड़ा हो जाता है। इस दौरान कीटों व बीमारियों का असर कम रहता है। दूसरा, अक्टूबर माह में रोपाई के लिए लेबर आसानी से मिल जाती है।

इस तकनीक से रोपे गए गन्ने के खेत में 4-5 फीट पर खूड होगा। प्रति एकड़ में 40-50 खूड बनते हैं। 8-10 हजार पौधे लगेंगे। खास बात यह है कि इसके साथ किसान लहसुन, गेहूं, सरसों या अन्य फसल भी ले सकते हैं।

गन्ना रोपाई की सिंगल आइ बड तकनीक काफी कारगर

अतिरिक्त गन्ना विकास अधिकारी डा. सूरजभान ने बताया कि गन्ना रोपाई की सिंगल आइ बड तकनीक काफी कारगर है। प्रति एकड़ बीज भी कम लगता है और पैदावार भी अधिक होती है। इस तकनीक की ओर से किसानों का रुझान बढ़ रहा है।

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