Karnal: कागजों तक सीमित आंगनबाड़ी केंद्रों को प्ले-वे स्कूल बनाने की योजना, समय पर नहीं मिलते वर्दी और भत्ते

जिले में कुल 1479 आंगनवाड़ी केंद्र हैं 1442 पर ही वर्कर कार्यरत हैं। जिला कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार 34 छोटे केंद्रों पर हेल्पर का पद ही स्वीकृत नहीं है। 1379 केंद्रों पर हेल्पर की तैनाती है। इन केंद्रों के तहत 115489 बच्चे पंजीकृत हैं।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Thu, 14 Oct 2021 08:27 AM (IST) Updated:Thu, 14 Oct 2021 08:27 AM (IST)
Karnal: कागजों तक सीमित आंगनबाड़ी केंद्रों को प्ले-वे स्कूल बनाने की योजना, समय पर नहीं मिलते वर्दी और भत्ते
आंगनवाड़ी केंद्रों को प्ले-वे स्कूल बनाने की योजना पर कई सवाल कड़े हुए

करनाल, जागरण संवाददाता। करनाल में आंगनवाड़ी केंद्रों को प्ले-वे स्कूल बनाने की योजना विकास की दौड़ में भटकती दिखाई दे रही है। एक साल पहले प्रदेश सरकार की ओर से बच्चों की सुरक्षा के लिए प्ले-वे स्कूल बनाने की घोषणा की थी। गंभीरता के अभाव के कारण अभी तक प्ले-वे स्कूलों की सूची जारी चालू नहीं किए गए हैं। महिला एवं बाल विकास की ओर से आंगनवाड़ी वर्करों को चयनित कर प्रशिक्षण दिया जा रहा है। प्रशिक्षण कब तक चलेगा इस बारे में जिला कार्यक्रम अधिकारी स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं।

1479 आंगनवाड़ी केंद्रों में 1442 पर वर्कर कार्यरत

जिले में कुल 1479 आंगनवाड़ी केंद्र हैं, 1442 पर ही वर्कर कार्यरत हैं। जिला कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार 34 छोटे केंद्रों पर हेल्पर का पद ही स्वीकृत नहीं है। 1379 केंद्रों पर हेल्पर की तैनाती है। इन केंद्रों के तहत 115489 बच्चे पंजीकृत हैं। तीन से छह आयु वर्ग में 60866 बच्चे हैं, जोकि नियमित केंद्रों पर आते हैं। 37 केंद्रों पर आंगनवाड़ी वर्कर और 66 केंद्रों पर हेल्पर के पद खाली हैं।

यानी 80 बच्चों पर केवल एक आंगनबाड़ी वर्कर कार्यरत हैं। मौजूदा हालातों को देखा जाए तो मुख्यमंत्री की घोषणा को अमलीजामा पहनाने के प्रयास तो किए जा रहे हैं लेकिन इन केंद्रों का संचालन करने तक में मुश्किल हो रही है। धरातल पर बच्चों को प्ले-वे स्कूल के तहत नई व्यवस्था के साथ सुविधाएं उपलब्ध करवाना मात्र सपने दिखाने जैसा साबित हो रहा है।

वर्षों से हो रही कर्मचारियों के साथ अनदेखी : रूपा राणा

आगनवाड़ी वर्कर यूनियन प्रधान रूपा राणा ने बताया कि प्रदेश सरकार की ओर से केंद्रों को प्ले-वे स्कूल में तबदील करने की बात आई है लेकिन वर्षों से वर्करों को मांगों के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। वर्दी और भत्ते भी समय नहीं मिलते हैं। वर्करों और हेल्परों की भर्ती के लिए जिला अधिकारियों से साक्षात्कार कराकर भर्ती करने की मांग उठाई जा रही है। ऐसे केंद्रों की संख्या भी काफी है, जहां वर्कर या हेल्पर में से एक की ही नियुक्ति है।

ऐसे केंद्रों का संचालन करना काफी मुश्किल हो जाता है और जरूरी काम होने पर केंद्र पर ताला लगाना पड़ता है। महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी राजबाला ने बताया कि 37 केंद्रों पर आंगनबाड़ी वर्कर और 66 केंद्रों पर हेल्पर न होने पर अतिरिक्त चार्ज दिया गया है। प्ले-वे स्कूलों को लेकर अभी तक कोई नोटिफिकेशन नहीं आया है, फिलहाल वर्करों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है।

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