जींद में गुलाबी सुंडी का प्रकोप, कपास की फसल को नुकसान

जींद में गुलाबी सुंडी का प्रकोप बढ़ रहा है। गुलाबी सुंडी की वजह से कपास की फसल पूरी तरह से चौपट हो रही है। पांच मन से ज्यादा नहीं निकल रही एक एकड़ में कपास की फसल। पिछले वर्ष 30 से 35 मन निकली थी कपास।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Fri, 22 Oct 2021 11:41 AM (IST) Updated:Fri, 22 Oct 2021 11:41 AM (IST)
जींद में गुलाबी सुंडी का प्रकोप, कपास की फसल को नुकसान
जींद में कपास की फसल में गुलाबी सुंडी का प्रकोप।

जींद, जागरण संवाददाता। कपास की फसल पर गुलाबी सुंडी का प्रकोप दिखाई देने लग गया है, कपास की फसल लागत के हिसाब से कम निकल रही है। बता दें कि पिछले सीजन में जो एक एकड़ में कपास की फसल 30 से 35 मन निकलती थी, इस वर्ष गुलाबी सुंडी के प्रकोप से पांच मन पर रह गई है। इससे किसानों को आर्थिक नुकसान हो रहा है। किसानों का कहना है कि पांच से छह बार पेस्टीसाइड का दवाइयों का छिड़काव कर चुके हैं, लेकिन गुलाबी सुंडी का असर फसल पर कम नहीं हो रहा है।

65 हजार हेक्टेयर में कपास की बिजाई

जींद जिले में 65 हजार हेक्टेयर में कपास की बिजाई की हुई है। नरवाना व उचाना में 42 हजार एकड़ के करीब सबसे ज्यादा बिजाई है। यहां पर पानी की कमी से किसान कपास फसल की बिजाई करते हैं।

पांच मन एकड़ की निकली है कपास

डाहौला निवासी संदीप ने बताया कि पांच एकड़ में कपास की फसल लगाई हुई है, लेकिन पांच मन से ज्यादा एक एकड़ में फसल नहीं निकल रही है। 2020 के सीजन में 35 मण एकड़ की फसल निकलनी थी। लागत के हिसाब से खर्च अब तक दोगुना हो चुका है। सरकार को स्पेशल गिरादावरी करवाकर मुआवजा वितरित करना चाहिए। उचाना निवासी संदीप ने बताया कि इस वर्ष कपास की फसल बिल्कुल खराब हो गई है। किसान की आमदनी नहीं हो रही है।

कृषि विज्ञान केंद्र पिंडारा डा. वीपी राणा ने बताया कि इस वर्ष गुलाबी सुंडी से काफी नुकसान हुआ है। जून व जुलाई के महीने में यह बीमारी आई थी, उस समय फूल तैयार हो रहा था उसके बाद टिंडा में भी गुलाबी सुंडी पैदा होना शुरू हो गई। किसानों को नुकसान हुआ है। इसकी रिपोर्ट उच्चाधिकारियों को भेज दी गई है।

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