कैथल के फल्गु तीर्थ पर ऑनलाइन होगा पिंडदान, गया में पुरोहित कराएगा कर्म

12 अप्रैल को सोमवती अमावस्‍या के पावन दिन कैथल में फल्‍गु तीर्थ पर ऑनलाइन पिंडदान होगा। साथ ही पुरोहित में भी कर्म कराया जाएगा। इसके लिए गया में पिरोहित कर्मकांड कराएगा। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने वेबसाइट जारी की है।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Sat, 10 Apr 2021 05:34 PM (IST) Updated:Sat, 10 Apr 2021 05:34 PM (IST)
कैथल के फल्गु तीर्थ पर ऑनलाइन होगा पिंडदान, गया में पुरोहित कराएगा कर्म
12 अप्रैल सोमवार को सोमवती अमावस्या है।

कुरुक्षेत्र, जेएनएन। फल्गु तीर्थ फरल से ऑनलाइन पिंडदान किए जा सकेंगे। इसके लिए कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड और फल्गु मंदिर प्रबंधन संयुक्त रूप से आगे आई है। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड ने इसके लिए वेबसाइट जारी की है। 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या के पावन दिन वेबसाइट को लॉन्च किया जाएगा। इस दिन फल्गु मंदिर धर्मशाला से ही ऑनलाइन पितृकर्म कार्य का शुभारंभ किया जाएगा। माना जाता है कि सोमवार के दिन यहां पितरों का श्राद्ध करता है, वह गया में किए गए श्राद्ध के समान नित्य ही पितरों को प्रसन्न करता है। गया तीर्थ पर एक पुरोहित से इसके लिए बात की है। वह गया में बैठकर ऑनलाइन कर्म कराएगा।

कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानाद सचिव मदन मोहन छाबड़ा ने बताया कि बोर्ड का प्रयास कुरुक्षेत्र के तीर्थों का समुचित विकास और प्रचार-प्रसार करना है। फल्गु तीर्थ के वैश्विक स्तर पर प्रचार-प्रसार में मुख्य भूमिका निभाएगा। कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के अंतर्गत 48 कोस कुरुक्षेत्र आता है। इस परिधि में कुरुक्षेत्र, कैथल, करनाल, जींद व पानीपत जिलों के 134 तीर्थ आते हैं। वामन पुराण और महाभारत के अनुसार कुरुक्षेत्र धरा पर सात वन और नौ नदियां थी।

लंदन से रेडियो कलाकार ऑनलाइन जुड़ेंगे

फल्गु मंदिर के पुजारी जयगोपाल शर्मा ने बताया कि सोमवती अमावस्या पर बेवसाइट जारी की जाएगी। इसमें मुख्यातिथि लंदन से प्रसिद्ध रेडियो कलाकार रवि शर्मा ऑनलाइन शामिल होंगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड के मानद सचिव मदन मोहन छाबड़ा करेंगे। ऑनलाइन पितृकर्म के लिए लुधियाना से अमित गोयल यजमान होंगे। आचार्य विनायक को कैथल से विशेष आमंत्रित किया गया है। इसमें कुरुक्षेत्र विकास बोर्ड से उपेंद्र सिंघल का विशेष योगदान रहा है।

फल्गु तीर्थ में गया जैसा पुण्य

फल्गु तीर्थ कुरुक्षेत्र से 25 किलोमीटर दूर गांव फरल जिला कैथल में है। इस तीर्थ का वर्णन महाभारत व वामन पुराण में है। फल्क ऋषि यहां तपस्या करते थे। उनकी तपस्या से वन में दूसरे ऋषि व देवगण आने लगे। इसी समय गया में गयासुर नामक दैत्य राज्य करता था। उनकी प्रतिज्ञा थी कि उसको शास्त्रार्थ में पराजित करने वाले के साथ अपनी पुत्री सोमवती का विवाह करेगा। गयासुर से त्रस्त लोग और देवता फल्क ऋषि के पास गए। उनके आग्रह पर फल्क ऋषि गयासुर से शास्त्रार्थ करने को तैयार हो गए और 'गया' जाकर शास्त्रार्थ में गयासुर को पराजित कर किया। गयासुर ने अपनी पुत्री सोमवती का विवाह ऋषि के साथ किया। गयासुर ने सोमवती के साथ अपनी दो और कन्याओं भोमा और गोमा का भी पाणिग्रहण संस्कार उनके साथ कर दिया। गयासुर ने उपहार में गया में पितृ तृप्ति के लिए किए जाने वाले श्राद्ध में मिलने वाले पुण्य का वर भी दिया। वरदान है कि गया में पितृकर्म से प्राप्त होने वाला पुण्य फल्कीवन में भी प्राप्त होता है।

chat bot
आपका साथी