चार को करवाचौथ, चूड़ी-कंगन बाजार गुलजार
कपिल पूनिया पानीपत चूड़ी और कंगन को श्रृंगार का प्रमुख हिस्सा माना जाता है। करवाचौथ पर
कपिल पूनिया, पानीपत : चूड़ी और कंगन को श्रृंगार का प्रमुख हिस्सा माना जाता है। करवाचौथ पर सबसे अधिक मांग चूड़ी और कंगन की रहती है। अन्य सामानों की तरह ही चूड़ी-कंगन बाजार पर भी अभी तक चीन का दबदबा रहता था, लेकिन इस बार ग्राहकों और व्यापारियों ने चीन को चूड़ी-कंगन के बाजार से पूरी तरह आउट कर दिया है। इस बाजार पर अब जयपुर का जलवा है। इसके अलावा हैदराबाद और महाराष्ट्र चूड़ी और कंगन बनाने के लिए प्रसिद्ध है।चूड़ी और कंगन भारत समेत दक्षिण एशिया की महिलाओं का पारंपरिक गहना हैं। चूड़ी नारी के हाथ का प्रमुख अलंकरण है, भारतीय सभ्यता और समाज में चूड़ियों का महत्वपूर्ण स्थान है।
हिदू समाज में यह सुहाग का चिह्न मानी जाती है। चार को करवाचौथ का त्योहारचार नवंबर को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाएगा। इस समय बाजार में जिस तरफ भी नजर घूमती है, चूड़ी और कंगन दिख जाते हैं। भारत के प्रत्येक त्योहार पर चीन की नजर रहती है। चाहे वह दीवाली पर बिजली का सामान हो या होली पर रंग। करवा चौथ पर भी अभी तक चीन में बने चूड़ी और कंगन का बाजारों पर कब्जा रहा है। जिससे देश की पहचान के साथ इस क्षेत्र में लगे देश के कामगारों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा था।
चीन हो गया बाहर
गलवन घाटी में चीन से झड़प और पीएम नरेंद्र मोदी के वोकल फॉर लोकल के आह्वान के बाद चाइनीज सामानों के बॉयकाट का सिलसिला जारी है। ग्राहकों और व्यापारियों ने चीन को चूड़ी और कंगन के बाजार से पूरी तरह आउट कर दिया है। चीन के स्थान पर जयपुरी चूड़ी और कंगन पहले बाजार और फिर महिलाओं के हाथों की शोभा बढ़ा रहे हैं।
सबसे अधिक लाख चूड़ी-कंगन की मांग
इंसार बाजार के चूड़ी-कंगन व्यापारी अजय गुलाटी ने बताया कि अभी तक अधिकतर कांच के चूड़ी और कंगन आते थे। अब कांच के स्थान पर लाख से बनी चूड़ी और कंगन की मांग सबसे अधिक है। लाख की चूड़ी और कंगन अधिक समय तक टिकने के साथ अपने मैटिरियल के कारण हाथ त्वचा के लिए भी सुरक्षित है। चाइनीज चूड़ी-कंगन किसी भी दुकान पर नहीं मिलेंगे। सभी ने पूरी तरह देश में बने सामान लगाया है। सबसे अधिक राजस्थान के जयपुरी सामान की मांग है।