काबड़ी-ददलाना क्षेत्र में बनाए जाएंगे पीयर एजुकेटर्स, एएनएम को मिली ट्रेनिग
राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के तहत काबड़ी और ददलाना पीएचसी क्षेत्र की एएनएम को पीयर एजुकेटर्स चुनने संबधी प्रशिक्षण दिया गया। दोनों एरिया में 125 किशोर इतनी ही किशोरियों को चुनना है।
जागरण संवाददाता, पानीपत : राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरकेएसके) के तहत काबड़ी और ददलाना पीएचसी क्षेत्र की एएनएम को पीयर एजुकेटर्स चुनने संबधी प्रशिक्षण दिया गया। दोनों एरिया में 125 किशोर, इतनी ही किशोरियों को चुनना है। सिविल सर्जन डा. जितेंद्र कादियान ने प्रशिक्षण कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि पीयर एजुकेटर्स की आयु 10 से 19 साल के बीच होनी चाहिए। मेल-फीमेल पीयर एजुकेटर्स की संख्या समान रहे, इसका प्रयास करें।
आरकेएसके के जिला नोडल अधिकारी डा. ललित वर्मा ने बताया कि एएनएम का पहला काम पीयर एजुकेटर्स चुनना, उन्हें प्रशिक्षित करना है। डा. मनीषा ने बताया कि पट्टी कल्याणा, अहर, कवि, नौल्था, उग्राखेड़ी और उझा में पहले से ही पीयर एजुकेटर्स काम कर रहे हैं। इनमें अध्यनरत और पढ़ाई छोड़ चुके किशोरों को शामिल किया जाता है। इनका काम किशोर अवस्था में होने वाले शारीरिक-मानसिक बदलाव सहित साथियों की जिज्ञासा का सरल भाषा में उत्तर देना है। पीयर एजुकेटर द्वारा स्वास्थ्य विभाग को दी गई जानकारी गुप्त रखी जाती है। इस मौके पर डिप्टी सिविल सर्जन डा. नवीन सुनेजा,डा. मीनाक्षी, डा. अंजू भी मौजूद रहीं। पीयर एजुकेटर्स का काम
-किशोर अवस्था में शारीरिक बदलावों की साथियों को जानकारी देना।
-एचआइवी-एड्स से बचाव की जानकारी देना।
-तंबाकू या इससे बने उत्पादों के सेवन से होने वाले नुकसान बताना।
-मासिक धर्म के दौरान सेनेटरी नेपकिन का इस्तेमाल।
-दाढ़ी-मूंछ बनवाते समय अपने तौलिया का इस्तेमाल।
-रोगियों की जानकारी स्वास्थ्य विभाग को देना
-साथी के साथ यौन शोषण जैसी घटना की जानकारी देना। पीयर एजुकेटर्स की इसलिए जरूरत
किशोरावस्था में शारीरिक, मानसिक, भावनात्मक बदलाव से होने वाली समस्याओं और भ्रांतियों के विषय में किशोर एवं किशोरियां खुलकर बात नहीं कर पाते हैं। इस स्थिति को देखते हुए वर्ष 2016 में राष्ट्रीय किशोर स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत पीयर एजुकेटर कार्यक्रम की शुरूआत की। हमउम्र होने के नाते किशोर सभी प्रकार की बातें एक-दूसरे से साझा कर लेते हैं।