मूंगफली खाने से बिगड़ी दो साल की दीपांशी की हालत, करना पड़ा ऑपरेशन
बच्ची की सांस की नली में मूंगफली फंस गई थी। खांसी नहीं रुकी तो परिजन तीन दिन बाद चिकित्सक के पास लेकर पहुंचे। यहां एक्सरे करने पर मामले का पता चला। 20 मिनट की मशक्कत के बाद मूंगफली निकाली जा सकी। बच्चों को गिरी व बादाम पीसकर दें।
पानीपत/कुरुक्षेत्र, जेएनएन। कैथल की दो वर्षीय दीपांशी की जान बाल-बाल बची। दीपांशी की नली में तीन दिन पहले सांस की नली में मूंगफली फंस गई। परिजनों को इसके बारे में तब पता चला जब वे बार-बार खांसी आने के बाद उसे एमसीएच डा. अनुज के पास लेकर पहुंचे। डा. अनुज ने देखते ही बच्ची का एक्सरे कराया, जिसमें छाती में सांस की नली में कुछ फंसा हुआ नजर आया। डा. अनुज ने बिना देरी के ऑपरेशन थियेटर में बच्ची को शिफ्ट किया और 20 मिनट की मशक्कत के बाद ब्रोंकोस्कॉपी से सांस की नली से मूंगफली का दाना निकाला।
अब तक 30 बच्चों की सांस की नली से निकाल चुके मूंगफली, बादाम, सिक्के व कील
डा. अनुज ने बताया कि अब तक वे 30 बच्चों की सांस की नली से मूंगफली, बादाम, सिक्के व कील तक निकाल चुके हैं। उन्होंने कहा कि अगर किसी बच्चे को अचानक खाना खाने के बाद लगातार खांसी होने लगे और वह रुक न रही हो या सांस में दिक्कत हो उसे बिल्कुल लापरवाही नहीं करनी चाहिए। उसे तुरंत बच्चों के विशेषज्ञ के पास लेकर जाएं और जांच कराएं। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग लापरवाही करते हैं और तीन-चार दिन बाद दिखाते हैं, जिससे बच्चे की जान को खतरा हो सकता है। डा. अनुज ने बताया कि दीपांशी को भी उसके परिजन तीन दिन बाद उनके पास लेकर पहुंचे। ऐसा कई बार होता है।
तीन साल से कम के बच्चों को मसलकर दें मूंगफली या बादाम
डा. अनुज ने बताया कि तीन साल से कम के बच्चों को मूंगफली, बादाम या कोई भी गिरी वाली चीज नहीं देनी चाहिए। अगर बच्चों को कोई गिरी वाली चीज दें तो उसे मसलकर या पाउडर बनाकर दें। वरना इस तरह की दिक्कत आ सकती है। दीपांशी के मामले में भी कुछ ऐसा ही हुआ। इस तरह के मामलों में लापरवाही के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।