प्राइवेट स्कूलों से कन्नी काटने लगे अभिभावक, राजकीय स्कूलों में करवा रहे दाखिले

प्राइवेट स्कूलों में दाखिले कम हो रहे हैं। अभिभावक सरकारी स्कूलों में बच्चों के दाखिले पर जोर दे रहे हैं। उन्हें डर है कि कहीं फिर से लॉकडाउन न लग जाए। ऐसे में प्राइवेट स्कूल फीस लेने का दबाव बनाएंगे। इसका बोझ उन पर पड़ेगा।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Thu, 08 Apr 2021 05:55 PM (IST) Updated:Thu, 08 Apr 2021 05:55 PM (IST)
प्राइवेट स्कूलों से कन्नी काटने लगे अभिभावक, राजकीय स्कूलों में करवा रहे दाखिले
कोरोना के बढ़ते मामलों के चलते अभिभावक बच्चों के दाखिलों को लेकर भ्रमित हैं।

यमुनानगर, जेएनएन। कोरोना वायरस के बढ़ते केसों का प्रभाव बच्चों के दाखिलों पर भी पड़ रहा है। प्राइवेट स्कूलों में दाखिले तो हो रहे हैं, परंतु उस रफ्तार से नहीं जो इन दिनों होने चाहिए थे। अभिभावकों को डर है कि कहीं दाखिला लेते ही गत वर्ष की तरह स्कूलों को बंद कर दिया गया, तो उन्हें एक बार फिर बिना पढ़ाई के ही मोटी फीस देनी पड़ जाएगी। यही वजह है कि इस बार प्राइवेट की बजाय सरकारी स्कूलों की तरफ अभिभावकों का रुझान बढ़ा है। काफी लोग ऐसे हैं जिनके बच्चे पहले प्राइवेट स्कूलों में पढ़ते थे, परंतु इस बार उनका रजिस्ट्रेशन राजकीय स्कूलों में कराया है।

प्राइवेट स्कूलों ने एक अप्रैल से ही लगा दीं कक्षाएं

इस समय प्राइवेट स्कूल संचालकों की सोच है कि उनके यहां अधिक से अधिक दाखिले हो जाएं। यही वजह है कि पिछला शैक्षणिक सत्र खत्म होते ही स्कूलों ने एक अप्रैल से कक्षाएं भी लगा दीं। 25 मार्च तक विद्यार्थियों की परीक्षाएं लेकर 30 मार्च से पहले रिजल्ट घोषित कर दिए। स्कूलों द्वारा अभिभावकों को यहां तक ऑफर दिया जा रहा है कि वह बच्चों को स्कूल भेजना शुरू करें। दाखिला बाद में करते रहेंगे। क्योंकि एक बार विद्यार्थी का नाम रजिस्टर में दर्ज हो गया, तो वह अभिभावकों से फीस लेने के हकदार हो जाएंगे। स्कूलों ने कक्षाएं भले ही लगा दी हों परंतु बसें खाली ही चल रही हैं। अभिभावक बच्चों को स्कूल भेजने को बिल्कुल भी तैयार नहीं हैं।

मॉडल स्कूल में रजिस्ट्रेशन कराया है

बिलासपुर निवासी सतीश कुमार ने बताया कि उनके दो बच्चे पहले कस्बा के ही प्राइवेट स्कूल में पढ़ते थे। इस बार दोनों का रजिस्ट्रेशन राजकीय आदर्श संस्कृति सीनियर सेकेंडरी स्कूल में कराया है। क्योंकि प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई बहुत महंगी होती जा रही है। दोनों बच्चों की मासिक फीस साढ़े चार हजार रुपये से अधिक थी। अब राजकीय स्कूल को भी सीबीएसई से मान्यता मिल चुके हैं। जब बच्चे को सीबीएसई से ही पढ़ाना है तो राजकीय स्कूल से क्यों नहीं। इसी तरह कस्बा के ही सुनील कुमार का कहना है कि वह भी प्राइवेट स्कूल से हटाकर बेटी को राजकीय स्कूल में ही दाखिला करवाने जा रहे हैं।

फीस देने का दबाव बना रहे स्कूल

साबापुर गांव के शिवदयाल का कहना है कि उसकी दो बेटियां व एक बेटा प्राइवेट स्कूल में थे। इस बार उनका दाखिला अगली कक्षा में कराने गया तो स्कूल संचालकों ने पहले गत वर्ष की छह माह की फीस जमा कराने को कहा। वह तीन बच्चों की फीस एक साथ देने में असमर्थ था इसलिए बच्चों को वहां से हटा लिया और अब राजकीय स्कूल में उनका दाखिला दिलाया है। प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को पढ़ाना अब इतना आसान नहीं रहा है। इसी तरह बाकरपुर गांव निवासी राजकुमार का कहना है कि वह मजदूरी करता है। फिर भी किसी तरह बेटे को प्राइवेट स्कूल में पढ़ा रहा था। गत वर्ष ताे स्कूल कोरोना वायरस की वजह से बंद रहा था। इस बार उसका दाखिला आठवीं कक्षा में राजकीय सीसे स्कूल साबापुर की आठवीं कक्षा में कराया है।

मॉडल स्कूलों में मिलेगी मुफ्त वर्दी

जिन राजकीय मॉडल संस्कृति सीसे स्कूलों को शिक्षा विभाग ने सीबीएसई से मान्यता दिलाई है उनमें नौवीं से 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों को मुफ्त टैब दिया जाएगा। इसके अलावा नौवीं कक्षा की छात्राओं को मुफ्त वर्दी व एनसीइआरटी की किताबें भी दी जाएंगी। फिलहाल पहली से आठवीं कक्षा के विद्यार्थियों को ही मुफ्त किताबें व वर्दी देने का प्रावधान है। यह निर्णय शिक्षा निदेशक ने मंगलवार को पंचकूला में हुई बैठक में लिया। इसमें सभी मॉडल स्कूलों के प्रिंसिपल ने हिस्सा लिया। इतना ही नहीं दूर से आने वाली नौवीं की छात्राओं को मुफ्त ट्रांसपोर्ट की सुविधा भी दी जाएगी।

राजकीय स्कूलों में रुझान बढ़ा है : नमिता कौशिक

डीईओ नमिता कौशिक का कहना है कि राजकीय स्कूलों की तरफ अभिभावकों का रूझान बढ़ा है। सरकार राजकीय स्कूलों में सभी सुविधाएं मुहैया करा रही है। मॉडल स्कूलों में दाखिले के लिए 10 अप्रैल तक रजिस्ट्रेशन कराया जा सकता है।

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