Government School in Jind: बगैर टीचर कैसे होगी पढ़ाई, अभिभावक बच्चों को निजी स्कूलों में भेजने को मजबूर
जींद के मालश्री खेड़ा के प्राइमरी स्कूल में केवल दो टीचर थे। जो मार्च में इंटर डिस्ट्रिक्ट ट्रांसफर के चलते चले गए। उसके बाद यहां किसी टीचर की जॉइनिंग नहीं हुई है। पहली से पांचवी कक्षा तक स्कूल में 38 छात्र हैं।
जींद, जागरण संवाददाता। सरकारी स्कूलों में कोरोना काल में 2 सालों में प्रदेश में करीब 4 लाख छात्र संख्या बढ़ गई। जिससे शिक्षा विभाग और सरकार खुश है। इस उपलब्धि के लिए 5 सितंबर को स्कूल मुखियाओं को सम्मानित भी किया गया। दूसरी तरफ जींद जिले में एक ऐसा सरकारी स्कूल भी है, जिसमें 6 माह से कोई भी टीचर नहीं है। उस स्कूल के बच्चों को कक्षा 6 से 8 वाले टीचर जैसे तैसे कर पढ़ा रहे हैं। यहां टीचर भेजने को लेकर ग्राम पंचायत जिला अधिकारियों से लेकर मुख्यालय डायरेक्टर तक को पत्र लिख चुकी है। लेकिन अब तक एक टीचर भी नहीं भेजा गया है।
सरकार और शिक्षा विभाग ने इन छात्रों की नहीं सुध
हम बात कर रहे हैं मालश्री खेड़ा के प्राइमरी स्कूल की। यहां दो टीचर थे। जो मार्च में इंटर डिस्ट्रिक्ट ट्रांसफर के चलते चले गए। उसके बाद यहां किसी टीचर की जॉइनिंग नहीं हुई है। पहली से पांचवी कक्षा तक स्कूल में 38 छात्र हैं। सरकार और शिक्षा विभाग ने इन छात्रों की सुध नहीं ली। साथ लगते माध्यमिक स्कूल विंग के 3 शिक्षक इन बच्चों को पढ़ा रहे हैं। कोरोना की वजह से कक्षाएं लग नहीं लग रही थी। जिस कारण इन बच्चों को ऑनलाइन होमवर्क देने में भी शिक्षकों को दिक्कत आई। अगर सरकारी स्कूलों में ऐसे ही टीचरों की कमी की वजह से पर पढ़ाई प्रभावित हुई, तो आने वाले समय में सरकारी स्कूलों में अभिभावक अपने बच्चों को भेजने के लिए कैसे तैयार होंगे।
सरकारी स्कूलों में टीचर्स के पद पड़े खाली
इस विषय में शिक्षा विभाग और सरकार को गंभीरता के साथ सोचना चाहिए। बहुत से सरकारी स्कूलों में टीचर्स के पद खाली पड़े हैं। पिछले दिनों पेगां गांव के सरकारी स्कूल में भी इंग्लिश के 2 टीचर नहीं होने की वजह से ग्रामीणों ने स्कूल पर ताला जड़ दिया था। ग्रामीणों ने शिक्षा विभाग को 30 सितंबर तक शिक्षकों की नियुक्ति करने का टाइम देते हुए चेतावनी दी थी कि अगर नियुक्ति नहीं होती है, तो बड़े स्तर पर आंदोलन किया जाएगा। जिला स्तर पर शिक्षा विभाग के अधिकारी स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर यह कहकर पल्ला झाड़ लेते हैं कि वे अपने स्तर पर ना तो किसी स्कूल से टीचर को डेपुटेशन पर भेज सकते हैं और ना ही ट्रांसफर करना उनके अधिकार क्षेत्र में आता है।