11 साल के अक्षित की जान बचाने के लिए धड़का पानीपत का दिल, ढाई दिन में जमा कर दिए दस लाख

11 साल के अक्षित की जान बचाने के लिए पानीपत में सराहनीय पहल हुई। बच्चे को थैलेसीमिया था। बोन मैरो ट्रांसप्लांट के लिए ऑपरेशन की जरूरत थी। 7 लाख की जरूरत थी। एक वाट्सएप मैसेज पर पानीपत के लोगों ने ढाई दिन में दस लाख जमा कर दिए।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Fri, 28 May 2021 07:33 AM (IST) Updated:Fri, 28 May 2021 07:33 AM (IST)
11 साल के अक्षित की जान बचाने के लिए धड़का पानीपत का दिल, ढाई दिन में जमा कर दिए दस लाख
हेल्पिंग यूथ वेलफेयर सोसाइटी और विधायक ने पहल की।

पानीपत, जेएनएन। 11 वर्ष के बच्चे अक्षित मदान के लिए शहर के लोगों का दिल धड़क उठा। उसे बचाने के लिए अपनी तरफ से सौ रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक जमा करा दिए। अब बच्चे के लिए हर कोई दुआ कर रहा है। जल्द ही उसका दिल्ली के बीएल कपूर अस्पताल में बोनमेरो ट्रांसप्लांट होगा। बच्चे की मदद के लिए महत्वपूर्ण कड़ी बनी हेल्पिंग यूथ वेलफेयर सोसाइटी। केवल ढाई दिन में ही दस लाख रुपये जमा कर दिए। आखिर में कुछ रुपये कम पड़े तो विधायक प्रमोद विज ने अपनी तरफ से और उद्यमियों की मदद से साढ़े तीन लाख रुपये बच्चे के पिता को सौंपे।

गुरुनानकपुरा, कच्चा कैंप के रहने वाले राजू मदान का बेटा अक्षित मदान थैलेसीमिया पीड़ित है। प्रत्येक पंद्रह दिन में उसका खून बदला जाता है। इलाज के लिए अस्पतालों में पहुंचे तो बताया गया कि बोन मेरो ट्रांसप्लांट होगा। पिता एक निजी कंपनी में अकाउंटेंट हैं। इतना पैसा नहीं थ। फिर भी उन्होंने कहा कि किसी तरह इंतजाम कर लेंगे। तीस लाख रुपये तक खर्च आएगा। कीमो थैरेपी हो चुकी है। इलाज का वक्त नजदीक आने लगा तो पैसे का इंतजाम शुरू किया। शहर के लोगों ने बच्चे को बचाने का जिम्मा उठा लिया। सामाजिक संगठनों ने यह मैसेज भी किए, पैसों की कमी नहीं आने देंगे।

छह महीने से एकत्र की जा रही थी राशि

छह महीने से परिवार इतनी बड़ी रकम जुटाने की कोशिश कर रहा था। खुद की जमा पूंजी, समाजसेवी संस्थाओं के सहयोग से 22.50 लाख रुपये तक एकत्र हो गए। ऑपरेशन के लिए दस दिन बचे थे। साढ़े सात लाख कैसे इकट्ठे हों, इसके लिए उन्होंने हेल्पिंग यूथ सोसाइटी के प्रवीण वर्मा से संपर्क किया। प्रवीण ने अपने वाट्सएप ग्रुप के अलावा शहर के सभी सामाजिक वाट्सएप ग्रुपों पर पोस्ट करके मदद मांगी। विधायक प्रमोद विज तक मामला पहुंचा। आखिरकार ढाई दिन में उससे भी ज्यादा राशि जमा करके दे दी।

पिता को सौंपा चेक

विधायक प्रमोद विज ने एक लाख, हुकमचंद गर्ग, रमन छाबड़ा, सियाराम गुप्ता, शंभू लखीना ने भी सहयोग करते हुए ढाई लाख दिए। इस तरह साढ़े तीन लाख बच्चे के पिता को सौंपे। इस दौरान सांसद संजय भाटिया, भाजपा जिला अध्यक्ष डॉ. अर्चना गुप्ता, मेयर अवनीत कौर, महामंत्री रविंद्र भाटिया, कृष्ण छोक्कर, मंडल अध्यक्ष प्रीतम गुर्जर, सुनील कंसल, विजय शर्मा, दिवाकर मेहता, हरीश कटारिया, पार्षद अश्वनी ढींगड़ा, बलराम मकोल, सुनील सोनी उपस्थित रहे।

थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों की होगी मदद

विधायक प्रमोद विज ने बताया कि वह अपने दफ्तर में थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों के उपचार के लिए पांच लाख की दवाइयां व फिल्टर्स का बफर स्टाक रखेंगे। किसी सूरत नागरिक अस्पताल में दवाइयां या फिल्टर्स की कमी हो जाए तो तुरंत विधायक कार्यालय से थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को सहायता मिल सके। बच्चों का इलाज रुकना नहीं चाहिए।

इस तरह जुटी राशि

हेल्पिंग यूथ वेलफेयर सोसाइटी को शहर के नागरिकों ने सौ रुपये, 500 रुपये, एक हजार से लेकर एक लाख तक की राशि सौंपी। यह राशि पेटीएम व अकाउंट के माध्यम से पहुंचाई गई। एक-एक पैसे का हिसाब रखा गया। ये हिसाब वाट्सएप ग्रुपों में भी डाला। डेढ़ लाख से ज्यादा राशि तो ऐसी थी, जिसमें दान करने वालों ने अपना नाम नहीं बताया। इस तरह 3 लाख 87 हजार 600 रुपये एकत्र हुए। विधायक की पहल पर साढ़े तीन लाख और जमा हुए। अस्पताल के नाम चेक सौंपा गया।

पिता और बेटी के सेल का मिलान हुआ

पिता अक्षित और बेटी के सेल का अक्षित के सेल से मिलान हो गया है। अब दोनों में जिसकी रोग प्रतिरोधक क्षमता ज्यादा मजबूत होगी, उसी के सेल लिए जाएंगे। इन सेल्स से अक्षित के सेल मजबूत होंगे। इससे खून बनाने की क्षमता बढ़ेगी। थैलेसीमिया बीमारी से वो मुक्त हो सकेगा। हेप्लोडेंशियल बोन मेरो ट्रांसप्लांटेशन स्टेम सेल प्रत्यारोपण विभिन्न प्रकार के असाध्य रक्त विकारों से पीड़ित रोगियों के लिए एक इलाज है। डोनर के ऊतक के पूर्ण मिलान की आवश्यकता नहीं होती है।

आनुवांशिक रोग है

हुमाना पीपल टू पीपल इंडिया एवं बाल अधिकार सुरक्षा समिति की कोर्डिनेटर सुधा झा ने बताया कि थैलेसीमिया एक आनुवांशिक रोग है। माता और पिता, या दोनों के जींस में गड़बड़ी के कारण यह रोग होता है। समाज में थैलेसीमिया को लेकर जागरूकता का अभाव है। शादी से पूर्व भी एवं गर्भावस्था के दौरान थैलेसीमिया, एड्स, हेपेटाइटिस बी और सी, आरएच फैक्टर की जांच करानी चाहिए। इस बीमारी का इलाज हर किसी के लिए संभव नहीं है।

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