हलवा खिलाने के बहाने किया तीनों बच्चों का अपहरण, मां को याद करके रोने पर मारते थे थप्पड़
पानीपत से दंपत्ति ने तीन बच्चों का अपहरण किया था। पुलिस ने तीनों बच्चों को सकुशल बरामद कर लिया है। मां से मिलने के बाद बच्चों ने अपनी आपबीती बताई और कहा कि जब बच्चे मां को याद कर रोते थे तो महिला उन्हें थप्पड़ मारती थी।
पानीपत, जागरण संवाददाता। काबड़ी रोड के पास पप्पू कालोनी से तीन बहन भाइयों का अपहरण कर ले जाने के मामले में गिरफ्तार निसंतान दंपती को पुराना औद्योगिक थाना पुलिस ने बुधवार को अदालत पेश किया। इन्हें न्यायिक हिरासत में भेज दिया। वहीं बच्चों के सकुशल मिलने के बाद से मां की खुशी का कोई ठिकाना नहीं है। दोबारा से कोई ऐसी घटना न हो, इसके चलते वो अब बच्चों के साथ गांव लौटने की तैयारी कर रही है। बच्चों को हलवा खिलाने की बात बोलकर साथ ले गए थे।
उत्तर प्रदेश के एटा जिले के गांव गगनपुर की रहने वाली कविता पति की मारपीट से तंग आकर डेढ़ माह पहले पानीपत में बहन के पास आ गई थी। हाल में काबड़ी रोड स्थित पप्पू कालोनी में कमरा किराये पर लेकर रह रही है। 27 नवंबर शनिवार को बच्चों को छोड़कर फैक्ट्री गई थी। दोपहर को खाना खाने कमरे पर आई तो उसे आठ साल की बेटी गोरी, सवा दो साल का बेटा दक्ष व एक साल का हिमांशु कमरे पर नहीं मिले। पुराना औद्योगिक थाना पुलिस ने अपहरण का केस दर्ज कर तलाश शुरू कर दी थी। पुलिस जांच में शक की सूई कविता के सामने कमरे में रहने वाले आरोपितों की तरफ गई। पुलिस ने बिजनौर के खजुरा में राजबीर और उसकी पत्नी अनीता को मंगलवार शाम बागपत के सरूरपुर गांव से गिरफ्तार कर तीनों बच्चों को सकुशल बरामद कर लिया था। थाना प्रभारी इंस्पेक्टर कमलजीत ने बताया कि दंपती को बुधवार को अदालत पेश करने के बाद न्यायिक हिरासत में भेज दिया। दंपती ने पूछताछ में बताया कि अपना कोई बच्चा न होने के कारण ही वो कविता के बच्चों का अपहरण करके ले गए थे।
खाने में देते चावल, छोटे भाइयों को दूध की जगह पिलाते पानी
कविता ने पुलिस को बताया कि उसके बच्चों को हलवा खिलाकर लाने की बात बोल अपहरण कर ले गए थे। बागपत में रहने वाले अपने एक जानकार के पास बच्चों को रखा था। आठ साल की गोरी ने बताया कि महिला उन्हें खाने के लिए चावल ही देती थी। उसके छोटे भाइयों को पीने के लिए दूध की बजाय पानी बोतल में डालकर देती थी। जब भी वो मां को याद करके रोते तो उन्हें थप्पड़ मारते थे। बेटी ने बताया कि एक दिन दंपती रात में उसके बेटों को किसी दूसरे को बेचने तक का जिक्र कर रहे थे। अपने मकसद में कामयाब होते, उससे पहले ही पुलिस ने उनको पकड़ बच्चों को सकुशल बचा लिया।
सुपरवाइजर तक ने नहीं खाया ठीक से खाना
तीनों बच्चों के अपहरण के बाद न केवल उनकी मां कविता परेशान होकर उन्हें ढूंढने के लिए भटक रही थी, बल्कि कमरे में रहने वाले किरायेदारों से लेकर बिल्डिंग मालिक की तरफ से रखी गई सुपरवाइजर सरिता तक परेशान थी। सरिता ने बताया कि बच्चों के लापता होने के बाद से अनहोनी के डर से वो न तो खाना खा पा रही थी और न रात में ठीक से सो तक पा रही थी। मंगलवार शाम उसे बच्चों के सकुशल मिलने की खबर मिली तो राहत की सांस ली। अब बिना कागजात आदि जानकारी जुटाए व गारंटर के किसी को कमरा नहीं देंगे।
फैक्ट्री से हाथ लगा सुराग
निसंतान दंपती ने मकान मालिक को जो आधार कार्ड दिया था, उसमें पता शहर के ही कच्चा कैंप का था। वहां पुलिस गई तो कोई नहीं मिला। जिस फैक्ट्री में उन्होंने काम किया था, उस बारे कई युवकों ने बताया था। पुलिस फैक्ट्री पहुंची और वहां से मोबाइल नंबर के साथ जानकार की डिटेल मिली। तभी पुलिस ने उनके मोबाइल फोन सर्विलांस पर लगा बच्चों को बरामद करने में कामयाबी हासिल की।