तिरंगे में लिपटा आया बीएसएफ के जवान का शव, पानीपत में भारत माता की जय के साथ हुआ संस्कार
हरियाणा के पानीपत के गांव वैसर गांव के एएसआइ धर्मपाल का निधन हो गया है। उनका पार्थिव शरीर गांव लाया गया। 12 जवानों ने सलामी दी मोटरसाइकिल के काफिले के साथ शव को सम्मान के साथ गांव लाया गया।
पानीपत, जागरण संवाददाता। राजस्थान के जैसलमेर में तैनात गांव वैसर वासी बीएसएफ के 56 वर्षीय जवान एएसआइ धर्मपाल नहीं रहे। उनका अंतिम संस्कार वीरवार को उनके पैतृक गांव वैसर में राजकीय सम्मान के साथ किया गया।
वीरवार को राजस्थान के जैसलमेर में बीएसएफ की 154 बटालीयन से एएसआइ धर्मपाल, एसआइ देवेंद्र कुमार शव को लेकर गांव पहुंचे। इसके बाद बीएसएफ हिसार यूनिट से इंस्पेक्टर आशीष कुमार के साथ आए 12 जवानों ने सलामी दी। शहीद धर्मपाल के परिवार में पत्नी राजपती, बेटा दीपक (22 वर्ष) व दो बेटियां सोनिया व मंजीत हैं। दोनों बेटियां शादीशुदा हैं।
दादी की रस्म क्रिया कर ड्यूटी पर लौटे थे
बुधवार लगभग 1:00 बजे स्वजनों को फोन पर धर्मपाल के शहीद होने की सूचना मिली। धर्मपाल के शहीद होने का समाचार सुनकर परिवार व गांव में मातम सा छा गया। बेटे दीपक ने बताया कि कुछ दिनों पहले दादी धनपति (धर्मपाल की मां) की मौत हो गई थी। पिताजी उस समय गांव आए थे। दादी की रस्म क्रिया के बाद लगभग 10 दिन पहले ही वापस ड्यूटी पर गए थे। दो दिन पहले पिता ने फोन करके बीमार होने की बात कही थी। उसके बाद बुधवार को उनके शहीद होने का दुखद समाचार मिला। पूरा गांव शहीद के परिवार को ढांढस बंधाने के लिए शहीद के घर मौजूद रहा।
अंतिम यात्रा में उमड़ी भीड़
शहीद बीएसएफ जवान धर्मपाल की अंतिम यात्रा में भीड़ उमड़ पड़ी। शहीद को श्रद्धांजलि देने के लिए जिला प्रशासन अधिकारी भी मौके पर मौजूद रहे और श्रद्धांजलि दी।
तिरंगे में लिपटा आया शव
धर्मपाल का शव तिरंगे में लिपटा आया। गांव में जैसे ही शव पहुंचा, हर किसी की आंख नम हो गई। बेटे ने कहा कि कुछ दिन पहले पिता ठीक थे। एकाएक उन्हें क्या हुआ, कुछ पता नहीं चला। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि पिता इतनी जल्दी उन्हें छोड़कर चले जाएंगे।
पुलिस स्टेशन से शुरू हुई यात्रा
मतलौडा के पुलिस स्टेशन से पूरे सम्मान के साथ शव यात्रा निकाली गई। सबसे आगे तिरंगा था। पीछे गांव के लोग थे। युवा बाइक पर सवार थे। धर्मपाल को कुछ दिन पहले बुखार हुआ था। उन्हें एम्स, दिल्ली में भर्ती कराया गया। लेकिन बचाया नहीं जा सका।