Panchayat Poll: हरियाणा में दिख रहा बिहार के पंचायत चुनाव का साइड इफेक्ट, जानें किसानों की चिंता का कारण

प्रवासी लेबर की तुलना में स्थानीय लेबर धान की कटाई के ज्यादा पैसे लेती है। इसका एक कारण धान की पौधों की प्रवासी लेबर की तुलना में स्थानीय लेबर नीचे से कटाई करती है। जिससे अगली फसल की बिजाई के लिए जमीन तैयार करने में सुविधा रहती है।

By Naveen DalalEdited By: Publish:Wed, 20 Oct 2021 02:30 PM (IST) Updated:Wed, 20 Oct 2021 02:30 PM (IST)
Panchayat Poll: हरियाणा में दिख रहा बिहार के पंचायत चुनाव का साइड इफेक्ट, जानें किसानों की चिंता का कारण
धान की कटाई को लेकर किसान परेशान।

जागरण संवाददाता, जींद। पहले मौसम की मार झेल रहे किसानों की परेशानी और बढ़ने वाली है। धान की फसल पक चुकी है। लेकिन कटाई के लिए लेबर नहीं मिल रही है। उत्तर प्रदेश के साथ काफी संख्या में प्रवासी लेबर बिहार से आती है। बिहार में फिलहाल पंचायत चुनाव चल रहे हैं। जिसके कारण वहां से लेबर हरियाणा में आई है।

धान उत्पादक किसान उनके यहां हर साल आने वाले कामगारों से संपर्क साध रहे हैं, तो जवाब मिल रहा है कि चुनाव के बाद आ पाएंगे। बिहार में पंचायत चुनाव 11 चरणों में होने हैं। चौथे चरण के चुनाव के लिए बुधवार को वोटिंग चल रही है। पांचवे चरण की वोटिंग 24 अक्टूबर और छठे चरण की वोटिंग तीन नवंबर को होनी है। जिन क्षेत्र में चुनाव होते जाएंगे, उसके बाद ही वहां से कामगार हरियाणा की तरफ आएंगे। किसानों को उम्मीद है कि चौथे व पांचवें चरण की वोटिंग के बाद कुछ कामगार आएंगे। लेबर नहीं मिलने पर किसानों को कंबाइन से धान की कटाई करवानी होगी। कंबाइन से कटी धान की फसल 150 से 200 रुपये प्रति क्विंटल कम भाव में बिकती है।

भाव भी मांग रहे ज्यादा

किसान फोन पर बिहार में कामगारों से संपर्क साध रहे हैं। कामगार पिछले साल की तुलना में इस बार कटाई के 500 से 700 रुपये प्रति एकड़ मांग रहे हैं। शामलो कलां के किसान बिजेंद्र नंबरदार ने बताया कि पिछले साल उनके यहां आई लेबर ने प्रति एकड़ धान की कटाई 4200 रुपये में की थी। इस बार अब तक लेबर नहीं आई है। फोन पर बात की, तो उन्होंने प्रति एकड़ 5000 रुपये तक की मांग की है। 

स्थानीय लेबर की बढ़ी मांग

किसानों ने बताया कि प्रवासी लेबर की तुलना में स्थानीय लेबर धान की कटाई के ज्यादा पैसे लेती है। इसका एक कारण धान की पौधों की प्रवासी लेबर की तुलना में स्थानीय लेबर नीचे से कटाई करती है। जिससे अगली फसल की बिजाई के लिए जमीन तैयार करने में सुविधा रहती है। रविवार और सोमवार को बूंदाबांदी के साथ चली तेज हवा के कारण धान की फसल कट गई है। पड़ी हुई फसल काटने के स्थानीय लेबर और ज्यादा पैसे मांग रही है।

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