पद्मश्री डा. एसएन सुब्बाराव का देहांत, NIFA की कर्नाटक शाखा की रख गए नींव, ऐसा था उनका व्यक्तित्व

निफा के अध्यक्ष प्रीतपाल सिंह ने विशेष वार्ता में बताया कि जीवनपर्यंत गांधीवाद को जीने बाले और चंबल के बीहड़ में सक्रिय रहे हजारों डकैतों का जीवन बदलने वाले सबके प्रिय एसएन सुब्बाराव की स्मृतियां सदा बेहतर कार्य के लिए प्रेरित करेंगी।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Wed, 27 Oct 2021 06:52 PM (IST) Updated:Wed, 27 Oct 2021 06:52 PM (IST)
पद्मश्री डा. एसएन सुब्बाराव का देहांत, NIFA की कर्नाटक शाखा की रख गए नींव, ऐसा था उनका व्यक्तित्व
पद्मश्री डा. एसएन सुब्बाराव का ने रखी थी NIFA की कर्नाटक शाखा की नींव।

करनाल, जागरण संवाददाता। सुविख्यात गांधीवादी पद्मश्री डा. एसएन सुब्बाराव का देहांत हो गया है। करनाल से संचालित सामाजिक संस्था नेशनल इंटीग्रेटेड फोरम आफ आर्टिस्ट्स एंड एक्टिविस्ट्स निफा को भी उनका सान्निध्य मिला। बीती 26 सितंबर को ही उनके हाथों संस्था की कर्नाटक शाखा की शुरुआत हुई थी, जिसमें उन्होंने संस्था के राष्ट्रव्यापी रक्तदान अभियान संवेदना के आयोजन में सहभागियों को सम्मानित किया था। यह उनका अंतिम सार्वजनिक कार्यक्रम था। ये विचार निफा के अध्यक्ष प्रीतपाल सिंह पन्नू ने डा. सुब्बाराव को याद करते हुए साझा किए।

डा. सुब्बाराव की स्मृतियां हमेशा प्रेरित करती रहेगी

निफा के अध्यक्ष प्रीतपाल सिंह ने विशेष वार्ता में बताया कि जीवनपर्यंत गांधीवाद को जीने बाले और चंबल के बीहड़ में सक्रिय रहे हजारों डकैतों का जीवन बदलने वाले सबके प्रिय एसएन सुब्बाराव की स्मृतियां सदा बेहतर कार्य के लिए प्रेरित करेंगी। निफ़ा से उनका अनन्य जुड़ाव और स्नेह रहा। उनका अंतिम सार्वजनिक कार्यक्रम निफ़ा के साथ ही था। बीती 26 सितंबर को उनके हाथों निफ़ा कर्नाटक शाखा की शुरुआत हुई। इस अवसर पर कार्यक्रम में उन्होंने कर्नाटक में रक्तदान शिविरों के आयोजकाो को सम्मानित करके हौसला बढ़ाया था। 

वहीं निफ़ा के संरक्षक श्रवण शर्मा ने बताया कि डा. सुब्बाराव स्वतंत्र भारत के गांधी थे।

सुब्बाराव में झलकती थी गांधी की छवि

महात्मा गांधी को भले न देखा हो लेकिन सुब्बाराव में उनकी छवि साफ झलकती थी। हाफ नेकर और आधी आस्तीन की शर्ट उनके परिधान थे। वह आजीवन राष्ट्रीय एकता और अखंडता के प्रचारक रहे। उनके राष्ट्रीय एकता शिविरों में अखण्ड भारत के दर्शन होते थे। भारत की अधिकतर भाषाओं का ज्ञान रखने बाले डा. सुब्बाराव को पूरा देश नमन कर रहा है। मुरैना के जौरा कस्बे में बना महात्मा गांधी आश्रम उनकी कर्म स्थली थी। उनके जैसे करोड़ों युवाओ का जीवन डा. सुब्बाराव ने बदला। आज पूरे देश को अपूरणीय क्षति हुई है। 

करनाल हो या गोहाटी, अपना देश अपना माटी 

पन्नू ने बताया कि डा. सुब्बाराव को हरियाणा की धरती से विशेष लगाव था। वह मानते थे कि यहां के लोग जीवट के धनी हैं। उनका पुरुषार्थ पूरी दुनिया के सामने मिसाल की मानिंद है। उनके गीतों में भी देश के कोने-कोने के प्रति समान प्रेम की भावना झलकती थी। उनके ऐसे ही एक यादगार गीत के बोल थे-करनाल हो या गोहाटी, अपना देश अपना माटी...।

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