हरियाणा के धान उत्पादक किसानों की बल्ले-बल्ले, पराली से भी हो रहे मालामाल

हरियाणा के किसानों के लिए पराली अब समस्या नहीं आमदनी का जरिया बन चुका है। तीन से पांच हजार रुपये प्रति एकड़ बिक रही पराली। धान उत्पादक कटाई व कढ़ाई का खर्च पराली से निकल रहा।पूरे प्रदेश में पराली जलाने के केस घटे।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Mon, 25 Oct 2021 10:34 AM (IST) Updated:Mon, 25 Oct 2021 11:50 PM (IST)
हरियाणा के धान उत्पादक किसानों की बल्ले-बल्ले, पराली से भी हो रहे मालामाल
जींद के गांव तेलीखेड़ा में धान की तूड़ी बनाते हुए।

जींद, [कर्मपाल गिल]। पर्यावरण को प्रदूषित करने के लिए बदनाम पराली के भाव बढ़ गए हैं। तीन साल पहले तक किसान जिस पराली को खेतों में जला देते थे, अब उसे बेचकर अच्छी कमाई कर रहे हैं। एक एकड़ की पराली तीन से पांच हजार रुपये में बिक रही है। इससे किसानों का कटाई व कढ़ाई का खर्च पराली की बिक्री से ही निकल रहा है, जिससे किसान खुश हैं।

हरियाणा में इस बार पराली के भाव बढऩे के कई कारण हैं। इस साल बारिश के कारण कई जिलों में धान की फसल बर्बाद हो चुकी है, जिस कारण पराली भी कम है। कैथल जिले के गांव कांगथली में पराली से बिजली बनाने का बायोमास प्लांट शुरू हो चुका है। जींद जिले के गांव ढाठरथ और पानीपत में रिफाइनरी के पास भी बायोमास प्लांट अंतिम चरण में हैं। यहां लाखों टन पराली का स्टाक किया जा रहा है। अकेले कैथल प्लांट में ही साढ़े तीन लाख टन पराली इकट्ठी करने का टारगेट है। इनके अलावा राजस्थान में भी चारे के लिए पराली की डिमांड बहुत ज्यादा बढ़ी है। जींद जिले में लाखों टन पराली का स्टाक सिर्फ राजस्थान में भेजने के लिए किया जा रहा है।

पराली प्रबंधन के नोडल आफिसर नरेंद्र पाल कहते हैं कि प्रदेश सरकार के प्रयासों के चलते पूरे हरियाणा में हर साल पराली जलाने के केस घट रहे हैं। किसानों को कृषि यंत्र उपलब्ध करवाने के लिए पराली जलाने से जमीन को होने वाले नुकसान के बारे में किसानों को जागरूक किया है। जींद जिले में पिछले साल 24 अक्टूबर तक पराली जलाने के 241 केस थे, जबकि इस बार सिर्फ 49 केस मिले हैं।

सरकार ने 80 प्रतिशत सब्सिडी पर दिए कृषि यंत्र

हरियाणा सरकार ने पराली प्रबंधन के लिए कई बड़े कदम उठाए हैं। किसान समितियों को 80 फीसदी सब्सिडी पर पराली की गांठें बनाने व इन्हें काटकर खेतों में मिलाने की मशीनें दी जा रही हैं। पराली की गांठ बनाने की मशीन रीपर बाइंडर की संख्या बीते एक साल में हर जिले में दोगुनी हो गई है। मशीनें देने के अलावा सरकार ने किसानों को जागरूक भी किया। कृषि विभाग के अधिकारी गांव-गांव गए, जिसका असर यह हुआ कि हरियाणा में इस बार पिछले साल की अपेक्षा पराली जलाने के केसों में एक-चौथाई से भी ज्यादा की कमी आई है।

जींद में 3100 तो कैथल में 4500 प्रति एकड़ का भाव

जींद जिले के गांव तेलीखेड़ा के किसान जसबीर पराली खरीदकर उसकी तूड़ी बनाकर राजस्थान में भेजते हैं। पिछले साल 1000 से 1500 प्रति एकड़ की पराली खरीदी थी। लिंक रोड पर जो गांव हैं, वहां इस बार 3000 रुपये प्रति एकड़ की एडवांस बुकिंग शुरू कर दी है। हाइवे पर खेतों से चार से पांच हजार प्रति एकड़ पराली खरीदी जा रही है। जसबीर कहते हैं कि जींद जिले से अधिकतर पराली की तूड़ी बनाकर राजस्थान व दिल्ली भेजी जाएगी, जबकि कैथल, कुरुक्षेत्र की तरफ पराली के बंडल बनाकर गुजरात भेजे जाते हैं, जो कच्चे माल की पैकेजिंग में काम आते हैं।

चंदाना के सुनील की पराली प्रति एकड़ 4300 में बुक

कैथल जिले के गांव चंदाना के सुनील ने बताया कि पिछले साल उनकी पराली 1600 रुपये प्रति एकड़ बिकी थी। इस बार 4300 रुपये में बुक हो चुकी है। इसी तरह जींद के गांव शामलो कलां के किसान बलबीर ने बताया कि रविवार से ही उन्होंने धान की कटाई शुरू की है, लेकिन 3000 रुपये प्रति एकड़ पराली खरीदने दो दिन पहले ही आ चुके हैं। हाथ की कटी हुई पराली का चारे के रूप में प्रयोग किया जाता है।

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