कर्तव्य बोध-सेवाभाव वाले पेशे से बंधे हैं हमारे चिकित्सक

बिल्डिग ए फेयरर हेल्दियर व‌र्ल्ड इसी थीम पर आज विश्व डाक्टर्स डे मनाया जा रहा है। यूं तो कालांतर से ही चिकित्सकों को समाज में मान-सम्मान मिलता रहा है। कोरोना महामारी में इन्होंने साबित कर दिया है कि असली फाइटर्स हैं।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 01 Jul 2021 07:37 AM (IST) Updated:Thu, 01 Jul 2021 07:37 AM (IST)
कर्तव्य बोध-सेवाभाव वाले पेशे से बंधे हैं हमारे चिकित्सक
कर्तव्य बोध-सेवाभाव वाले पेशे से बंधे हैं हमारे चिकित्सक

जागरण संवाददाता, पानीपत : बिल्डिग ए फेयरर, हेल्दियर व‌र्ल्ड इसी थीम पर आज नेशनल डाक्टर्स डे मनाया जा रहा है। यूं तो कालांतर से ही चिकित्सकों को समाज में मान-सम्मान मिलता रहा है। कोरोना महामारी में इन्होंने साबित कर दिया है कि असली फाइटर्स हैं। आज हम सिविल अस्पताल के दो चिकित्सकों का जिक्र उन्हीं की जुबानी करेंगे,जिन्होंने इस महामारी में अपने-अपने तरीके से मोर्चा संभाले रखा। इस दौरान कोरोना पाजिटिव भी हुए। कर्तव्य बोध-सेवाभाव वाले पेशे से बंधे होने के कारण वर्क लोड को हावी नहीं होने दिया। डा. विरेंद्र पहले ही दिन से संभाला आइसोलेशन वार्ड

जब तक कोरोना है..तब तक मैं हूं। डाक्टर्स-डे पर चर्चा में सिविल अस्पताल में एनेस्थेटिस्ट डा. विरेंद्र ढांड़ा ने सीधे शब्दों में कहा कि महामारी से हार नहीं मानूंगा। पहले दिन से ही आइसोलेशन वार्ड संभाल रहा हूं। एईएफआइ (कोरोना वैक्सीनेशन के बाद प्रतिकूल घटना) कक्ष का प्रभार भी है। परिवार में पिता सुखवीर सिंह ढांडा, माता सुरेश देवी, पत्नी डा. सुमन ग्रेवाल व बेटा पार्थ है। कोरोना संक्रमितों का इलाज करते हुए जुलाई-2020 में दो बार मेरी रिपोर्ट पाजिटिव आई थी। होम क्वारंटाइन रहते हुए भी मरीजों और आइसोलेशन वार्ड के स्टाफ से फोन पर जुड़ा रहा। मरीजों के हित में अपनी पाकेट से भी पैसे खर्च किए। स्वस्थ हुआ मरीज जब कृतज्ञता से मेरी ओर देखता तो लगता है कि मेरी मेडिकल की पढ़ाई सफल हो गई। डा. ललित ने पहले दिन से ही संभाला फील्ड का मोर्चा

कोरोना संक्रमितों के इलाज के साथ आशंकित मरीजों की सैंपलिग चुनौति वाला कार्य रहा है। डा. ललित वर्मा ने मार्च-2020 में ही फील्ड का काम संभाल लिया था, अब तक सिलसिला जारी है। नाकों व पानीपत के बार्डरों पर सैंपलिग की। गेंहू कटाई करने दूसरे राज्यों से आए और अनाज मंडी के मजदूरों की सैंपलिग कराई। मई में जिले के हर गांव में खांसी-बुखार के मरीजों की स्क्रीनिग व आशंकित मरीजों की सैंपलिग कराई। गांवों में बनाए गए आइसोलेशन सेंटर बनवाने में भूमिका निभाई। दो बार हुए सीरो सर्वे के नोडल अधिकारी रहे, तीसरे सर्वे की जिम्मेदारी भी इन्हीं को सौंपी गई है। इस दौरान खुद कोरोना पाजिटिव हुए, वर्क फ्राम होम किया। कोरोना से मां को भी खोया पर हार नहीं मानी।

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