पशुओं को मुंह-खुर और गलघोंटू बीमारी से बचाएगी एक वैक्सीन, बार-बार टीकाकरण से छुटकारा

पशुपालकों के लिए बड़ी खुशखबरी है। अब मुंह-खुर व गलघोंटू बीमारी के लिए पशुओं को सिर्फ एक वैक्सीन लगवानी पड़ेगी। 2018 से हरियाणा में वैक्सीन पर चल रहा प्रयोग सफल रहा है। अब इससे दूसरे प्रदेशों के पशुपालक भी लाभान्वित होंगे।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Fri, 11 Jun 2021 04:59 PM (IST) Updated:Fri, 11 Jun 2021 04:59 PM (IST)
पशुओं को मुंह-खुर और गलघोंटू बीमारी से बचाएगी एक वैक्सीन, बार-बार टीकाकरण से छुटकारा
पशुओं के दो रोगों के लिए ड्यूवल नाम की वैक्सीन कारगर साबित हुई है।

करनाल, जेएनएन। पशुओं में आने वाली मुंह-खुर व गलघोंटू जैसी बीमारी के लिए एक ही वैक्सीन के चल रहा ट्रायल सफल हुआ है। हरियाणा में इसे वर्ष 2018 में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में शुरू किया गया था। पहले इन रोगों के लिए अलग-अलग समय में चार बार टीकाकरण किया जाता था।

पशुपालन एवं डेयरी विभाग की ओर से पशुपालकों के पशुओं को घर-घर जाकर टीके लगाए जाते थे। लेकिन पशुपालक उस समय भी दुधारू पशुओं को टीके लगवाने से इन्कार कर देते थे। अब एक ही वैक्सीन होने के कारण बार-बार टीकाकरण की जरूरत नहीं पड़ती। इसके रिजल्ट भी बहुत अच्छे आए हैं। प्रदेश में मुंह-खुर व गलघोंटू बीमारी के नामात्र ही केस हैं। विभाग की ओर से एक अभियान के तौर पर प्रदेशभर में गांव-गांव जाकर टीकाकरण किया था। इन रोगों के लिए ड्यूवल नाम की वैक्सीन कारगर साबित हुई है। प्रदेश गलघोंटू और मुंह-खुर रोगों से लगभग मुक्त हो चुका है। सफल ट्रायल के बाद अब इस वैक्सीन को दूसरे राज्यों में भी प्रयोग में लाया जा सकेगा।

पशुपालकों का बचेगा खर्च

पशुपालन विभाग को पहले चार बार अभियान चलाना पड़ता था। हर तीन माह के अंतराल में टीकाकरण करना पड़ा था। लेकिन ड्यूवल वैक्सीन साल में महज दो बार ही इस्तेमाल की जाती है। इन दोनों रोगों के लिए सटीक है और दौड़-धूप नहीं होती। इससे पशुपालकों को एक बार का समय और खर्च दोनों ही बच जाएगा। इसके अलावा टीका लगाने पर पशुओं को होने वाला दर्द भी एक बार ही सहन करना पड़ेगा।

दूध में कमी की धारणा गलत

पशु पालन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पशु पालकों में धारणा बनी हुई है कि टीके लगवाने से पशुओं का दूध कम हो जाता है। लेकिन यह धारणा गलत है। गलघोंटू जानलेवा बीमारी है जिसकी वजह बैक्टीरिया है जबकि पशु वायरस की वजह से मुंहखुर का शिकार हो जाते हैं। गलघोंटू से पीड़ित पशु को ऐसा लगता है जैसे उसका गला घोंटा जा रहा है और आवाज भी बदल जाती है। इस बीमारी की वजह से पशुओं के गले में सूजन भी होता है और समय पर उपचार नहीं किया जाए तो पशु की मौत भी हो सकती है। पशुओं को रोगों से बचाने के लिए टीके अवश्य लगवाने चाहिए। इससे पशु का स्वास्थ्य ठीक रहेगा।

सफल रहा है ट्रायल

पशुपालन विभाग करनाल के उप निदेशक डा. धर्मेंद्र ने कहा कि हरियाणा में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में तीन बीमारियों के लिए ड्यूवल वैक्सीन को ट्रायल के तौर पर शुरू किया गया। इसके रिजल्ट बेहद अच्छे मिले हैं। करीब दो साल पहले एक अभियान के रूप में इस वैक्सीन का प्रयोग हुआ था। अब प्रदेश इन बीमारियों से लगभग मुक्त हो चुका है। अच्छे परिणाम आए हैं, इसलिए देश के अन्य राज्यों में भी इसका प्रयोग किया जा सकता है।

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