पेट्रोल पंप से सरकारी दरों पर डीजल खरीदने के नाम पर ठगी, कोर्ट पहुंचा मामला तो केस दर्ज
यमुनानगर में पेट्रोल पंप से सरकारी दरों में डीजल खरीदने के नाम पर एक लाख 73 हजार रुपये की ठगी कर ली गई थी। पुलिस में शिकायत देने के बावजूद कार्रवाई नहीं हुई तो कोर्ट पहुंचे। कोर्ट के आदेश पर केस दर्ज कर लिया गया।
यमुनानगर, जेएनएन। बायो कोल व्यवसाय के लिए पेट्रोल पंप से सरकारी दरों पर डीजल खरीदने के नाम पर एक लाख 73 हजार रुपये ठग लिए गए। पेट्रोल पंप मालिक ने रुपये मांगे, तो आरोपित ने पेट्रोल पंप जलाकर क्षतिग्रस्त करने की धमकी दी। इसकी शिकायत एसपी को दी गई। कार्रवाई न होने पर कोर्ट में याचिका दायर की। कोर्ट के आदेश के बाद सदर जगाधरी थाना पुलिस ने आरोपित महलावाली स्थित गणेश बायो कोल फर्म के मालिक प्रवीण कुमार पर केस दर्ज किया।
पुलिस को दी शिकायत के मुताबिक, गांधीधाम कालोनी निवासी सुमन वर्मा का अंबाला रोड पर कैल के पास एमएस मौर्य पेट्रोलियम्स के नाम से पेट्रोल पंप है। वह इंडियन आयल कार्पोरेशन लिमिटेड की पंजीकृत डीलर है। वर्ष 2006 में गणेश बायो कोल फर्म के मालिक प्रवीण कुमार ने उनसे संपर्क किया। आरोपित ने उन्हें बताया कि उनका बायो कोल का व्यवसाय है।
आरोपित ने उनसे सरकारी दरों पर हाई स्पीड डीजल खरीदने की बात की। आरोपित ने उन्हें आश्वासन दिया कि डीजल खरीद कर उसका नियमित रूप से क्रय पर्चियों का भुगतान किया जाएगा। इस दौरान उनसे 28 सितंबर 2016 से 31 मार्च 2017 के दौरान अपने बायो कोल बिजनेस के लिए उनसे सात लाख 11 हजार 34 रुपये का हाई स्पीड डीजल खरीदा। इसमें से छह लाख 44 हजार 519 रुपये का भुगतान किया। बकाया 66 हजार 515 रुपये बाद में देने की बात कही।
इसके बाद एक अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2018 तक 19 लाख नौ हजार 989 रुपये का तेल खरीदकर 17 लाख 40 हजार रुपये दिए। जबकि दो लाख 36 हजार 503 रुपये बकाया रहे। इसी तरह एक अप्रैल 2018 से 14 दिसंबर 2018 तक 247133 रुपये का हाई स्पीड डीजल खरीदा है और ढाई लाख रुपये का भुगतान किया गया।
सुमन वर्मा के मुताबिक, उसके बेटे के साथ-साथ उसके ससुर ने कई बार आरोपित से बकाया राशि का भुगतान करने का अनुरोध किया। जिस पर आरोपित ने महलावाली के ईंट भट्टे से केवल 60 हजार रुपये की 12 हजार ईंटें खरीदकर दी। इसके बाद भी आरोपित के पास उनका एक लाख 73 हजार 636 रुपये बकाया था।
रुपये न देने पर उसके ससुर केदारनाथ ने 20 मार्च 2020 को पुलिस अधीक्षक को शिकायत की। तब आरोपित ने जानबूझकर अपनी धोखाधड़ी स्वीकार की और उसके खिलाफ केवल साढ़े 14 हजार रुपये की राशि बकाया बताई। जबकि 14 दिसंबर 2018 तक उनके खिलाफ एक लाख 73 हजार 636 रुपये बकाया थे। जब उन्होंने आरोपित से पूरे रुपये मांगे तो उसने गाली गलौज की।