Milkha Singh News:मिल्खा सिंह के साथ एक ही ट्रैक पर दौड़ते थे कैथल के ओमप्रकाश, दोनों का था एक ही लक्ष्य
पंजाब विश्वविद्यालय के ट्रैक पर पर फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह के साथ कैथल के ओमप्रकाश अभ्यास करते थे। करीब डेढ़ साल तक उनके साथ अभ्यास किया। उन्होंने दैनिक जागरण से शेयर किए फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह से जुड़े अनुभव।
कैथल, [सुनील जांगड़ा]। फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह का शुक्रवार देर रात निधन हो गया। सीवन गेट निवासी 81 वर्षीय ओमप्रकाश गुप्ता ने बताया कि मिल्खा सिंह एक नेक दिल इंसान थे। उन्होंने डेढ़ साल तक मिल्खा सिंह के साथ 1963-64 में पंजाब विश्वविद्यालय के ट्रैक पर दौड़ का अभ्यास किया था। 1964 में होने वाले टोक्यो ओलंपिक के लिए मिल्खा सिंह, अजमेर सिंह और वह स्वयं तीनों अभ्यास करते थे।
मिल्खा सिंह और अजमेर सिंह का ओलंपिक में चयन हो गया था और घुटने में चोट के कारण उनका चयन नहीं हुआ था। मिल्खा सिंह जरूरतमंद खिलाड़ियों की सहायता भी करते थे। उनके खाने-पीने का प्रबंध भी करते थे। मिल्खा सिंह कार में आते थे और उन्हें अभ्यास के लिए एक स्पेशल कोच मिला हुआ था। वह कोच उन्हें तकनीकी अभ्यास करवाते थे। वे रोजाना एक से डेढ़ घंटा अभ्यास करते थे। ओमप्रकाश ने बताया कि वह भी नेशनल स्तर के खिलाड़ी रहे थे और नेशनल प्रतियोगिता में गोल्ड मेडलिस्ट थे। 1965 में खेल के दम पर उन्हें नौकरी मिल गई थी। उसके बाद उन्होंने 1984 से 2010 तक आरकेएसडी कालेज में खिलाड़ियों को दौड़ का अभ्यास करवाया था।
आज भी याद है उनका ये किस्सा
ओमप्रकाश गुप्ता ने बताया कि मिल्खा सिंह ने एक बार उन्हें बताया था कि किस प्रकार वह दौड़ में आए थे। 1956 में मिल्खा सिंह फौज में नौकरी करते थे। उस दौरान उनकी किसी सीनियर अधिकारी से कहासुनी हो गई थी। अधिकारी ने दूसरे जवानों को कहा कि मिल्खा को पकड़ लो, लेकिन मिल्खा वहां से भाग गए। मिल्खा को पकड़ने के लिए कई सैनिक उनके पीछे दौड़े, लेकिन कोई उनके पास भी नहीं लग पाया था। उसके बाद से ही अधिकारियों ने उसे दौड़ में भाग दिलवाने की सोची थी। मिल्खा ने कई बाद देश का नाम रोशन किया है। एशियन खेलों में गोल्ड जीते हैं और ओलंपिक में भी भाग लिया।
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