Omicron: ये लापरवाही बड़ी, सिविल अस्पताल की ओपीडी भीड़ से संक्रमण का खतरा

यमुनानगर सिविल अस्पताल में सबसे अधिक भीड़ ओपीडी की पर्ची बनवाने को लेकर होती है। यहां पर सुबह से मरीजों व उनके स्वजनों की लाइन लग जाती है। इसमें लोग एक दूसरे सटकर खड़े रहते हैं। अधिकतर मास्क भी नहीं पहनते। जिससे कोरोना के फैलने का खतरा बना रहता है।

By Rajesh KumarEdited By: Publish:Mon, 06 Dec 2021 04:52 PM (IST) Updated:Mon, 06 Dec 2021 04:52 PM (IST)
Omicron: ये लापरवाही बड़ी, सिविल अस्पताल की ओपीडी भीड़ से संक्रमण का खतरा
यमुनानगर सिविल अस्पताल की ओपीडी में लगी भीड़।

यमुनानगर, जागरण संवाददाता। कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रोन का खतरा बना हुआ है। इसके बावजूद लोग नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। अभी भी लोग लापरवाही बरत रहे हैं। अस्पतालों में मरीज भी मास्क तक पहनकर नहीं आ रहे हैं। दो गज की दूरी की पालन भी नहीं हो रहा है। सिविल अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीज पर्ची बनवाने से लेकर डाक्टर को दिखाने तक आपाधापी मचा रहे हैं। जिससे नियम टूट रहे हैं। 

ओपीडी पर्ची वितरण कक्ष

सिविल अस्पताल में सबसे अधिक भीड़ ओपीडी की पर्ची बनवाने को लेकर होती है। यहां पर सुबह से मरीजों व उनके स्वजनों की लाइन लग जाती है। हालांकि पर्ची बनवाने के लिए महिलाओं व पुरुषों की अलग-अलग लाइन लगती है, लेकिन इसमें लोग एक दूसरे सटकर खड़े रहते हैं। अधिकतर मास्क का प्रयोग तक नहीं करते हैं। जिससे कोरोना के फैलने का खतरा बना रहता है। 

फिजिशियन ओपीडी

अस्पताल में अधिकतर मरीज बुखार, खांसी, जुकाम, बीपी व शुगर जैसी बीमरियों के आते हैं। ऐसे में फिजिशियन कक्ष के बाहर सबसे अधिक भीड़ रहती है। यहां पर एक कर्मी बाहर मरीजों की पर्ची लेता है और उन्हें बारी-बारी से अंदर बुलाता है। इसके बावजूद मरीजों में आपाधापी रहती है। जिससे नियम टूट रहे हैं। मरीज एक दूसरे से सटकर रहते हैैं। यहां तक कि मास्क का भी प्रयोग नहीं करते। कई बार डाक्टर ही मरीजों को मास्क का प्रयोग करने के बारे में चेता देते हैं। 

हड्डी रोग विशेषज्ञ ओपीडी

सिविल अस्पताल के ट्रामा सेंटर की पहली मंजिल पर मनोचिकित्सक, हड्डी रोग विशेषज्ञ व दंत रोग विशेषज्ञ की ओपीडी चलती है। जगह कम होने के बावजूद यहां पर मरीजों की काफी भीड़ लगती है। मरीज अपनी बारी के इंतजार में बैठे रहते हैं। कुछ मरीज ओपीडी के बाहर खड़े रहते हैं। सोमवार को अधिक भीड़ होती है। हालात यह होेते हैं कि यहां से निकलते तक की जगह नहीं रहती।

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