Omicron Effect: कोरोना के कारण जर्मनी का हेमटेक्स रद, निर्यातकों को बड़ी राहत
जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में लगने वाले हमेटेक्स फेयर को कोरोना की वजह से रद कर दिया गया है। इससे पानीपत टेक्सटाइल के निर्यातकों को राहत मिली है। अब इसे जनवरी में रद करके जून में लगाने की योजना है।
पानीपत, जागरण संवाददाता। जर्मनी के फ्रैंकफर्ट में लगने वाला हेमटेक्स फेयर कोरोना के कारण लगातार दूसरे साल रद कर दिया है। टेक्सटाइल निर्यातकों के लिए इस फेयर को मक्का-मदीना की तरह माना जाता है। फेयर के रद होने के बावजूद निर्यातकों ने इसे अपने लिए बड़ी राहत माना है। उधर, फेयर अथारिटी ने अब इसे जनवरी की जगह, जून में लगाने की योजना बनाई है। इसके लिए पहले दुनियाभर के निर्यातकों की राय ली जाएगी।
फेयर रद होने को राहत इसलिए माना जा रहा है, क्योंकि कोरोना की वजह से ज्यादातर निर्यातक वहां जाना नहीं चाहते थे। दिक्कत ये थी कि जिन निर्यातकों ने एडवांस राशि जमा करा दी थी, वो असमंजस में थे। जिन्होंने राशि नहीं जमा कराई थी लेकिन बुकिंग के लिए हां बोल दिया था, वे भी मुश्किल में फंसे थे। दरअसल, अगर अपनी तरफ से बुकिंग कराने के बाद अगर निर्यातक पीछे हटता है तो उसे अगली बार बुकिंग मिलने में दिक्कत होती है। जिन्होंने राशि दी होती है, उन्हें रिफंड नहीं मिलता। दूसरा, जिन्होंने बिना राशि दिए बुकिंग कराई होती है, रद कराने पर उन्हें ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है। इस तरह से, आने वाले सालों के लिए उनके लिए फेयर में जाने के रास्ते बंद हो जाते हैं। निर्यातक दोराहे पर थे।
जर्मनी में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ रही है। अगर फेयर में जाते तो कोरोना का खतरा, अगर नहीं जाते तो ब्लैक लिस्ट होने की चिंता। निर्यातकों के प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में नीति आयोग के सदस्यों से मुलाकात यह मुद्दा उठाया था। जर्मनी सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए निवेदन किया था। आखिरकार फेयर अथारिटी ने अपनी तरफ से ही जनवरी में लगने वाले फेयर को रद कर दिया है। साथ ही, यह भी आश्वस्त किया है कि जनवरी तक सभी की राशि लौटा दी जाएगी।
यस ने भी उठाई थी आवाज
यंग एन्टरप्रनोयर सोसाइटी (यस) के पानीपत चैप्टर के चेयरमैन रमन छाबड़ा ने जागरण से बातचीत में हेमटेक्स फेयर के रद होने की पुष्टि की। उन्होंने बताया कि पानीपत के निर्यातकों ने फेयर की तारीख आगे बढ़ाने या इसे रद करने के लिए निवेदन किया था। अब जून में यह फेयर लग सकता है। अगर हालात ठीक रहे तो वे जाना चाहेंगे। कोरोना की वजह से भारत के निर्यातक जर्मनी नहीं जाना चाहते थे।
कारोबार बाद में, जीवन पहले
गुप्ता इंटरनेशनल के राजेश गुप्ता ने जागरण से बातचीत में कहा कि कारोबार बाद में है, जीवन पहले है। फेयर को रद किया ही जाना चाहिए था। अब निर्यातकों को रिफंड मिल सकेगा। इसके साथ ही ब्लैकलिस्ट होने का भी खतरा नहीं है। निर्यातकों की बात सुनी गई है। अगर हालात बेहतर होंगे तो जून में जाएंगे।
जाने का लाभ नहीं होता
कांग्रेस नेता एवं कच्चा कैंप निवासी निर्यातक विकास त्यागी ने जागरण से बातचीत में कहा कि हेमटेक्स में जाने का फायदा ही नहीं होता। कोरोना संक्रमण के कारण इस बार कंपनियों के मालिक तो आ नहीं रहे थे। उनके प्रतिनिधि ही पहुंचते। निर्यातक, इसलिए भी जाते हैं, ताकि कंपनी के मालिक से मुलाकात हो जाए। साथ ही, नए आर्डर भी मिल जाएं। ऐसे मुश्किल लग रहा था। उन्होंने इस वजह से बुकिंग नहीं कराई थी।
क्या आप जानते हैं...
हर साल जनवरी में दुनिया का सबसे बड़ा टेक्सटाइल फेयर लगता है। 65 देशों के निर्यातक-आयातक यहां पहुंचते हैं। पानीपत से करीब 250 निर्यातक पहुंचते हैं। इतने ही निर्यातक केवल फेयर देखने पहुंचते हैं। बाजार में क्या नया उत्पाद आ रहा है, खरीदारों से रूबरू होने के लिए यह अवसर होता है। वैसे, भारत, पाकिस्तान, चीन और वियतनाम के निर्यातकों के लिए यहां बड़ा अवसर होता है। उन्हीं के सबसे ज्यादा स्टाल भी लगते हैं। फेयर लगने के पांच महीने पहले ही निर्यातक सैंपल बनाने लगते हैं। कारपेट जैसे भारी उत्पाद दो महीने पहले समुद्री जहाज से रवाना कर दिए जाते हैं। बाथमैट, कीचन में इस्तेमाल होने वाले कपड़े, बेडिंग उत्पाद जैसे बेडशीट, कुशन कवर जैसे उत्पाद हवाईजहाज से भेजे जाते हैं। पानीपत के जितने भी बड़े निर्यातक हैं, वे इस फेयर में भाग लेते हैं या भाग ले चुके हैं। छोटे निर्यातकों के लिए यह बड़ा अवसर लेकर आता है।