Janmashtami 2021: सीवन में जन्‍माष्‍टमी में दही-हांडी फोड़ने की प्रथा पुरानी, सामाजिक एकता की मिसाल एक वजह

सीवन में हर साल आयोजित किया जाता है दही-हांडी फोड़ने का कार्यक्रम। मंदिर के सुधार एवं विकास को लेकर हर वर्ष श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर करते हैं भव्य कार्यक्रम का आयोजन। शुरुआत में तीन दही-हांडी फोड़ने की परंपरा की गई थी शुरू।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Mon, 30 Aug 2021 09:52 AM (IST) Updated:Mon, 30 Aug 2021 09:52 AM (IST)
Janmashtami 2021: सीवन में जन्‍माष्‍टमी में दही-हांडी फोड़ने की प्रथा पुरानी, सामाजिक एकता की मिसाल एक वजह
सीवन की बाबा शिवगिर दही-हांडी महोत्सव कमेटी।

कैथल, जागरण संवाददाता। धार्मिक आयोजनों को लेकर कलाकारों द्वारा फीस के रूप में आयोजकों द्वारा राशि ली जाती है, परंतु सीवन की बाबा शिवगिर दही-हांडी महोत्सव कमेटी के सदस्य मंदिर के सुधार और विकास के लिए बिना किसी स्वार्थ के श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर भव्य कार्यक्रम आयोजित करते हैं।

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर सीवन में पिछले 13 साल से दही-हांडी फोड़ने का कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। इसके साथ ही झांकियां निकाली जाती है। यह कार्यक्रम में बाबा शिवगिर दही-हांडी महोत्सव कमेटी द्वारा आयोजित किया जाता है। कस्बा में कुल 21 जगहों पर दही-हांडी फोड़ने का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।

मंदिर के सुधार के लिए कार्यक्रम का आयोजन किया गया था शुरू 

बता दें कि सीवन में बाबा नारायण दास मंदिर की काफी मान्यता है। इस मंदिर की कुछ ही दूरी पर बाबा शिवगिर मंदिर भी स्थापित है, लेकिन इसकी हालत काफी जर्जर है और यहां पर स्थापित मूर्तियां काफी पुरानी है। जिस कारण इसके कभी भी धवस्त होने का भय बना है। इसलिए इस मंदिर के सुधार के लिए गांव के कुछ युवा आगे आए और श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर्व पर दही-हांडी कार्यक्रम आयोजित करने की परपंरा को शुरू किया गया। इसके बाद पिछले 13 साल से दही-हांडी फोड़ने का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है। इसके साथ ही भव्य झांकियां आयोजित की जाती है। इसमें आने वाले चढ़ावे को मंदिर में दान में दिया जाता है।

तीन दही-हांडी फोड़ने की शुरू की थी परंपरा, अब 21 फोड़ी जा रही

बाबा शिवगिर दही-हांडी महोत्सव कमेटी के प्रधान प्रवीन सैनी, उपप्रधान शेखर राणा, सलाहकार प्रवीन और चेतन शर्मा हैं। सलाहकार चेतन शर्मा ने बताया कि वर्ष 2008 में महज तीन दही-हांडी फोड़ने की परपंरा शुरू की गई थी। अब इस परपंरा के तहत कुल 21 दही-हांडी फोड़ने के कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। चेतन ने बताया कि इस कार्यक्रम में कुल 50 युवा दही-हांडी फोड़ने का कार्य करते हैं। इसके लिए इन युवाओं द्वारा 15 दिन पहले ही अभ्यास शुरू किया जाता है। सबसे ऊंची दहीं हांडी 25 फीट और 31 फीट तक की रहती है। सबसे अंतिम दही-हांडी शाम साढ़े छह बजे बाबा नारायण दास मंदिर परिसर में फोड़ी जाती है। इसके साथ ही झांकियां निकालने का सिलसिला सुबह दस बजे से ही शुरू कर दिया जाता है। जिसमें श्री कृष्ण, श्रीराम, शिव-पार्वती और अन्य झांकियां निकाली जाती है।

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