लॉकडाउन में बढ़ी मानसिक मरीजों की संख्या, आप भी हैं परेशान, तो ये सावधानी बरतें

लॉकडाउन की वजह से मानसिक रोगियों की संख्‍या बढ़ी है। लोगों में तनाव डर है। ऐसे रोजाना 30 से 35 मरीज ओपीडी में आ रहे हैं। तीन माह में अब तक कैथल में 696 मरीज इलाज करा चुके हैं। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 20 Jan 2021 10:07 AM (IST) Updated:Wed, 20 Jan 2021 10:25 AM (IST)
लॉकडाउन में बढ़ी मानसिक मरीजों की संख्या, आप भी हैं परेशान, तो ये सावधानी बरतें
लॉकडाउन के दौरान मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ी है।

पानीपत/कैथल, जेएनएन। कोरोना महामारी को लेकर लगे लॉकडाउन के दौरान मानसिक रोगियों की संख्या में इजाफा हुआ। इसका कारण लोगों के डिपेंशन में होना है। इस महामारी के चलते किसी का काम-धंधा प्रभावित हुआ तो किसी की नौकरी चली गई। इस कारण लोग घबराहट के चलते टेंशन में आ गए और मानसिक रूप से परेशान रहने लगे। लोगों में मानसिक तनाव बढ़ने के कारण सिविल अस्पताल में मरीजों की ओपीडी बढ़ी। यह कहना है जिला नागरिक अस्पताल के चिकित्सक डा. धर्मचंद ठुकराल का।

स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जिले में मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम चलाया जा रहा है। यह प्रोजेक्ट वर्ष 2018 में शुरू हुआ था। इसके तहत सुबह नौ बजे से दोपहर दो बजे ओपीडी रहती है। मरीजों की जांच और इलाज भी निशुल्क दिया जाता है। अब कोरोना महामारी के कारण जो वार्ड मानसिक रोगियों के लिए अस्पताल में बनाया गया था, वह जगह सामान्य बीमारियों केे मरीजों को लेकर दी गई है, इस कारण अब मानसिक रोगियों को दाखिल करने की बजाए ओपीडी में ही जांच के बाद घर भेजा जा रहा है। इसके साथ-साथ ऑनलाइन काउसिंग को लेकर भी चिकित्सकों से 10 से 15 मरीज रोजाना इलाज ले रहे हैं।

ये हैं लक्षण

अनजान की तरह व्यवहार करना।

-ज्यादा या कम बोलना।

-नींद व भूख में बड़बड़ाना।

-बे मतलब डरना या शक करना।

ये बरते सावधानी

-ऐसे लक्षण नजर आए तो विशेषज्ञ चिकित्सकों से इलाज लें।

-इलाज के दौरान मरीजों की काउंसलिंग भी की जाती है।

-विशेषज्ञ चिकित्सक के बिना किसी दूसरे के डाक्टर से दवा न लें।

-अस्पताल में मरीजों को इसीटी, यानि बिजली शॉट भी दिया जाता है।

जिला नागरिक अस्पताल के चिकित्सक डा. धर्मचंद ठुकराल ने बताया कि कोरोना महामारी के दौरान मानसिक रोगियों की संख्या बढ़ी है। इस कारण लोगों के काम-धंधे प्रभावित होना तो किसी की नौकरी चली जाना है। अस्पताल में ऐसे कई मामले उनके सामने आए हैं। रोजाना 30 से 35 मरीजों की ओपीडी रहती है। इसके अलावा ऑनलाइन ओपीडी में भी मरीज बीमारी से संबंधित इलाज ले रहे हैं।

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