गांव का पानी कितना शुद्ध है इसकी जांच अब ग्रामीण खुद ही कर सकेंगे

कैथल के गांव का पानी कितना शुद्ध है अब इसकी जांच ग्रामीण खुद ही कर सकेंगे। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने चेन्नई (तमिलनाडु) से फील्ड टेस्टिंग किट मंगवाई हैं। मंगाई गई 1900 किट को सभी गांव में बांटा जाएगा।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Wed, 02 Dec 2020 04:43 PM (IST) Updated:Wed, 02 Dec 2020 04:43 PM (IST)
गांव का पानी कितना शुद्ध है इसकी जांच अब ग्रामीण खुद ही कर सकेंगे
पानी कितना शुद्ध है अब इसकी जांच ग्रामीण खुद ही कर सकेंगे।

पानीपत/कैथल, जेएनएन। पानी की गुणवत्ता को जांचने के लिए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ने चेन्नई (तमिलनाडु) से फील्ड टेस्टिंग किट मंगवाई हैं। इसमें पानी डालकर रखने के बाद 30 से 35 डिग्री तापमान पर 12 से 24 घंटे में पानी की गुणवत्ता का प्रमाण मिल जाएगा। किट में डालने के बाद पानी काला हो गया तो वह पीने योग्य नहीं है। ऐसे गांव में पानी की शुद्धता को लेकर विभाग की ओर से समाधान के प्रयास किए जाएंगे। मंगाई गई 1900 किट को सभी गांव में बांटा जाएगा। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के वासो के जिला सलाहकार दीपक कुमार ने बताया कि किट बांटने के लिए ब्लॉक रिसॉर्स कोऑर्डिनेटर की जिम्मेदारी लगाई गई है। दीपक कुमार ने बताया कि जिले में 279 ग्राम पंचायतें हैं। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा प्रत्येक ग्राम पंचायत को पानी की शुद्धता जांच करने के लिए किट दी जाएगी ताकि ग्रामवासी अपने यहां जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा दी जा रही पानी की सप्लाई की जांच कर सकें।

जिला सलाहकार दीपक कुमार ने बताया कि भू-जल का स्तर घट रहा है और लोग पीने का पानी बचाने के लिए ज्यादा गंभीर नहीं है। लोग पीने के पानी को व्यर्थ बहा देते हैं। यदि ऐसा ही चलता रहा तो आने वाली पीढ़ी को मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। इसलिए जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग गांव-गांव जाकर लोगों को पानी की गुणवत्ता जांच करने की किट देगा ताकि लोग पानी का सही इस्तेमाल कर सकें। कई बार पाइप लाइन में लीकेज होने के कारण पानी दूषित हो जाता है।

कहीं भी लीकेज दिखती है तो विभाग के टोल फ्री नंबर 1800180 5678 पर शिकायत दर्ज कराएं। किट द्वारा की गई जांच में पानी का सैंपल फेल हो जाता है तो जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग की लैब में पानी दोबारा चेक किया जाएगा। यहां भी पानी का सैंपल फेल हो जाता है तो विभाग पानी दूषित होने का कारण जानकर उसका समाधान करेगा। अगर ट्यूबवैल में कमी मिलती है तो उसकी जगह दूसरा ट्यूबवैल भी लगाया जाएगा। दीपक कुमार ने बताया कि किट में पानी डालकर उसे अच्छी तरह हिलाएं और 12 से 24 घंटे के लिए रख दें। पानी का रंग हल्का भूरा रहा तो पानी पीने योग्य है। अगर पानी का रंग काला हो जाता है तो वह पानी पीने योग्य नहीं है। पानी जांच का आसान तरीका होने के कारण कोई भी व्यक्ति इस किट का प्रयोग कर सकता है। ग्रामीणों को जनस्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग द्वारा सप्लाई किए जा रहे पानी की जांच के लिए ही किट बांटी जाएगी।

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