क्लास में बोर नहीं होंगे छात्र, कहानियों के जरिए विषय पढ़ाएंगे सीबीएसई शिक्षक
सीबीएसई यानी केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने छात्रों को पढ़ाने के लिए एक नई पहल की। अब कहानियों के जरिए विषयों को पढ़ाने के लिए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड शिक्षकों को ट्रेंनिंग देगा। इससे शिक्षक कहानियों की तरह विषयों को पढ़ाएंगे।
यमुनानगर, जेएनएन। आने वाले दिनों में यदि शिक्षक क्लासरूम में बच्चों को कहानी सुनाता नजर आए, तो चौकिए मत। कहानी के जरिए किसी भी मुश्किल विषय के बहुत ही आसानी से समझाया जा सकता है। यही वजह है कि सीबीएसई ने शिक्षकों को कहानी सुनाने को पढ़ाई में इस्तेमाल करने की कला में पारंगत करने का निर्णय लिया है। योजना के अमलीजामा पहनाने के लिए सीबीएसई ने शिक्षकों के लिए नि:शुल्क पाठ्यक्रम शुरू किया है। सीबीएसई की ओर से विभिन्न भाषाओं में आयोजित वेबिनार के जरिए शिक्षकों के कहानी सुनाने की कला में पारंगत किया जाएगा।
विद्यार्थियों की समझ विकसित करने में कहानियां ज्यादा करगर
सीबीएसई अधिकारियों का मानना है कि कहानियां विद्यार्थियों की समझ को विकसित करने में कारगर भूमिका अदा करती है। कहानी सूनने से जहां कल्पना शक्ति बढ़ती हैं, वहीं इससे रचनात्मकता का भी विकास होता है। कहानी के जरिए किसी भी मुश्किल विषय को उदाहरणों के जरिए आसानी से समझाया जा सकता है। प्राचीन काल में गुरुकुल में शिक्षा ग्रहण करने वाले विद्यार्थियों के रिषी मुनियों द्वारा कहानियां सुनाकर ही विभिन्न कलाओं में पारंगत किया जाता था। जिनका असर उन पर लंबे समय तक देखा जा सकता था। शिक्षाप्रद कहानियों के जरिए विद्यार्थियों के नई दिशा प्रदान की जा सकती है।
गूगल क्लासरूम के जरिए मिलेगी पाठ्य सामग्री
सीबीएसई अधिकारियों के मुताबिक शिक्षकों के गूगल क्लासरूम के जरिए पाठ्य सामग्री उपलब्ध करवाई जाएगी। इसके अलावा सीबीएसई के यू-ट्यूब चैनल पर वेबिनार का प्रसारण भी किया जाएगा। वेबिनार के दौरान शिक्षकों के नई कहानी कहने के तरीकें के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाएगी। कहानी सुनाने की तकनीक में पारंगत होने के बाद शिक्षक क्लास रूम में विद्यर्थियों को पढ़ाने में इसका उपयोग कर सकेंगे।
सीबीएसई ने शिक्षकों को कहानी सुनाने की कला में पारंगत करने का निर्णय लेकर सहरानीय कदम उठाया है। शिक्षकों के लिए नि:शुल्क पाठ्यक्रम मुहैया करवाया जाएगा। कहानियों के जरिए विषय पढ़ाने में सबसे ज्यादा फायदा विद्यार्थियों होगा। क्लासरूम में विद्यार्थी बोरियर महसूस नहीं करेंगे। किसी भी चीज को वे आसानी से समझ सकेंगे।
दीपक सिंगला, प्रिंसिपल, सरस्वती पब्लिक स्कूल, जगाधरी।