अब आयुष्मान आपके द्वार, टीमें पात्रों के घर पहुंचकर बनाएंगी गोल्डन कार्ड

पानीपत में प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना (पीएमजेएवाइ) को पंख देने गोल्डन कार्ड को गति देने के लिए स्वास्थ्य विभाग एक से 15 मार्च तक विशेष पखवाड़ा मनाएगा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Feb 2021 07:35 AM (IST) Updated:Thu, 25 Feb 2021 07:35 AM (IST)
अब आयुष्मान आपके द्वार, टीमें पात्रों के घर पहुंचकर बनाएंगी गोल्डन कार्ड
अब आयुष्मान आपके द्वार, टीमें पात्रों के घर पहुंचकर बनाएंगी गोल्डन कार्ड

जागरण संवाददाता, पानीपत : प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना (पीएमजेएवाइ) को पंख देने, गोल्डन कार्ड को गति देने के लिए स्वास्थ्य विभाग एक से 15 मार्च तक विशेष पखवाड़ा मनाएगा। कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) की टीमें पात्रों के घर पहुंचेंगी और मौके पर ही गोल्डन कार्ड बनाकर देंगी। पानीपत के अलावा प्रदेश के 19 अन्य जिलों में भी पखवाड़ा मनाया जाएगा।

सिविल सर्जन डा. संतलाल वर्मा ने बताया कि जिला में आयुष्मान भारत के पात्र परिवार 75 हजार 392 हैं। इनमें से 20 हजार 195 परिवार अपने बताए पते पर नहीं रह रहे हैं। अब 55 हजार 197 परिवारों के दो लाख 70 हजार 904 सदस्यों के गोल्डन कार्ड बनने हैं। अभी तक मात्र एक लाख 10 हजार 667 सदस्यों (40.85 फीसद) के ही गोल्डन कार्ड बने हैं। विशेष पखवाड़ा मनाने का उद्देश्य गोल्डन कार्ड बनाने के कार्य को गति देना है।

योजना के जिला प्रबंधक सोहन सिंह ग्रोवर ने बताया कि 15 सक्षम युवाओं को कॉल सेंटर में लगाया गया है। ये योजना के पात्रों को कॉल कर गोल्डन कार्ड बनाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं। अब तक 8079 मरीज निश्शुल्क इलाज का लाभ ले चुके हैं।

नहीं लिए जाएंगे 30 रुपये

सरकार ने कॉमन सर्विस सेंटर में गोल्डन कार्ड बनवाने की फीस 30 रुपये निर्धारित की हुई है। इतनी फीस लेकर कार्ड का प्रिट लेमिनेशन कर दिया जा रहा है। विशेष पखवाड़ा के दौरान पात्रों से यह फीस नहीं ली जाएगी।

बनेंगे प्लास्टिक के कार्ड

पैन कार्ड, डेबिट-क्रेडिट कार्ड की तरह अब आयुष्मान भारत का गोल्डन कार्ड भी प्लास्टिक का बनाने पर सरकार मंथन कर रही है। ग्रोवर के मुताबिक आदेश का इंतजार है। जिनके पहले ही गोल्डन कार्ड बन चुके हैं, प्लास्टिक का कार्ड डाक से घर पहुंचेगा।

पैनल अस्पतालों का लिया सहारा :

जिले के आठ सरकारी, 34 प्राइवेट अस्पताल योजना के पैनल पर हैं। प्रत्येक अस्पताल को एक गांव और शहर के 800 पात्र परिवारों के गोल्डन कार्ड बनाने की जिम्मेदारी दी हुई है। अस्पतालों ने गांव-गांव पहुंचकर शिविर में कार्ड बनाने शुरू कर दिए हैं।

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