Parali Pollution: अब खेतों में पराली जलाने की जरूरत नहीं, उर्वरा शक्ति भी बढ़ेगी
धान के अवशेषों में आग लगाने की जरूरत नहीं है। 100 के करीब भूप स्प्रे मशीन से पूसा डी कंपाेजर दवाई का खेतों में होगा निशुल्क छिड़काव। कैथल में 62 हजार एकड़ का हुआ अब तक पंजीकरण लक्ष्य एक लाख 10 हजार के करीब।
कैथल, जागरण संवाददाता। किसानों को धान के अवशेष जलाने की जरूरत नहीं है। कृषि व कल्याण विभाग द्वारा एक निजी कपंनी के साथ मिलकर भूमस्प्रे मशीन से पूसा डी कंपाेजर दवाई का छिड़काव निशुल्क खेतों में करवाया जाएगा। बता दें कि धान की फसल कटाई के बाद फसल अवशेष को किसान खेतों में जला देते हैं। इससे जमीन की उर्वरता शक्ति कमजोर हो जाती है। आग लगाने के बाद मित्र कीट नष्ट हाे जाते हैं। खेत की मिट्टी में जैव पदार्थ की कमी हो जाती है। मृदा में जैव पदार्थ की कमी के कारण पौधों के विकास एवं वृद्धि के लिए आवश्यक सूक्ष्म पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं, जिसकी वजह से उपज भी प्रभावित होता है।
10 से 15 दिनों के अंदर ही फसल अवशेष सड़ेगा
पूसा डी कंपाेजर दवा का छिड़काव करने के बाद 10 से 15 दिन के अंदर फसल अवशेष सड़ जाते हैं। छिड़काव करते समय खेत में नमी पर्याप्त मात्रा में होनी चाहिए। नमी होने पर यह दवा तेजी से काम करती है। इस उर्वरक का प्रयोग किसान खेत की उर्वरा शक्ति बढ़ाने में कर सकते हैं।
किसानों का किया जा रहा है पंजीकरण
कृषि विभाग के सहयोग से निजी कंपनी द्वारा पंजीकरण किया जा रहा है। अब तक 62 हजार एकड़ फसल का पंजीकरण हो चुका है। विभाग की तरफ से एक लाख 10 हजार के करीब पंजीकरण करने का लक्ष्य रखा हुआ है।
कृषि उपनिदेशक डा. कर्मचंद ने बताया कि कृषि विभाग पूसा डी कंपोजर दवाई का छिड़काव कंपनी के साथ मिलकर निशुल्क करवाया जाएगा। इसके लिए 100 के करीब मशीने काम करेंगी। वहीं विभाग की तरफ से पूसा डी कंपोजर दवाई निशुल्क वितरित की जाएगी।किसान को पैसे देने की जरूरत नहीं रहेगी। साथ ही गांव में तैनात राजस्व विभाग के अधिकारी फसल अवशेष न जलाए जाएं इसके बारे में निगरानी रखेंगे। कर्मचारी गांव में निगरानी रखने के साथ साथ पूसा डी कंपोजर के बारे में भी जागरूक करेंगे।