एनआइटी कुरुक्षेत्र ने पानी और कचरा प्रबंधन में प्रस्तुत किया उदाहरण, 70 एकड़ में विकसित हुआ वन

राष्‍ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान ने पानी और कचरा प्रबंधन का एक बेहतरीन उदाहरण प्रस्‍तुत किया है। संस्‍थान में एक बूंद दूषित पानी और कचरा को बाहर नहीं फेंका। इसी के जरिए 70 एकड़ में वन को विकासित किया हुआ है।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 05:54 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 05:54 PM (IST)
एनआइटी कुरुक्षेत्र ने पानी और कचरा प्रबंधन में प्रस्तुत किया उदाहरण, 70 एकड़ में विकसित हुआ वन
सोलर इको वाहन में बैठकर एनआइटी संस्थान का भ्रमण के लिए रवाना होते विधायक सुभाष सुधा।

कुरुक्षेत्र, जेएनएन। एनआइटी (राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान) कुरुक्षेत्र में दूषित पानी और कचरे का प्रबंधन कर प्रदेश ही नहीं देश के सामने एक अनूठा उदाहरण पेश किया है। संस्थान में एक बूंद दूषित पानी और कचरा बाहर नहीं फेंका जा रहा है। अहम पहलू यह है कि संस्थान के अधिकारियों ने प्रागंण को पर्यावरण की दृष्टि से स्वच्छ और सुंदर बनाने में भी अनोखी पहल की है। प्रांगण में दूषित पानी को ट्रीट कर एक झील तैयार की है और यहां से पानी लेकर 70 एकड़ में वन भी विकसित किया है। यह झील और जंगल अब प्रवासी पक्षियों का ठिकाना बन गया है।

थानेसर के विधायक सुभाष सुधा ने राष्ट्रीय प्रोद्योगिकी संस्थान का अवलोकन किया और संस्थान के प्रयासों को खुब सराहा। इससे पहले विधायक सुभाष सुधा ने एनआइटी के निदेशक पदमश्री डा. सतीश कुमार व रजिस्ट्रार डा. सुरेंद्र देसवाल के साथ गंदे पानी के प्रबंधन प्रोजेक्ट के बारे में विस्तार से चर्चा की। पदमश्री डा. सतीश कुमार ने बताया कि गीले व सूखे कचरे से खाद तैयार की जाती है। इसके अलनावा वेस्ट मैटिरियल से ईको मार्ग, दूषित पानी को ट्रीट कर बनाई झील बनाई गई है। विधायक ने संस्थान प्रबंधन के कार्य की सराहना की और बाकी संस्थानों को भी प्रेरणा लेने की कही।

70 एकड़ में वन तैयार

संस्थान ने दूषित पानी को ट्रीट कर दो तालाबों में इक्ट्ठा किया है। इसको एक झील का रूप दिया है। इस पानी का प्रयोग बागवानी और वन क्षेत्र को विकसित करने के लिए किया जाता है। आज एनआइटी में 70 एकड़ में वन विकसित है। यहां प्रवासी पक्षियों ने भी अपना डेरा जमा लिया है। कुछ पक्षियों ने तो यहां प्रजनन केंद्र भी बना लिया है। इसके साथ संस्थान में गीले और सूखे कचरे का भी प्रबंधन किया है। यहां वर्मी काम्पोस्ट बनाई जाती है। इस खाद का बागवानी व वन क्षेत्र के लिए प्रयोग किया जाता है।

वेस्ट मैटीरियल से छह किमी. का ईको मार्ग

झील के चारों तरफ विद्यार्थियों, कर्मचारियों और अन्य लोगों के सैर का प्रबंध किया गया है। यहां करीब छह किलोमीटर लंबा ईको मार्ग तैयार किया है। इस मार्ग को वेस्ट मैटिरियल से तैयार किया गया है। इसके बीच में आने वाले नाले पर पुल और रेलिंग भी वेस्ट मैटिरियल से बनाई है। यहां लोगों के बैठने की व्यवस्था भी की गई है। जामुन और दशहरी आमों का बाग भी तैयार किया है। सोलर ईको वाहन संस्थान के एल्यमुनी विद्यार्थियों ने भेंट किया है।

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