कुश्ती में नई सनसनीः भविष्‍य का बजरंग, हरियाणा के 19 साल के रोहित ने मचाया धमाल, जानिये इनके बारे में

लेग अटैक का दांव लगाकर देश के पांच नामचीन पहलवानों को पटकनी देने वाले 19 साल के रोहित नए सितारा बनकर उभरे हैं। उनकी जीत ने एक ओर जहां कुश्ती जगत में हलचल मचा दी है। पेश है रोहित के अब तक के सफर की कहानी...

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 31 Jan 2021 12:33 PM (IST) Updated:Sun, 31 Jan 2021 12:35 PM (IST)
कुश्ती में नई सनसनीः  भविष्‍य का बजरंग, हरियाणा के 19 साल के रोहित ने मचाया धमाल, जानिये इनके बारे में
हरियाणा के पहलवान रोहित की फाइल फोटो।

पानीपत [विजय गाहल्याण]। देश के स्टार पहलवान बजरंग पूनिया 65 किलोग्राम वजन वर्ग में चैंपियन हैं। इस वजन वर्ग में देश में बेहतरीन पहलवान ज्यादा हैं और मुकाबले कड़े होते हैं। बजरंग विदेश में रहकर ओलंपिक की तैयारी कर रहे हैं। उनकी गैरहाजिरी में रोहतक के शहीद भगत सिंह वैदिक व्यायामशाला के 19 साल के पहलवान रोहित ने 65 किलोग्राम वर्ग में पांच नामचीन पहलवानों को पटखनी देकर 23 से 24 जनवरी को नोएडा में हुई सीनियर राष्ट्रीय कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर सनसनी फैला दी।

कुश्ती के जानकार भविष्य में उन्हें बजरंग के विकल्प के तौर पर देख रहे हैं। वह वर्ष 2019 में पानीपत में हुए एक करोड़ इनामी राशि के दंगल में बजरंग से 9-5 से पिछड़ गए थे। रोहित के फर्श से अर्श तक पहुंचने का सफर भी चुनौतियों से भरा रहा है। उनके पिता दलेल सिंह दिल्ली के बिजवासन गांव के रहने वाले हैं। वह भी पहलवान रहे लेकिन मिट्टी के दंगल तक ही सीमित रहे। घर की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण कुश्ती छोड़नी पड़ी।

दलेल सिंह के लिए एक एकड़ की खेती से पांच बेटों और दो बेटियों का भरण पोषण मुश्किल था। फिर दलेल सिंह ने बड़े बेटे अमित, राहिल और रवींद्र को कुश्ती के दांवपेंच सिखाए, लेकिन तीनों भी दंगल की कुश्तियों तक सीमित रहे। घर की आर्थिक स्थिति देख रोहित के भाइयों ने कुश्ती छोड़ दी, लेकिन उन्होंने और पिता ने तय किया कि वे रोहित को अंतरराष्ट्रीय पहलवान बनाएंगे। सात साल पहले रोहित को दिल्ली के चांदरूप अखाड़े में भेजा। रोहित भी उनकी उम्मीदों पर खरे उतरे और सफलता हासिल की। अब दो साल से वह रोहतक में कुश्ती का अभ्यास कर रहे हैं और मार्च में इटली में होने वाली कुश्ती रैंकिंग सीरिज की तैयारी में जुटे हैं।

पिता पहुंचाते हैं दूध, कोच के साथ से बनी बात

रोहित ने दैनिक जागरण से बातचीत में बताया कि कुश्ती के खेल में मेहनत बहुत करना होती है और उसके लिए अच्छी खुराक भी जरूरी है। हर महीने खुराक पर 15 हजार रुपये खर्च होते हैं। कोच अशोक ढाका खुराक के खर्च की व्यवस्था करते हैं। राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिताओं में शिरकत करने में भी वे सहयोग करते हैं। पिता हर महीने घी पहुंचाते हैं, ताकि खुराक ठीक से मिलती रहे। आज मैं जो कुछ भी हूं वह मेरे भाइयों के त्याग और पिता की मेहनत की वजह से ही हूं।

हर रोज 200 बार करते हैं लेग अटैक दांव का अभ्यास

कोच अशोक ढाका ने बताया कि रोहित कभी भी अभ्यास के दौरान गैरहाजिर नहीं होते। सुबह और शाम तीन-तीन घंटे कड़ा अभ्यास करते हैं। हर पहलवान का एक पसंदीदा दांव होता है, जिसमें वह पारंगत होता है और मुकाबले के दौरान विपक्षी को जब मौका मिलता है उसमें उलझा देता है। रोहित को लेग अटैक दांव बहुत पसंद है। कोच अशोक के अनुसार, अभ्यास के दौरान रोहित अपने पसंदीदा लेग अटैक दांव को 200 बार विरोधी पहलवान पर आजमाते हैं। राष्ट्रीय कुश्ती प्रतियोगिता में रोहित ने दिल्ली के सुरजीत, उत्तर प्रदेश के आयुष, रेलवे के प्रदीप, हरियाणा के अनुज और फाइनल मुकाबले में सेना के सरवन पहलवान को हराया।

अब तक जीते ये पदक 2017 में राष्ट्रीय सब जूनियर कुश्ती स्पर्धा में स्वर्ण और एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में कांस्य पदक। 2018 में राष्ट्रीय जूनियर कुश्ती स्पर्धा में स्वर्ण और विश्व कुश्ती प्रतियोगिता में भागदारी की। 2019 में राष्ट्रीय जूनियर कुश्ती में स्वर्ण और राष्ट्रीय सीनियर कुश्ती में कांस्य पदक। 2021 राष्ट्रीय सीनियर कुश्ती स्पर्धा में स्वर्ण पदक। 

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