Neeraj Chopra: दादा से बोले नीरज, माला न पहनाओ, ये मेरा गाम है, मैं अपने गांव का निज्जू
ओलिंपिक स्वर्ण पदक विजेता नीरज अपने गांव पानीपत के खंडरा पहुंचे। यहां पर नीरज ने बच्चों के साथ समय बिताया। बच्चों को भाला फेंकना सिखाया। इस दौरान जब उन्हें मामला पहनाया जाने लगा तो बोले ये मेरा गाम है।
थर्मल (पानीपत), [सुनील मराठा]। नीरज चोपड़ा। ओलिंपिक के स्वर्ण पदक विजेता। जहां जाते हैं, उनके स्वागत में लोग खड़े हो जाते हैं। फूल-मालाएं पहना देते हैं। उनके ही खंडरा गांव के रहने वाले और रिश्ते में दादा लगने वाले कर्मवीर चोपड़ा ने भी ऐसा ही किया। जिनको नीरज दादा कहा ही करते हैं, वह लाइन में खड़े होकर नीरज का स्वागत कर रहे थे। हाथ में माला थी...जैसे ही नीरज ने उन्हें देखा, दौड़कर उनके पास आए। बोले, दादा ये क्या कर रहे हो। ये मेरा गाम है। मैं अपने गांव का निज्जू। फार्मेलिटी क्यों। और हाथ पकड़कर उन्हें अपने साथ स्टेज पर ले गए। कर्मवीर चोपड़ा गर्व से भर उठे।
दरअसल, नीरज बुधवार को अपने गांव के संस्कृति पब्लिक स्कूल में पहुंचे थे। अपने पुराने दोस्तों से मिले। भाला फेंकने का अभ्यास करने वाले बच्चों के साथ समय बिताया। स्टेज पर कुछ हंसी-मजाक की बातें करते हुए बच्चों के बीच ही पहुंच गए।
नीरज चोपड़ा लगभग दो घंटे स्कूल में ही रहे। स्टेज पर मात्र पंद्रह मिनट रुके। अपनी कुर्सी छोड़ बच्चों के बीच मैदान में पहुंच गए। गाड़ी में रखी अपनी जैवलिन मंगवा ली। बच्चों को थ्रो करना सिखाया। एक घंटे तक खुद भी पसीना बहाया। बच्चों को कहा, तुम मन लगाकर अभ्यास करो। वह बीच-बीच में आते रहेंगे। बच्चों ने नीरज से जैवलिन के बारे में बहुत सारी बातें पूछी। कुछ बच्चों ने किताबों पर नीरज के आटोग्राफ भी लिए।
खेल के समय खेलो, पढ़ाई के समय पढ़ो
नीरज ने स्टेज पर भाषण नहीं दिया, बल्कि बच्चों से बातें की। नीरज बोले, पेपर कैंसिल हो गए। बहुत खुश लग रहे हो। नीरज की बात सुनकर बच्चे हंसने लगे। नीरज ने कहा, धूप बहुत ज्यादा है। मैं तुम्हारा ज्यादा समय नहीं लूंगा। खेल किस-किस को पसंद है। जवाब में सभी बच्चों ने हाथ उठा लिया। नीरज ने कहा कि पढ़ाई करते समय पढ़ाई व खेलते समय खेल पर ही फोकस करें। इतना कहकर नीरज स्टेज से नीचे बच्चों के बीच में ही चले गए।
नीरज की जैवलिन से अभ्यास
नीरज ने शुरुआती दौर में 17 हजार रुपये में जैवलिन खरीदी थी। इसी जैवलिन को संस्कृति स्कूल के बच्चों को खेलने के लिए सौंप दिया है। स्कूल के बच्चे हर रोज इसी जैवलिन से अभ्यास करते हैं। नीरज ने कहा कि स्कूल आकर बच्चों को प्रशिक्षण देते रहेंगे।
भाला फेंकने वाले बच्चों की संख्या बढ़ी
स्कूल के निदेशक कर्मवीर चोपड़ा ने जागरण को बताया कि पहले स्कूल में वालीबाल, कुश्ती, कबड्डी, हाकी, दौड़ व अन्य कई खेल कराए जाते थे। नीरज की सफलता के बाद भाला फेंकने वाले बच्चों की संख्या बढ़ गई है। जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता में छात्रा दीपिका चोपड़ा ने गोल्ड वह नैंसी में सिल्वर मेडल जीता था। अब स्कूल में 100 से भी ज्यादा बच्चे भाला फेंकते हैं। जैवलिन कोच हरेंद्र ने बताया कि उन्होंने नीरज के साथ दो साल अभ्यास किया है। अब स्कूल में कोचिंग दे रहे हैं। बच्चे भाला फेंकने में रूचि दिखा रहे हैं।
सभी के लिए एक सवाल...भैया कितनी देर अभ्यास करना पड़ेगा
नीरज की चचेरी बहन नैंसी नौवीं कक्षा की छात्रा है। जिला स्तरीय खेलकूद प्रतियोगिता में सिल्वर मेडल हासिल किया था। नैंसी ने नीरज से पूछा कि भैया अच्छा खेलने के लिए हर रोज कितनी देर अभ्यास करना पड़ेगा। नीरज ने कहा कि भले ही कम समय करें लेकिन अभ्यास हर रोज जरूर करें। दीपिका ने नीरज को अपना मेडल दिखाया।