कैथल की माता मनसा देवी मंदिर का चार सौ साल पुराना इतिहास, 36 गांवों की कुलदेवी है

कैथल के फतेहपुर में स्थित माता मनसा देवी मंदिर का इतिहास चार सौ साल पुराना है। माताा मनसा 36 गांवों की कुलदेवी हैं। यहां पर दूर-दूर से लोग दर्शन के लिए आते हैं। इस मंदिर में माता मनसा देवी पिंडी रूप से विराजमान है।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Sat, 17 Apr 2021 05:33 PM (IST) Updated:Sat, 17 Apr 2021 05:33 PM (IST)
कैथल की माता मनसा देवी मंदिर का चार सौ साल पुराना इतिहास, 36 गांवों की कुलदेवी है
कैथल में स्थित माता मनसा देवी का मंदिर।

कैथल, जेएनएन। माता मनसा देवी मंदिर फतेहपुर में पहले नवरात्र से ही भक्तों का तांता लगा हुआ है और पूरे नवरात्र में यहां की रौनक देखने लायक होती है। मंदिर के पुजारी सुधीर व संजीव कुमार ने बताया कि सुबह पांच बजे से ही मंदिर में भक्तों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता है जो कि पूरे देर शाम तक जारी रहता है। नवरात्रों को देखते हुए मंदिर को पूरी तरह सजाया गया है।

बता दे कि फतेहपुर स्थित करीब 400 साल पुराने इस मनसा देवी मंदिर की बहुत अधिक मान्यता है, आस-पास के करीब 36 गांवों की ये कुलदेवी है। मान्यता है कि जो श्रद्धालु सच्चे मन से मां के दरबार में अपनी फरियाद लेकर आता है, वो जरूर पूरी होती है। मंदिर के रखरखाव का जिम्मा मंदिर की कमेटी संभालती है। वैसे तो पूरे नवरात्रों में यहां की रौनक देखने लायक होती है, लेकिन सप्तमी के दिन मंदिर परिसर में विशाल मेले का आयोजन किया जाता है। अष्टमी पर कई सामाजिक व धार्मिक संस्थाएं यहां भंडारे का आयोजन करती है।

क्या कहते है, समिति के प्रधान :

माता मनसा देवी सेवा समिति फतेहपुर के प्रधान बोबी वालिया ने बताया कि मंदिर में आने वाले भक्तों की संख्या को देखते हुए मंदिर प्रशासन द्वारा विशेष इंतजाम किए जाते है। कोरोना को लेकर पूरे एहतियात बरते जा रहे है और श्रद्धालुओं को दिशा निर्देश भी दिए जा रहे है। मंदिर में आने वाले भक्तों का मास्क लगाना व उचित दूरी रखना अनिवार्य रूप से लागू किया गया है। पुलिस प्रशासन व स्वयं सेवक दिन-रात श्रद्धालुओं को आवश्यक निर्देश दे रहे है। मंदिर के इतिहास के बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि 400 सालों से भी अधिक पुराने इस मंदिर में माता मनसा देवी पिंडी रूप से विराजमान है। यहां सच्चे मन से मांगने वालों की हर मनोकामना पूर्ण होती है।

पिंडी रूप की स्थापना के बारे में एक प्राचीन कथा भी मंदिर की एक विशेषता है। इस कथा के अनुसार गांव फतेहपुर के मेहर सिंह वालिया को सपने में मां मनसा देवी ने दर्शन दिए और कहा कि यहां से थोड़ी ही दूरी पर स्थित गांव मोहना के तालाब में मैं पिंडी रूप में विराजमान हूं। शुरू में मेहर सिंह ने इस सपने पर कोई ध्यान नहीं दिया, लेकिन अगली रात सपने में उसे फिर से मां ने दर्शन दिए और अपने वहां होने की जानकारी दी। सुबह उठते ही मेहर सिंह ने अपने सपने के बारे में परिवार वालों को बताया। उसके बाद वालिया के साथ सैकड़ों औरतें और पुरुष मां को लाने के लिए मोहना गांव की ओर चल दिए, वहां जाकर मेहर सिंह ने स्वप्न में दिखाई दी दिशा से जैसे ही तालाब में प्रवेश किया उसके पैरों से कोई चीज टकराई। मेहर सिंह ने झुककर उस पिंडी स्वरूप को तालाब से निकाला और ढोल नगाड़ों से गांव फतेहपुर में ले आए। गांव वालों ने मिलकर मंदिर में मां के पिंडी स्वरूप की स्थापना की और तब से यहां मां पिंडी रूप में विराजमान है।

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