सुविधाओं को तरसा नैन गोअभ्यारण्य, आर्थिक सहयोग का दावा करने वालों ने भी पीछे खींचे हाथ
नैन गोअभ्यारण्य में नगर निगम हर सुविधा देने के दावे कर रहा है लेकिन हकीकत कुछ ओर ही है। गोअभ्यारण्य का दौरा करने पर वहां की स्थिति देख लगा कि 50 गोवंश भी रख पाना मुश्किल है। गोशाला में हर तरफ कीचड़ ही कीचड़ है। यहां न तो गोवंशों के बैठने के लिए अच्छी सुविधा है और न ही हरे चारे की व्यवस्था। हर ओर बदहाली ही बदहाली नजर आएगी।
विनोद जोशी, पानीपत
नैन गोअभ्यारण्य में नगर निगम हर सुविधा देने के दावे कर रहा है, लेकिन हकीकत कुछ ओर ही है। गोअभ्यारण्य का दौरा करने पर वहां की स्थिति देख लगा कि 50 गोवंश भी रख पाना मुश्किल है। गोशाला में हर तरफ कीचड़ ही कीचड़ है। यहां न तो गोवंशों के बैठने के लिए अच्छी सुविधा है और न ही हरे चारे की व्यवस्था। हर ओर बदहाली ही बदहाली नजर आएगी।
नैन गोअभ्यारण 52 एकड़ में फैली हुई है। इसमें से 30 एकड़ जमीन पर ही गोवंश को रखने की जगह है। इसमें से 20 एकड़ जमीन पर हरे चारे के लिए छोड़ा गया है। गोशाला में अभी तक तीन हजार गोवंशों को रखा गया है जबकि क्षमता मात्र पांच हजार गोवंश रखने का हैं। पूरी गोशाला में केवल पांच ही शेड हैं जो काफी कम हैं। 2018 में नगर निगम की तरफ से तीन शेड का निर्माण कार्य शुरू करवाया गया था, लेकिन आज तक केवल पिल्लर ही तैयार हो सके हैं। यहां भी बारिश का पानी भरा हुआ है और कीचड़ इतना फैला हुआ है कि गोवंश को भी नहीं रखा जा सकता। निगम से नहीं मिल रहा साथ, अब चंदे में आ रही कमी
नैन गोअभ्यारण्य को जुलाई व अगस्त में पकड़े गए बेसहारा पशुओं के लिए छह लाख रुपये निगम से मिलने थे, जो कि अभी तक नहीं मिले। गोशाला में तीन से चार लाख रुपये का खर्च हर माह हो जाता है। यह सभी खर्च चंदे के पैसों ही चलता है लेकिन अब चंदे में भी काफी कमी आ चुकी है। अब हर माह एक दो लाख रुपये ही बड़ी मुश्किल से एकत्रित हो पाते हैं। इससे मजदूरों का खर्चा ही निकल पाता है। बाकी गोशाला में होने वाले काम अधूरे रह जाते हैं। अधिकारियों ने किए थे बड़े-बड़े दावें
पिछले दिनों नैन गोअभ्यारण्य का नगर निगम कमिश्नर आरके सिंह व मेयर अवनीत कौर ने निरीक्षण किया था। उस दौरान गोशाला में फर्श पक्का करने, 10 शेड बनवाने और चार लाख रुपये हर माह देने की बात कही थी। इसमें किसी भी काम पर अमल नहीं हो सका है। पैसों की रही बात तो पिछले दो माह के भी पैसे भी नहीं मिल सके। नैन गोशाला के प्रबंधकों में प्रशासन के प्रति रोष बना हुआ है। जब से बेसहारा पशुओं को पकड़कर निगम के कर्मचारी गोशाला में छोड़ रहे हैं, तब से निगम के अधिकारियों ने कोई सुध नहीं ली, हर बार झूठे आश्वासन ही मिल रहे। आसपास के गांवों के लोग कर रहे हरे चारे का सहयोग
हरे चारे के सहयोग के लिए आसपास के गांव के लोग प्रतिदिन हरे चारे की ट्रालियां दे जाते हैं। इससे ही गोवंशों का गुजारा चल रहा है। अगर आने वालों दिनों में गोवंशों की संख्या पांच हजार से ज्यादा हुई तो हरे चारे के लिए काफी परेशानियां खड़ी होने जा रही हैं। इसके लिए निगम प्रशासन ने कुछ करना चाहिए। अव्यवस्था के चलते बारिश में मर जाते हैं 30 बेसहारा पशु
बारिश के मौसम में 30 से ज्यादा पशुओं की मौत हो जाती है। इसका कारण है कि गोशाला में जगह-जगह कीचड़ फैल जाता है जिससे गोशाला में दलदल हो जाती है और पशु आपस में लड़ने लगते हैं। इस दौरान मौत हो जाती है। इस बार भी अभी तक 30 बेसहारा पशुओं की मौत हो चुकी है। दो हिस्सों में बंटा है गोअभ्यारण्य
नैन गोअभ्यारण्य दो हिस्सों में बंटा हुआ है। इसमें मात्र दो एकड़ गोशाला ही पशुओं के रहने योग्य है। बाकी गोशाला में फर्श कच्चा है। कुछ जगह पर लेबर के रहने के लिए क्वार्टर बनाए गए हैं और पदाधिकारियों के लिए भी कार्यालय बनाया गया है। सुविधाएं कम, दिखावा ज्यादा कर रही निगम
गो अभ्यारण्य के उप प्रधान जगदीश चंद्र ने जागरण से बातचीत में बताया कि निगम प्रशासन सुविधाएं कम दे रहा है और दिखावा ज्यादा कर रहा है। अभी तक अधिकारियों ने केवल काम करवाने के आश्वासन दिए हैं। अभी तक धरातल पर कुछ नहीं किया। मीटिग के बाद हो जाएगा समाधान
मेयर अवनीत कौर ने जागरण से बातचीत में बताया कि एडीसी के साथ कमिश्नर की बैठक होनी है। इसके बाद मेरे पास रिपोर्ट आएगी और फिर समाधान कर दिया जाएगा। करवाया जाएगा समाधान
नगर निगम कमिश्नर आरके सिंह ने जागरण से बातचीत में कहा कि इसकी देखरेख एडीसी को करनी है। इसके बारे में वहीं बता सकते हैं। फिर भी नगर निगम की तरफ से जो भी संभव सहयोग होगा, वह किया जाएगा।