गुहला चीका और सीवन में जली सबसे ज्‍यादा पराली, 60 किसानों से वसूले गए 20 लाख

हरियाणा में पराली जलाने वाले किसानों के खिलाफ प्रदेश सरकार ने कड़ा रुख अपनाया हुआ है। पर्यावरण प्रदूषण को लेकर सरकार के आदेशानुसान कृषि विभाग ने किसानों को चिह्रिनत किया। इसके बाद करीब 60 किसानों से 20 लाख रुपये वसूले।

By Anurag ShuklaEdited By: Publish:Sat, 28 Nov 2020 09:35 AM (IST) Updated:Sat, 28 Nov 2020 09:35 AM (IST)
गुहला चीका और सीवन में जली सबसे ज्‍यादा पराली, 60 किसानों से वसूले गए 20 लाख
कैथल में 60 किसानों के खिलाफ कार्रवाई हुई।

पानीपत/कैथल, जेएनएन। पराली जलाने का मामला रुकने का नाम नहीं ले रहा है। कृषि विभाग की तरफ से सेटेलाइट से मिली गांवों में पराली जलाने की सूचना के आधार पर अब तक 60 किसानों के खिलाफ कार्रवाई अमल में लाई गई है। जिन पर 20 लाख के करीब जुर्माना विभाग ने वसूला है। कृषि विभाग के एसडीओ सतीश नारा ने बताया कि इस वर्ष धान के फसल अवशेष जलाने की जानकारी उन्हें सेटेलाइट के माध्यम से मिली है जिसके तहत गुहला चीका व सीवन में सबसे ज्यादा आगजनी की घटनाएं घटी है। उसके बाद ढांड व पूंडरी क्षेत्र रहा है।

धान की अवशेषों में आग लगाकर कर रहे है कानून की उल्लंघना

जिले के किसान धान के अवशेष में आग लगाकर कानून की उल्लंघना कर रहे है जिसके चलते कृषि विभाग व एनजीटी की टीम ने दोषी किसानों के खिलाफ कार्रवाई की है। खेत में आगजनी करने वाले किसानों पर जुर्माना लगाया है। वहीं जिन लोगों ने जुूर्माना विभाग के पास नहीं भरा है। उनके खिलाफ एफआइआर दर्ज की है। पुलिस विभाग बिना जुर्माना भरने वाले किसानों पर कार्रवाई कर रही है।

जुर्माना भर एफआइआर रद्द करवा सकते है किसान-

आग लगाने वाले किसानों को एफआइआर रद्द करवाने के लिए जुर्माना राशि भरनी होगी। उसके बाद ही विभाग की तरफ से एफआइआर रद्द की जाएगी।

कृषि उपनिदेशक कर्मचंद ने बताया कि धान के अवशेष को जलाने की बजाए उससे खेत में ही मिला देना चाहिए। किसानों को समय- समय पर जागरूक किया जा रहा है। उसके बाद भी किसान नहीं मानते है तो उन पर जुर्माना लगाया जा रहा है। अनुदान पर कृषि यंत्र भी उपलब्ध करवाए जा रहे हैं जिनसे धान के अवशेष को जलाने की बजाय भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाने में काम लिया जा सकता है। ऐसे यंत्रों पर प्रदेश सरकार ने अनुदान की राशि दी है तथा समय समय पर किसानों को जागरूक करने का काम किया गया है ।इसके बावजूद भी कुछ किसान जानबूझकर कानून के उल्लंघन कर रहे हैं ऐसा करने वाले किसानों के खिलाफ नियमित रूप से कार्रवाई जारी है।

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