छह मिनट के भूकंप, 40 मिनट की मॉक ड्रिल में खुली आपदा प्रबंधन की पोल

पानीपत में आपदा प्रबंधन पर मॉक ड्रिल की गई। कई विभागों की इसमें पोल खुल गई।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 19 Feb 2020 08:00 AM (IST) Updated:Wed, 19 Feb 2020 08:00 AM (IST)
छह मिनट के भूकंप, 40 मिनट की मॉक ड्रिल में खुली आपदा प्रबंधन की पोल
छह मिनट के भूकंप, 40 मिनट की मॉक ड्रिल में खुली आपदा प्रबंधन की पोल

जागरण संवाददाता, पानीपत :

भूकंप आया...आग लग गई..भागो-बाहर निकलो जल्दी। सुबह 10 बजे लघु सचिवालय और रेडक्रॉस बिल्डिग के हूटर बजे। रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.8 मापी गई। आनन-फानन में सचिवालय की लिफ्ट बंद कर दी गई। दो हजार से अधिक कर्मचारी व अधिकारी सीढि़यों से बाहर की ओर दौड़े। कहने को तो यह मॉक ड्रिल थी, मगर छह मिनट के भूंकप और आग ने आपदा प्रबंधन पर सवाल खड़े कर दिए। सिटी थाना पुलिस ने रेडक्रॉस बिल्डिग से चार घायलों को सिविल अस्पताल के बजाय सचिवालय पहुंचा दिया। डीएसपी सतीश वत्स ने पुलिसकर्मियों को फटकार लगा दी।

लघु सचिवालय परिसर में तीन दमकल, एक एंबुलेंस, एक रोडवेज बस पहले से खड़ी की गई थी। एनसीसी कैडेट्स, रेडक्रॉस की टीम, सिविल डिफेंस के सदस्य, होमगार्ड के जवानों ने रिहर्सल की। 10:10 बजे डीसी हेमा शर्मा और एडीसी प्रीति कंट्रोल रूम में पहुंचीं। डीसी-एडीसी ने सिविल अस्पताल पहुंचकर घायलों की सुध ली, रेडक्रॉस बिल्डिग भी देखने गईं।

पुलिस सहित बचाव दल के सदस्यों ने बिल्डिग की पांचों मंजिलों पर जाकर देखा। इसके बाद जिला परिषद की सीईओ एवं आपदा कमांडर सुमन भानखड़ और एसडीएम दलबीर सिंह को बचाव दल ने रिपोर्ट दी। करीब 10:40 बजे मॉक ड्रिल संपन्न हुई। 34 मिनट बाद पहुंची दूसरी एंबुलेंस :

लघु सचिवालय से सभी घायलों को बाहर निकाल लिया गया था। 10:06 बजे पहली एंबुलेंस पहुंची। उसी में छह-सात घायलों को ठूृंस दिया गया। गंभीर रूप से घायल व्यक्ति को खानपुर मेडिकल कॉलेज के लिए रेफर किया, लेकिन एंबुलेंस पहुंचने में 34 मिनट लग गए। नहीं थी लंबी सीढ़ी :

लघु सचिवालय की पांच मंजिला बिल्डिग से बाहर निकलने के लिए सीढि़यां वाला रास्ता ही था। दमकल विभाग और जिला आपदा प्रबंधन विभाग के पास लंबी सीढ़ी नहीं थी जिससे घायलों को खिड़कियों के रास्ते बाहर निकाला जा सके। बिजली निगम भी हुआ फेल :

बड़ी बिल्डिग में आग लगने पर वहां की आपूर्ति ठप कर दी जाती है। बिजली निगम को मोबाइल ट्रांसफॉर्मर की व्यवस्था करनी होती है ताकि पंप चालू कर दमकलों में पानी भरा जा सके। व्यवस्था नहीं होने से दमकलों को आग बुझाने के लिए पानी नहीं मिल सका। पब्लिक को नहीं संभाला गया

इतनी बड़ी आपदा के समय जनमानस को कैसे कंट्रोल किया जाए, इसमें भी संबंधित विभाग नाकाम साबित हुए। करीब दो हजार की भीड़ कंट्रोल नहीं हुई। तमाशबीन बने लोग भी बचाव दल और घायलों की मदद करने के बजाय फोटो और वीडियो बनाते दिखे। कुछ कर्मचारी अंदर जाने की जिद करते रहे। बाकी घायल कहां, नहीं पता :

मॉक ड्रिल के दौरान लघु सचिवालय और रेडक्रॉस बिल्डिग में कुल 18 लोग घायल हुए। 12 घायलों को सिविल अस्पताल पहुंचाया गया। तीन को खानपुर रेफर किया गया। छह अस्पताल में उपचाराधीन हैं। तीन को छुट्टी दे दी गई। बाकी छह घायलों का पता नहीं। सिविल सर्जन डॉ. संतलाल ने बताया कि सभी घायल खतरे से बाहर हैं।

उपमंडल सचिवालय में आठ घायल, लाखों का नुकसान : फोटो-61

उपमंडल सचिवालय, समालखा में भी मॉक ड्रिल हुई। हूटर बजते ही एनडीआरएफ की टीम एसडीएम एवं इंसीडेंट कमांडर साहिल गुप्ता की अनुमति से बिल्डिग में घुसी। बचाव दल ने 10 घायलों को बाहर निकाला गया। गंभीर रूप से दो घायलों को एंबुलेंस से उपमंडल अस्पताल पहुंचाया गया। वर्जन :

मॉक ड्रिल के समय एक-दो नहीं कई तरह की चूक दिखी। बिजली निगम के पास मोबाइल ट्रांसफॉर्मर नहीं था। दमकल विभाग के पास ऊंची सीढ़ी नहीं थी। एंबुलेंस की कमी दिखी। आपदा में घायल हुए लोगों के बचाव के लिए संबंधित विभागों के बीच सामजस्य नहीं दिखा। रिपोर्ट तैयार की गई है, ताकि भविष्य में सुधार हो सके।

हेमा शर्मा, डीसी, पानीपत

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